राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 12 दिसम्बर को-दौसा

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 12 दिसम्बर को
दौसा, 7 दिसम्बर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दौसा द्वारा 12 दिसम्बर को ऑनलाईन/ऑफलाईन राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जावेगा। ऑनलाईन/ऑफलाईन राष्ट्रीय लोक अदालत प्री-लिटिगेशन (मुकदमा पूर्व) हेतु धन वसूली मामलों, बी.एस.एन.एल. व बिजली पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों में और लंबित प्रकरणों के संदर्भ में ऑनलाईन लोक अदालत हेतु चैक अनादरण, धन वसूली मामले, एम.ए.सी.टी. मामले, वैवाहिक, भरणपोषण एवं घरेलू हिंसा विवाद (तलाक को छोडकर), श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, अन्य सिविल मामले तथा ऑफलाईन हेतु उपरोक्त प्रकरणों के अलवा न्यायालय में लंबित दाण्डिक प्रकृति के ऎसे प्रकरण जो शमनीय हों एवं ऎसे दाण्डिक प्रकरण जो लघु प्रकृति के हों आदि प्रकरणों के संबंध में आयोजित की जावेगी।
प्राधिकरण की सचिव रेखा वधवा द्वारा बताया गया कि 12 दिसम्बर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए दौसा न्यायक्षेत्र में न्यायालयों में लंबित कुल 2036 प्रकरणों को आपसी राजीनामा से निस्तारण हेतु चिन्हि्त किया गया है, इसके अतिरिक्त प्रिलिटिगेशन के 772 प्रकरण इस प्रकार अब तक कुल 2808 प्रकरण राष्ट्रीय लोक अदालत में समझाईश हेतु चिहिन्त कर नोटिस जारी कराए गए हैं, जिन पक्षकारों को नोटिस नहीं पहुॅंचा है वे भी लोक अदालत के दिन संबंधित न्यायालय में बैंच के समक्ष उपस्थित होकर अपने प्रकरण का राजीनामा से फैसला करवा सकते हैं। सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में विवादों के आपसी राजीनामे से निस्तारण हेतु न्यायिक अधिकारियों की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं को सम्मिलित करते हुये दौसा मुख्यालय पर तथा ताल्लुका मुख्यालयों लालसोट, बांदीकुई, महवा व सिकराय में न्यायालयों में लंबित तथा प्रि-लिटिगेशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु लगभग 17 लोक अदालत बैन्चों का गठन किया गया है।
प्राधिकरण की सचिव द्वारा यह अपील की गई है कि उपरोक्त प्रकृति के न्यायालयों में लंबित विवादों के लिये जो पक्षकारान अपने प्रकरणों का निस्तारण राष्ट्रीय लोक अदालत की भावना से करवाना चाहते हैं, वे 8 फरवरी 2020 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने प्रकरण को संबंधित न्यायालय में ऑनलाईन या ऑफलाईन माध्यम से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुये रखवा सकते हैं। लोक अदालत की भावना से निस्तारित प्रकरण पूर्ण रूप से निस्तारित होता है, इसमें दोनों पक्षकारान की जीत होती है, कोई भी पक्षकार हारता नहीं है। लोक अदालत द्वारा किया गया अधिनिर्णय सिविल न्यायालय की डिक्री के रूप में मान्य होता है, दोनो पक्षकार इस निर्णय से बाघ्य होते हैं तथा इसे किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है अर्थात् प्रकरण पूर्णतया इसी स्तर पर निस्तारित हो जाता है। लोक अदालत की भावना से निस्तारित प्रकरणों में पक्षकारान को कोर्ट फीस भी वापिस लौटाये जाने का प्रावधान किया हुआ है। अतः आमजन से अपील है कि वे इस राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने प्रकरणों को निस्तारित करवाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करें।