राजस्थान में मंदिर माफी की भूमि पर कानून बनाने के लिए कमेटी बनेगी।

राजस्थान में मंदिर माफी की भूमि पर कानून बनाने के लिए कमेटी बनेगी।

दस दिन बाद पुजारी शंभू के शव का अंतिम संस्कार।

दौसा के महवा में मंदिर भूमि पर बनी सभी 176 दुकानें सील होंगी। सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने मार्च निकाला।

11 अप्रैल को प्रदेश के मुख्य सचिव निरंजन आर्य की उपस्थिति में भाजपा नेताओं के साथ हुई वार्ता में निर्णय लिया गया कि राजस्थान भर में मंदिर माफी की भूमि पर कानून बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी की जल्द घोषणा की जाएगी। वार्ता के बाद भाजपा सांसद किरोणी लाल मीणा ने बताया कि प्रदेश में 30 हजार बीघा भूमि मंदिर माफी की है। लेकिन 18 हजार बीघा भूमि पर कब्जे हो गए हैं। चूंकि प्रदेश में मंदिर माफी भूमि को लेकर कोई कानून नहीं है, इसलिए कब्जा धारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। सरकार से लगातार मांग की जा रही थी कि मंदिर माफी भूमि पर कानून बनाया जाए। कानून नहीं होने की वजह से ही दौसा के महवा में मंदिर माफी की भूमि पर दुकानें बना ली गई और जब मंदिर के पूजारी शंभू ने विरोध किया तो भूमाफियाओं ने उसकी हत्या कर दी। मीणा ने बताया कि मुख्य सचिव साथ हो वार्ता हुई है, उसमें यह भी निर्णय लिया गया है कि महवा में मंदिर भूमि पर बनी सभी 176 दुकानें सील की जाएंगी। मंदिर के पूजारी ने जिन लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज करवाए हैं उनकी जांच आईजी स्तर पर की जाएगी। मीणा ने बताया कि अब जयपुर में सिविल लाइन फाटक के बाहर दिया जा रहा धरना भी समाप्त कर दिया गया है। जब पुजारी शंभू का अंतिम संस्कार भी उसके पैतृक गांव में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार को ग्रामीणों की मांग पर झुकना पड़ा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पुजारी शंभू का निधन गत 2 अप्रैल को हो गया था। आरोपियों को पकडऩे के लिए 7 अप्रैल तक शंभू का शव महवा में रखा गया और फिर 8 अप्रैल को शव को जयपुर स्थित सिविल लाइन फाटक पर लाया गया। तभी से सरकार पर दबाव बना हुआ था। 11 अप्रैल को जब सरकार और भाजपा नेताओं के साथ वार्ता चल रही थी, तब सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने पैदल मार्च भी निकाला। मार्च में बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता मौजूद रहे। जयपुर में लगातार तीन दिनों से जो धरना प्रदर्शन चल रहा था, उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण चतुर्वेदी, सांसद रामकरण बोहरा, विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।