Rajasthan : क्या अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से हटने मात्र से सचिन पायलट का मकसद पूरा हो जाएगा? …..

क्या अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से हटने मात्र से सचिन पायलट का मकसद पूरा हो जाएगा?
आखिर पायलट कैसे बनेंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री।
गुजरात के सीनियर ऑब्जर्वर के पद से भी गहलोत को हटना पड़ेगा।
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दिसंबर 2018 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को पता था कि यदि इस बार चूके तो भविष्य में मुख्यमंत्री बनना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए पायलट ने मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरा दम लगाया। लेकिन तब पायलट को सफलता नहीं मिली। जुलाई 2020 में हालात ऐसे बदले की पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त होना पड़ा। सितंबर 2022 में एक बार फिर बदले हैं। अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से स्थानांतरित कर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री पद पर पायलट का दावा फिर से हो गया है। लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत नहीं है। गहलोत ने अपनी ओर से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम प्रस्तावित किया है। वहीं एससी वर्ग से मंत्री ममता भूपेश के नाम को आगे बढ़ाया गया है। सवाल यह भी है कि आखिर कांग्रेस का कौन सा हाईकमान मुख्यमंत्री निर्धारित करेगा? कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर हाईकमान को अशोक गहलोत ही होंगे।
अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए गांधी परिवार की स्थिति क्या होगी, इसका पता आने वाले दिनों में ही चलेगा। सचिन पायलट भी इस हकीकत को जानते हैं कि अशोक गहलोत के समर्थन के बिना राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं चल सकती है। यदि पायलट मुख्यमंत्री बन भी गए तो सरकार चलाना आसान नहीं होगा। सचिन पायलट ने तो अपने समर्थक विधायकों को गहलोत के साथ बनाए रखा। लेकिन गहलोत के समर्थक पायलट को मुख्यमंत्री मान लेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। जिन पायलट को गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर निकम्मा, धोखेबाज और मक्कार कहा, उन पायलट को गहलोत कैसे मुख्यमंत्री बनेंगे?
हालांकि पायलट के समर्थक पायलट को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि पायलट की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा रहा है। हालांकि गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री के पद से हटाना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने के लिए गहलोत जो कुछ भी कर सकते थे, वो उन्होंने किया। उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर करवाया तो दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। ईडी ने जितने दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की उतने दिन अशोक गहलोत दिल्ली में ही रहे।
गुजरात से भी हटना पड़ेगा:
अशोक गहलोत मौजूदा समय में गुजरात में कांग्रेस के सीनियर आब्र्जवर भी हैं। गुजरात में दो माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। अक्टूबर में गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे तब उन्हें गुजरात के सीनियर ऑब्जर्वर के पद से भी हटना पड़ेगा। अध्यक्ष बनने पर गहलोत के कंधों पर देश भर की जिम्मेदारी होगी।