Rajasthan Election 2023: राहुल गांधी ने भी हार का एक कारण अशोक गहलोत के निर्णयों को ही बताया है।

बिना किसी तर्क वितर्क के अशोक गहलोत को ही हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

राहुल गांधी ने भी हार का एक कारण अशोक गहलोत के निर्णयों को ही बताया है।
============
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर 9 दिसंबर को अशोक गहलोत (कार्यवाहक मुख्यमंत्री) ने कांग्रेस की हार का कारण भाजपा के ध्रुवीकरण को बताया। गहलोत ने हार तो स्वीकार की, लेकिन हार का ठीकरा भाजपा पर फोड़ दिया। गहलोत को लगता है कि भाजपा के ध्रुवीकरण को आगे रखकर वे अपनी जिम्मेदारी से बच जाएंगे। उन्हें यह भी लगता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में नासमझ नेता बैठे हैं। अच्छा होता कि गहलोत बिना किसी तर्क वितर्क के हार की जिम्मेदारी स्वयं स्वीकारतें। सब जानते हैं कि गहलोत ने गत पांच वर्षों में अपनी शर्तों पर शासन किया है। गहलोत ने जहां सचिन पायलट जैसे जमीनी नेताओं को दरकिनार किया, वहीं सरकार को अधिकारियों के भरोसे चलाया। सरकारी संस्थानों में कांग्रेस के नेताओं के बजाए अधिकारियों की नियुक्ति की। उन अधिकारियों को उपकृत किया गया जिन्होंने सेवा में रहते हुए अशोक गहलोत की सरकार को बचाने का काम किया। चुनाव में भी एक निजी कंपनी के माध्यम से स्वयं का चेहरा ही प्रचारित करवाया। यह दिखाने की कोशिश की गई कि राजस्थान में अशोक गहलोत सबसे बड़े नेता है। इतना ही नहीं चुनावी सभाएं भी अकेले दम पर की। गहलोत यह दावा करते रहे कि इस बार सरकार के खिलाफ कोई माहौल नहीं है और जनता ने उनकी सरकार को रिपीट करने का मन बना लिया है। गहलोत ने पांच वर्ष तक अपने इशारे पर ही सरकार और संगठन को चलाया। जहां तक भाजपा के ध्रुवीकरण का सवाल है तो भाजपा तो शुरू से ही हिंदुत्व और सनातन धर्म की पक्षधर है। भाजपा ने दो सौ विधानसभा क्षेत्रों में एक पर भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। यह काम भाजपा ने चोरी छिपे नहीं किया बल्कि सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि उन्होंने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। जहां तक चुनाव में उदयपुर के कन्हैयालाल टेलर की गर्दन काटने के मामले को उठाने का सवाल है तो इसमें एतराज की क्या बात है? गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही सर तन से जुदा के अभियान में देश में सबसे पहले उदयपुर में कन्हैयालाल टेलर की गर्दन काटी गई। गहलोत आज भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाए, लेकिन पूरे पांच वर्ष गहलोत ने तुष्टीकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सड़क दुर्घटनाओं में हुई मृत्यु के प्रकरण में मृतक के परिजन को पचास लाख का मुआवजा देकर गहलोत ने तुष्टीकरण की हद पार कर दी। गहलोत ने जिस तरह शासन किया उसी का परिणाम है कि कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस की हार के लिए अशोक गहलोत अकेले जिम्मेदार है। गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस के किसी भी नेता को आगे बढ़ने का अवसर ही नहीं दिया। जिन विधायकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे उन्हें फिर से टिकट दिलवाकर गहलोत ने कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया।

यह भी पढ़ें :   Rajasthan : गहलोत की पहल पर एल-रुट सर्वर स्थापित करने वाला पहला राज्य बना राजस्थान

राहुल का तर्क सही:
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि अशोक गहलोत के शासन में अफसरशाही हावी रही, इसलिए कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी का यह तर्क सही है। गहलोत ने अपनी सरकार को बचाए रखने के लिए अफसरों को पूरी छूट दी। गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर ऐसे अधिकारी तैनात थे जो रात को गहलोत को सुलाते थे और सुबह जगाने का काम भी यही अधिकारी करते थे। यानी अशोक गहलोत किसी निष्पक्ष व्यक्ति की बात नहीं सुन सके, इसके इंतजाम अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आवास तक कर रखे थे। लोकेश शर्मा के इस आरोप से अशोक गहलोत को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। गहलोत ने लोकेश शर्मा को अपना भरोसेमंद व्यक्ति मानते हुए ही ओएसडी नियुक्त किया था। लेकिन लोकेश शर्मा ही अशोक गहलोत से मुलाकात करने में विफल हो गए।

यह भी पढ़ें :   राहुल गांधी हुए कोरोना संक्रमित

Report By S.P.MITTAL