Rajasthan: राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की कहानी।
Rajasthan: राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की कहानी।

Rajasthan: राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की कहानी।

स्कूल की पढ़ाई के समय बकरियां चराई और कॉलेज की पढ़ाई के समय दर्जी का काम किया। राजनीति में आने पर कंस्ट्रक्शन का काम किया।
राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की कहानी।
पवन अरोड़ा ने अपने आईएएस के अनुभव से डॉ. बैरवा से सवाल पूछे।
आयुर्वेद को बढ़ावा, परिवहन विभाग में दलाली प्रथा को खत्म, सड़क दुर्घटना को रोकने की प्राथमिकता।
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4 फरवरी को फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर की-नोट प्रोग्राम प्रसारित हुआ। इस प्रोग्राम में चैनल के सीईओ और मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा ने राजस्थान के डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा से महत्वपूर्ण सवाल पूछे। अरोड़ा आईएएस की नौकरी छोड़कर चैनल के एडिटर बने हैं, इसलिए उनके सवालों में आईएएस का अनुभव भी देखने को मिला। अरोड़ा ने जब डॉ. बैरवा से उनके जीवन के बारे में बताने को कहा तो बैरवा ने भावुक होते हुए कहा कि उनका जीवन अभावों में बीता है। दूदू के ग्रामीण क्षेत्र में जब वे स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी माताजी का निधन हो गया, इसलिए उन्हें अपने भाई और भाभी के साथ रहना पड़ा। घर की परंपरा के अनुरूप स्कूल की पढ़ाई के बाद बकरियां चराने का काम किया। 11वीं तक दूदू में पढ़ने के बाद जब वे कॉलेज शिक्षा के लिए जयपुर आए तो उन्होंने जयपुर के राजापार्क में दर्जी की दुकान पर काम करना शुरू किया ताकि किराये के कमरे और कॉलेज की फीस का जुगाड़ हो सके। कॉलेज में पढ़ाई करते हुए ही उन्होंने पीएचडी की उपाधि भी ग्रहण की। रोजगार की तलाश के दौरान ही उन्हें वर्ष 2000 में जयपुर जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने का अवसर मिला। जिला परिषद का सदस्य बनने के बाद उन्होंने रोजगार के लिए कंस्ट्रक्शन का काम किया। छोटे भूखंडों पर मकान बनाकर बेचे, जिसे परिवार को पाला। 2013 में दूदू से विधायक बने और तब उन्होंने विकास के अनेक कार्य करवाए। यह बात अलग है कि 2018 में हनुमान बेनीवाल की पार्टी के उम्मीदवार की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2023 में उन्होंने एक बार फिर दूदू से जीत दर्ज की और भाजपा ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद दिया। आज मैं भले ही डिप्टी सीएम हंू, लेकिन गरीबों के दर्द को समझता हंू। मेरा प्रयास होगा कि मैं अपने विभाग में अच्छा काम कर सहंू। डॉ. बैरवा के सरल स्वभाव को देखते हुए पवन अरोड़ा ने उन्हें बताया कि राजस्थान में ट्रैफिक पुलिस को वाहन आदि की सुविधा परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है, लेकिन परिवहन विभाग का ट्रेफिक पुलिस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। इसी प्रकार परिवहन की व्यवस्ािा भी अलग अलग बंटी हुई है। बसों का संचालन रोडवेज के साथ साथ स्थानीय निकायों द्वारा भी किया जाता है। ऐसे में तालमेल नहीं होने के कारण परिवहन व्यवस्था सुचारू नहीं होती। डॉ. बैरवा ने परिवहन मंत्री के नाते अरोड़ा को भरोसा दिलाया कि जल्द ही विभागों में तालमेल करवा कर व्यवस्था को सुधारा जाएगा। डॉ. बैरवा ने कहा कि यह आरोप सही नहीं है कि परिवहन विभाग ही ओवरलोड वाहनों को चलाता है और फिर चालान के नाम पर करोड़ों रुपए का राजस्व एकत्रित किया जाता है। डॉ. बैरवा ने कहा कि ओवरलोड वाहनों की वजह से ही सड़क दुर्घटना होती हैं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को ओवरलोड वाहनों को रोकने के सख्त आदेश दिए हैं। उनका प्रयास होगा कि परिवहन विभाग में दलाल प्रथा को भी खत्म किया जाए। प्रदेश में चल रहे मोटर ड्राइविंग स्कूलों की कार्यप्रणाली सुधारने का काम भी किया जाएगा। ड्राइविंग स्कूलों के माध्यम से लर्निंग लाइसेंस देने पर विचार किया जा सकता है। डॉ. बैरवा उच्च शिक्षा मंत्री भी है। बैरवा ने कहा कि उच्च शिक्षा में कोचिंग व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास भी किया जाएगा। उन्होंने माना कि पढ़ाई के दबाव की वजह से कई बार विद्यार्थी आत्महत्या कर लेते हैं। जिन कॉलेजों में शिक्षकों के पद खाली है, उन्हें जल्द भरा जाएगा। वे चाहते हैं कि विद्यार्थी कॉलेज की पढ़ाई पर ही निर्भर हो। आयुष मंत्री की हैसियत से डॉ. बैरवा ने कहा कि घर परिवार में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। यह धारणा गलत है कि एलोपैथी के मुकाबले में आयुर्वेद की दवाएं असर कम करती है।
S.P.MITTAL