आशा सहयोगिनी पर न्यूनतम वेतन का नियम लागू नहीं   -श्रम राज्य मंत्री

आशा सहयोगिनी पर न्यूनतम वेतन का नियम लागू नहीं
  -श्रम राज्य मंत्री
 श्रम राज्य मंत्री श्री टीकाराम जूली ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में आशा सहयोगिनियों को प्रतिमाह 2700 रुपये मानदेय राशि का भुगतान किया जाता है। उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनी की नियुक्ति मानदेय आधारित है। इन पर न्यूनतम वेतन का नियम लागू नहीं है।
श्री जूली प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री की ओर से जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनियों को पूर्ण मानदेय राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है और इसमें केन्द्र सरकार द्वारा अंशदान नहीं दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा 2 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 60ः40 के अनुपात में भुगतान के लिए आग्रह किया गया है। उन्होंने बताया कि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को भी केन्द्र सरकार द्वारा 60 के स्थान पर 38 प्रतिशत राशि का ही भुगतान किया जा रहा है, जबकि राज्य सरकार द्वारा 62 प्रतिशत राशि वहन की जा रही है।
उन्होंने बताया कि एक सितम्बर 2009 को 500 रुपये के मानदेय के साथ आशा सहयोगिनियों को नियुक्त किया गया था। राज्य सरकार द्वारा  समय-समय पर इनके मानदेय को बढ़ाया गया है। एक अप्रेल 2011 को मानदेय में वृद्धि कर 1000 रुपये, एक अप्रेल 2012 को 1100 रुपये, एक अप्रेल 2013 को 1600, एक जून 2016 को 1850, एक अप्रेल 2018 को 2500 तथा 19 अगस्त 2019 को 2700 रुपये किया गया है।
इससे पहले विधायक श्री बिहारीलाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री जूली ने बताया कि   आशा-सहयोगिनी को आईसीडीएस की ओर से प्रतिमाह नियत मानदेय राशि 2700 रुपये का भुगतान किया जाता है, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित है। इसके अतिरिक्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्य आधारित भुगतान (परफॉरमेंस बेस्ड इन्सेन्टिव) किया जाता है। आशा सहयोगिनियों का मानदेय वृद्धि बजट की उपलब्धता पर कर दिया जायेगा।

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उन्होंने बताया कि आशा सहयोगिनी/कार्यकर्ता मानदेय सेवा पर कार्यरत है ये संविदा पर कार्यरत नहीं होती है। आशा सहयोगिनी/कार्यकर्ता स्वैच्छिक सेवा भावना से समुदाय में कार्य करने वाली स्थानीय महिला होती है। इन पर राज्य सेवा के कार्मिकों की भांति सेवा नियम लागू नहीं है और न ही श्रमिकों के बराबर इनके कार्य के घंटे तय होते हैं। मानदेय कार्य समय के उपरान्त ये किसी भी प्रकार के निजी कार्य हेतु स्वतंत्र रहती हैं।