लूले-लंगड़े और पत्रकारों के लिए नहीं है रेलवे साइकिल स्टैंड, संचालकों ने दिव्यांग संवाददाता से की बदसलूकी

लूले-लंगड़े और पत्रकारों के लिए नहीं है रेलवे साइकिल स्टैंड, संचालकों ने दिव्यांग संवाददाता से की बदसलूकी

लूले-लंगड़े और पत्रकारों के लिए नहीं है रेलवे साइकिल स्टैंड, संचालकों ने दिव्यांग संवाददाता से की बदसलूकी, भीख मांग कर खाने की दी सलाह
कोटा।  कार पार्किंग का मामला थमा भी नहीं है कि कोटा में रेलवे साइकिल स्टैंड संचालकों द्वारा एक दिव्यांग पत्रकार के साथ बदसलूकी और गाली गलौज का दूसरा मामला सामने आ गया। यहां पर स्टैंड संचालक न एक दिव्यांग पत्रकार को भीख मांगने तक की सलाह दे दी। साथ ही कहा कि यह स्टैंड लूले-लंगड़े, भिखारियों और पत्रकारों के लिए नहीं है। पत्रकार ने बुधवार को मामले की शिकायत वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक से की है। अपनी शिकायत में पत्रकार साबिर ने बताया कि वह 4 अप्रैल को संवाददाता सम्मेलन में जयपुर गया था। उसने अपना स्कूटर प्लेटफार्म नंबर एक के पास स्थित साइकिल स्टैंड पर खड़ा किया था। शाम को वापस लौटने पर वह अपना स्कूटर लेने साइकिल स्टैंड पर गया था। यहां यहां पर उसने अपना पत्रकार और रेलवे द्वारा जारी विकलांग सर्टिफिकेट दिखाते हुए स्टैंड संचालकों से किराए में छूट की जानकारी मांगी थी। जानकारी मांगने पर भड़के ठेका कर्मचारियों ने उसके साथ बदतमीजी और गाली- गलौज शुरू कर दी। ठेका कर्मियों ने उससे यहां तक कह दिया कि विकलांग हो तो भीख मांग कर खाओ। संचालकों ने कहा कि लाखों रुपए देकर यह ठेका लिया है। यह पत्रकारों, लंगड़े-लूले और भिखारियों के लिए नहीं है। अपशब्दों पर आपत्ति जताने पर धमकी देते ठेका कर्मचारी उसे मारने पर उतारू हो गए। ठेकेदारों की इस बदसलूकी का एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है।
पहला मामला नहीं है
वाहन स्टैंड संस्कार को द्वारा पत्रकारों के साथ वसूली का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं। पिछले दिनों एक कन्य पत्रकार सुनील के साथ भी ठेका कर्मचारी द्वारा बदतमीजी का मामला सामने आया था। इसके अलावा चार नंबर प्लेटफार्म के पास शुरू हुए नए वाहन स्टैंड संचालक की मनमर्जी भी सामने आई है। यहां पर ओवर चार्जिंग ऑटो चालकों से जबरन वसूली के मामले भी सामने आए हैं। इससे यहां पर रोज हंगामे जैसी स्थिति बन रही है। इन मामलों की शिकायत रेलवे के पास भी मौजूद है।
सीनियर डीसीएम ने नहीं दिया जवाब
इस मामले में वरिष्ठ मंडल प्रबंधक वाणिज्य प्रबंधक को दो बार फोन किया गया। लेकिन हमेशा की इस बार भी फोन व्यस्त आने के कारण मामले में पाल का वर्जन प्राप्त नहीं हो सका।

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