Rajasthan :आईएएस से बदसलूकी के मामलों में कार्यवाही तो रघु शर्मा से शुरू होनी चाहिए, आखिर सचिन पायलट समर्थक मंत्री रमेश मीणा को ही टारगेट क्यों

आईएएस से बदसलूकी के मामलों में कार्यवाही तो रघु शर्मा से शुरू होनी चाहिए। तब डॉ. समित शर्मा ने चीख चीख कर कहा था-मैं निर्दोष हूं, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
आखिर सचिन पायलट समर्थक मंत्री रमेश मीणा को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है? क्या यह कुंजीलाल मीणा की सीएम अशोक गहलोत के प्रति वफादारी दिखाना है?
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राजस्थान के पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा द्वारा 21 नवंबर को एक सरकारी बैठक में बीकानेर के कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल को बैठक से बाहर भेजने के मामले में अब प्रदेश के आईएएस खफा हैं। आईएएस अफसरों के नेता और नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने मुख्य सचिव उषा शर्मा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में अपने आईएएस साथी के साथ हुए बुरे बर्ताव के लिए मंत्री रमेश मीणा पर कार्यवाही करने की मांग की है। सीएस उषा शर्मा को बताया गया कि रमेश मीणा की बैठक में कलेक्टर कलाल ने ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी का ही फोन रिसीव किया था, लेकिन फिर भी मंत्री मीणा नाराज हो गए। इस संबंध में मंत्री मीणा का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि कलेक्टर के पास मंत्री भाटी का फोन आया है। उन्होंने बैठक में कलेक्टर के फोन पर बात करने पर सामान्य प्रतिक्रिया दी थी। उनका मकसद अधिकारियों को सरकारी बैठकों को गंभीरता से लेना था। हम चाहते हैं कि सरकार की योजनाओं की क्रियान्विति प्रभावी तरीके से हो। हो सकता है कि एक आईएएस के प्रति मंत्री रमेश मीणा का व्यवहार अच्छा नहीं रहा हो,
लेकिन सवाल उठता है कि रमेश मीणा को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है? यदि बदसलूकी के मामलों में कार्यवाही ही करनी है तो शुरुआत रघु शर्मा से की जानी चाहिए। रघु शर्मा जब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री थे, तब उनका विवाद विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा से हुआ था। रघु ने अपने ही सचिव पर चिकित्सा कर्मियों की भर्ती में गंभीर आरोप लगाए। तब डॉ. शर्मा ने चीख चीख कर अपनी ईमानदारी बताई। यहां तक सरकार द्वारा गठित जांच कमेटी ने भी डॉ. शर्मा को निर्दोष माना। खुद सीएम गहलोत ने भी सार्वजनिक तौर पर कहा कि डॉ. समित शर्मा होली दिवाली पर मिठाई का डिब्बा भी उपहार में नहीं लेते हैं। लेकिन सीएम गहलोत ने डॉ. शर्मा को रघु के झूठे आरोपों से बचाने में कोई मदद नहीं की। डॉ. शर्मा का पिछले चार वर्षों में पांच बार तबादला हो चुका है।
जबकि रघु को सीएम गहलोत ने गुजरात का प्रभारी बना दिया। खेल मंत्री अशोक चांदना ने तो सीएम के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका पर ही गंभीर आरोप लगाए। चांदना ने तो यहां तक कहा कि मेरे विभाग भी रांका को दे दिए जाएं। लेकिन सीएम ने कुलदीप रांका को मंत्री के हमलों से नहीं बचाया। खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपने ही विभाग के सचिव पर गरीबों का अनाज लैप्स करने का आरोप लगाया। खाचरियावास चाहते हैं कि आईएएस पर नकेल कसने के लिए एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को मिलना चाहिए।
खाचरियावास के आरोपों पर भी सीएम गहलोत ने आईएएस का बचाव नहीं किया। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने भी अपने विभाग के सचिव संदीप वर्मा के प्रति नाराजगी जताई। जब पूर्व के सभी मामलों में सीएम की ओर से मंत्रियों को समझाने का प्रयास नहीं किया गया तो अब पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा को टारगेट क्यों किया जा रहा है?
क्या इसलिए की रमेश मीणा कांग्रेस की राजनीति में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक हैं। सब जानते हैं कि जुलाई 2020 में रमेश मीणा भी सचिन पायलट के एक माह के लिए दिल्ली गए थे। तब सीएम गहलोत ने मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। लेकिन बाद में राजनीतिक मजबूरियों के चलते रमेश मीणा को दोबारा से मंत्री बनाना पड़ा। यह भी सब जानते हैं कि नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा सीएम गहलोत के वफादार आईएएस अफसरों में से एक हैं।
सार्वजनिक समारोह में कुंजीलाल मीणा, सीएम गहलोत की शान में कविता पाठ भी करते हैं। कुंजीलाल मीणा ने 21 नवंबर को जिस तरह मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ आईएएस अधिकारियों को लामबंद किया, वह मुख्यमंत्री के प्रति वफादारी दिखाना ही है। राजनीति की लड़ाई को बेवजह प्रशासनिक तंत्र में घुसेड़ा जा रहा है। कुंजीलाल मीणा को यदि मंत्रियों को सबक ही सिखाना है तो रघु शर्मा से कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। कुंजीलाल मीणा तब क्यों चुप रहे, जब आईएएस कुलदीप रांका पर अशोक चांदना ने सीधा हमला किया था।