Indian Railways : आखिरकार एक साल बाद बदली गर्डर, आज ही के दिन हुई थी ट्रैकमैन की मौत

Indian Railways : आखिरकार एक साल बाद बदली गर्डर, आज ही के दिन हुई थी

ट्रैकमैन की मौत, जिम्मेदार अधिकारियों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई, डकनिया

अंडर ब्रिज हादसा

Kota Rail News : हादसे के ठीक एक साल बाद आखिरकार रेलवे ने कोटा-डकनिया के बीच निर्माणाधीन अंडर ब्रिज की गर्डर को मंगलवार को बदल ही दिया। गर्डर बदलने के लिए सुबह और शाम को तीन-तीन घंटे के लिए रेल यातायात रोका गया था। इसके बाद भारी भरकम क्रेनों और दर्जन कर्मचारियों की मदद से दोनों लाइनों पर कई टन वजनी नई गर्डरों को रखा गया। अधिकारियों ने बताया कि दोनों नई गर्डरों की लंबाई ड्राइंग के अनुसार 20.40 मीटर ही है। जबकि पहले यहां 18.90 मीटर की गर्डर डाली गई थी। गर्डर रखने के बाद अब अंडर ब्रिज का काम जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
आज के दिन हुई थी ट्रैकमैन की मौत
उल्लेखनीय है कि ठीक एक साल पहले 4 मई को इसी अंडर ब्रिज में काम करने के दौरान मिट्टी ढहने से एक ट्रैकमैन वसीम की मौत हो गई थी तथा तीन-चार अन्य कर्मचारी घायल हो गए थे। तब ‘कोटा रेल न्यूज़’ द्वारा मिट्टी ढहने का संभावित कारण नियम विरुद्ध तरीके से डाली गई छोटी गर्डर और ऊपर चैन माउंटेन मशीन को चलना बताया था। लेकिन तब प्रशासन इस बात पर गंभीर नहीं दिखा था। लेकिन मामला बढ़ने पर प्रशासन ने कुछ महीनों बाद दोनों गर्डरों को रातों-रात गायब करवा दिया था। गर्डर गायब करवाने के बाद भी प्रशासन ने अपनी गलती नहीं मानी थी। प्रशासन ने किसी और कारणों से गर्डर को ले जाना बताया था। लेकिन अब गर्डर बदले जाने से प्रशासन का सारा झूठ सामने आ गया।
जिम्मेदारों पर आज तक नहीं हुई कार्रवाई
सूत्रों ने बताया कि घटना के एक साल बाद भी प्रशासन द्वारा जिम्मेदारों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है। हादसे के समय मौके पर वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (दक्षिण) ऋतुराज शर्मा, सहायक मंडल इंजीनियर किरणपाल तथा खंड अभियंता रेल पथ दक्षिण संजय दलेला, गोपाल लाल मीणा एवं नरेंद्र कुमार गौतम मौजूद थे।
इनमें से प्रशासन ने ऋतुराज को कोई चार्ज शीट तक देना जरूरी नहीं समझा। वहीं किरणपाल, दलेला, मीणा तथा गौतम को चार्ज सीटें (एसएफ-11) जारी की गई थीं। चार्जशीट के बाद भी किरण पाल, दलेला तथा गौतम को दंडित किए जाने की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। जबकि पिछले दिनों मीणा की दो वेतन वृद्धि रोकने की चर्चा है।
हादसे का इनाम
कर्मचारियों ने बताया कि इस हादसे के बाद दंडित करने की जगह प्रशासन जिम्मेदारों को इनाम बांटने में लगा हुआ है। गौतम की पदोन्नति कर दी गई तथा मीणा की पदोन्नति की तैयारी की जा रही है। मरने वाला तो मर गया जिम्मेदारों की पदोन्नति क्यों रुके।
थाने में भी दर्ज है मामला
कर्मचारियों ने बताया कि वसीम की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए परिजनों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों के खिलाफ उद्योग नगर थाने में भी मामला भी दर्ज कराया था। लेकिन इसमें भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
राजनीतिक दबाव में झुका प्रशासन
जिम्मेदारों के खिलाफ एक साल बाद भी कार्रवाई नहीं होने का मुख्य कारण कर्मचारियों ने प्रशासन का रेलवे की जगह राजनीतिक लोगों का काम करना बताया है। वरना गलती सामने आने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का कोई दूसरा कारण नजर नहीं आ रहा।
विजिलेंस भी हुई लाचार
इस मामले में प्रशासन ने राजनीतिक लोगों के आगे किस कदर घुटने टेके हैं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घटना की जांच जबलपुर मुख्यालय सहित रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने भी की थी। लेकिन विजिलेंस के तरफ से भी आज तक किसी जिम्मेदार को दोषी ठहराने की बात सामने नहीं आई है। कर्मचारियों ने बताया कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है वसीम की मौत को रेलवे में कितनी गंभीरता से लिया है।
केट पहुंचा मामला
सूत्रों ने बताया कि घटना के जिम्मेदारों के खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने का मामला जयपुर केट में भी पहुंच गया है। गोपाल लाल मीणा द्वारा डाली गई याचिका में बताया गया कि एक ही घटना के लिए मौके पर मौजूद अधिकारियों और सुपरवाइजर कों से अलग अलग व्यवहार किया जा रहा है। कुछ लोगों को बरी किया जा रहा है और कुछ को दंडित किया जा रहा है। प्रशासन के इस रवैया को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
अभी तक नहीं मिली अनुकंपा नियुक्ति
साथी कर्मचारियों ने बताया कि मौत के एक साल बाद की वसीम के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। जबकि कर्मचारी की मौत के बाद अधिकतम 6 महीनों में परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिल जानी चाहिए।कर्मचारियों ने बताया कि वसीम का पैसा भी परिजनों को समय पर नहीं मिला था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन को वसीम के परिजनों की कितनी चिंता है।