क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए जरूरत हुई तो कानून भी बनायेंगे-मुख्यमंत्री 

क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए जरूरत हुई तो कानून भी बनायेंगे-मुख्यमंत्री
जयपुर, 25 फरवरी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश के लाखों लोग क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों की धोखाधड़ी का शिकार हुये हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पक्ष व विपक्ष की राय से ऎसा कानून बना सकती है जिससे अपराधी को न केवल सजा मिले, बल्कि धोखाधड़ी के शिकार व्यक्तियों को उनका पैसा भी वापस मिल सके। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा पुरजोर प्रयास किये जाएंगे।

श्री गहलोत ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में उठाये गये मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जिन लोगों के पैसे डूबे हैं, उनमें से अधिकतर पेंशनर या ग्रामीण हैं जो अधिक ब्याज के लालच में पैसा जमा कराते हैं। ये कंपनियां भाग जाती हैं या अपने ऑफिस बंद कर देती हैं और व्यक्ति अपने जीवन भर की कमाई गवा देते हैं। उन्होंने बताया कि ऎसे प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए जांच एसओजी द्वारा की जा रही है। वर्तमान में कोर्ट के फैसले के बाद ही पैसों की रिकवरी संभव हो पाती है। इस मामले में केन्द्र सरकार को  भी आवश्यक कार्यवाही के लिए पत्र लिखा जाएगा।
प्रारम्भ में सहकारिता राज्य मंत्री श्री टीकाराम जूली ने विधायकों के पूरक प्रश्नों के जवाब में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों द्वारा धोखाधड़ी के प्रकरणों पर लगाम लगाने के लिए द बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट-2019 बनाया गया है। इस कानून से राज्य सरकार को भी इन कंपनियों पर कार्यवाही के अधिकार मिलेंगे। राज्य सरकार द्वारा भी नियम बनाकर केन्द्र सरकार को भेजे गये है, जिससे आने वाले समय में उन पर कार्यवाही की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के अंतर्गत आने वाली ऎसी सोसायटियों के खिलाफ एसओजी में कई मामले चल रहे हैं। सेंट्रल एक्ट में 14 इस्तगासे भेजे गये हैं। उन्होंने कहा कि  राज्य सरकार द्वारा ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया जाएगा जिस पर ऎसी सोसायटियों के विरूद्ध शिकायतें दर्ज करवाई जा सकेगी। शिकायतों पर विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी।
इससे पहले विधायक श्री धर्मनारायण जोशी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री जूली ने बताया कि
प्रदेश में सहकारी बैंकों एवं राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 में पंजीकृत क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों एवं मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 2002 के तहत पंजीकृत सोसायटियों में उपभोक्ताओं की राशि वापस न मिल पाने की कुल 102096  शिकायते/राशि 1651 करोड़ 89 लाख 61170.30 रुपये प्राप्त हुई है।
उन्होंने बताया कि नागरिक सहकारी बैंकों की कुल 22903 शिकायतें व 104 करोड़ 61 लाख 23836.00 राशि, राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 में पंजीकृत सोसायटियों की 1402 शिकायतें व 144245879.00 राशि तथा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 2002 के तहत पंजीकृत सोसायटियों की  77791 शिकायतें व 1532करोड़ 85 लाख 91455.30 राशि प्राप्त हुई।

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श्री जूली ने बताया कि मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटियां, केन्द्रीय रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में आती है एवं इनके नियम व कानून भी केन्द्रीय रजिस्ट्रार द्वारा ही बनाये जाते हैं। यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।