राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत का मिशन सफल। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय।

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत का मिशन सफल। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय।
लखीमपुर खीरी जाते समय गाजीपुर बॉर्डर पर सचिन पायलट के काफिले को रोका। एक दिन पहले ही मुंबई से जयपुर लौटे थे।
राहुल गांधी के संदेश के बाद पायलट टोंक का दौरा बीच में ही छोड़कर दिल्ली पहुंचे।
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6 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जब अपने काफिले के साथ दिल्ली से लखीमपुर खीरी जा रहे थे कि तभी उन्हें गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने रोक लिया। पायलट के साथ यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद भी थे। पायलट और उनके समर्थक अब यूपी में लखीमपुर खीरी जाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी का संदेश मिलने के बाद पायलट अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक का दौरा छोड़कर दिल्ली पहुंच गए। पायलट पांच व छह अक्टूबर दो दिवसीय दौरे पर टोंक में थे। लेकिन पायलट को 5 अक्टूबर को ही राहुल गांधी का संदेश मिल गया। पायलट 5 अक्टूबर को दोपहर को ही मुंबई से जयपुर लौटे थे। पायलट ने मुंबई दौरा भी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर किया था। इससे पहले पायलट ने भोपाल का भी दौरा कर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता दिखाई थी। पायलट इन दिनों जिस तरह राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता दिखा रहे है तो इससे जाहिर है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मिशन में सफल हो गए हैं। गहलोत शुरू से ही चाहते थे कि पायलट राजस्थान की राजनीति में दखलंदाजी नहीं करें। यह बात अलग थी कि पायलट पिछले एक वर्ष से अपने और अपने समर्थकों के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन अब बदले हुए माहौल में पायलट की सक्रियता राजस्थान के बाहर ज्यादा है। पायलट की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता तब बढ़ी है, जब प्रदेश में धरियावद व और वल्लभनगर के उपचुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशियों के नामांकन के समय सीएम अशोक गहलोत स्वयं उपस्थित रहेंगे। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में अभी तक पायलट की कोई भूमिका देखने को नहीं मिली है। यह सही है कि इन दिनों सचिन पायलट की निकटता राहुल गांधी से बढ़ी है। गत 2 अक्टूबर को ही सीएम गहलोत ने कहा था कि मेरे नेतृत्व में सरकार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी और 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद भी मैं ही मुख्यमंत्री बनूंगा। यह बयान गहलोत ने पूरे आत्मविश्वास के साथ दिया था। जानकारों का मानना है कि पायलट को भले ही अभी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय किया गया हो, लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ताजा परिस्थितियों में भी पायलट के समर्थक अपनी स्थिति को फायदेमंद और मजबूत बता रहे हैं। प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी और राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश के दौरे के मद्देनजर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया है। इनमें पंजाब के चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हैं। लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बुलाने के बजाए सचिन पायलट को उत्तर प्रदेश बुलाया गया है। माना जा रहा है कि पांच माह बाद होने वाले यूपी चुनाव में भी पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मालूम हो कि सचिन पायलट के पिता स्व. राजेश पायलट उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले थे। यूपी के गुर्जर मतदाताओं पर पायलट परिवार का खासा प्रभाव माना जाता है।