लोको पायलट मनीष की मौत का मामला: पांच दिन बाद भी नहीं सुलझा रहस्य

लोको पायलट मनीष की मौत का मामला: पांच दिन बाद भी नहीं सुलझा रहस्य

घटना से पहले रतलाम से लौटे थे मनीष
कोटा। लोको पायलट मनीष शर्मा की मौत का मामला पांच दिन बाद भी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा।

रतलाम से लौटने के बाद गायब हुए मनीष
जानकारी के अनुसार, मनीष ने 4 फरवरी को दोपहर 3:15 बजे ड्यूटी खत्म की थी। इसके तुरंत बाद वे शाम करीब 4 बजे जयपुर-पुणे ट्रेन से रतलाम गए। करीब 8 घंटे बाद मनीष रात को संपर्क क्रांति ट्रेन से वापस कोटा लौट आए थे।

कोटा लौटने पर मनीष ने अपने ड्यूटी बैग को लॉबी में रखने के लिए मेवाड़ एक्सप्रेस के सहायक लोको पायलट को सौंप दिया था। इसके बाद मनीष का कोई पता नहीं चला। अगले दिन सुबह डकनिया स्टेशन के पास रेल पटरी के किनारे झाड़ियों में उनका सिर कटा शव बरामद हुआ।

बैग में मिला मोबाइल और चाबी
घटना के बाद कर्मचारियों की सूचना पर पुलिस ने लॉबी पहुंचकर मनीष का बैग जब्त किया। बैग में तौलिए में लिपटा मनीष का मोबाइल और बाइक की चाबी भी मिली। बाद में उनकी बाइक भी लॉबी स्टैंड पर खड़ी मिली।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मनीष डकनिया स्टेशन तक कैसे पहुंचे। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि घटना वाले दिन मनीष सामान्य स्थिति में नहीं लग रहे थे।

पुलिस की जांच जारी
कोटा जीआरपी ने 4 फरवरी को डकनिया स्टेशन के पास से मनीष का सिर कटा शव बरामद किया था। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया था।

थानाधिकारी अशोक सैनी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही सटीक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा। पुलिस ने पैसों के लेन-देन और अन्य संभावित कारणों को जांच में शामिल किया है। मनीष द्वारा कोटा में अपने साथियों से पैसों की चर्चा की भी गहन जांच की जा रही है।

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