योग की तरह आमजन को पर्यावरण से जोड़ने में सहायक होगी घर-घर औषधि योजना

योग की तरह आमजन को पर्यावरण से जोड़ने में सहायक होगी घर-घर औषधि योजना
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के प्रोफेसर डॉ. राकेश बटबयाल ने कहा है कि गांधीजी और पर्यावरण के संदर्भ में घर-घर औषधि योजना महत्वपूर्ण साबित होगी। यह योजना योग की तरह लोगों को पर्यावरण से जोड़ने में सहायक होगी। वे सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर गांधी-150 कार्यक्रम के तत्वावधान में गांधी पर्यावरण एवं स्वास्थ्य-एक समग्र सोच विषय पर आयोजित वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।
वेबिनार में गांधीजी द्वारा लिखी पुस्तक आरोग्य की कुंजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें सामान्य भाषा में मानव स्वास्थ को समझाया गया था।
वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुखराम बिश्नोई ने वेबिनार में कहा कि यह योजना भारतीय चिकित्सा पद्धति की उस परम्परा से प्रेरित है, जिसमें आयुर्वेद के जरिए शरीर को स्वस्थ रखा जाता है।
प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्रीमती श्रुति शर्मा ने योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी से 100 प्रतिशत योगदान देने का आह्वान किया।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के प्रोफेसर डॉ. अभिमन्यु कुमार, महाराष्ट्र के अन्ना साहब डांगे मेडिकल कॉलेज आस्था सांगली के प्रधानाचार्य एवं निदेशक प्रोफेसर-डॉ. सत्येंद्र नारायण ओझा, कला एवं संस्कृति विभाग, जयपुर की शांति और अहिंसा प्रकोष्ठ की सलाहकार समिति के समन्वयक श्री मनीष शर्मा और कार्यक्रम समन्वयक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे। वेबीनार में एपीसीसीफ, सीसीएफ, डीसीएफ, महिला अधिकारिता एवं बाल विकास, आयुर्वेद सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि भी जुड़े रहे।