राजस्थान के मुकाबले में हरियाणा और यूपी में डीजल दस रुपए प्रति लीटर सस्ता। इसलिए राजस्थान में बिक्री घटी।

राजस्थान के मुकाबले में हरियाणा और यूपी में डीजल दस रुपए प्रति लीटर सस्ता। इसलिए राजस्थान में बिक्री घटी।
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पेट्रोल डीजल की मूल्य वृद्धि के विरोध में राजस्थान में कांग्रेस भले ही धरना प्रदर्शन करें, लेकिन हकीत यह है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और हरियाणा में राजस्थान के मुकाबले में डीजल 10 रुपए प्रति लीटर सस्ता है। असल में राजस्थान में डीजल पर राज्य सरकार 26 प्रतिशत वेट वसूलती है, जबकि यूपी में 16 तथा हरियाणा में 17 प्रतिशत वेट वसूला जाता है। यही वजह है कि राजस्थान में एल लीटर डीजल करीब 99 रुपए में बेचा जा रहा है, जबकि हरियाणा और यूपी में 89 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है।
जो ट्रक-ट्रोले और डीजल के अन्य वाहन हरियाणा और यूपी से गुजरते हैं वे राजस्थान के बजाए इन्हीं दोनों राज्यों से डीजल भरवाते हैं। यहां यह खास उल्लेखनीय है कि बड़े वाहनों में पांच सौ लीटर तक डीजल भरवाया जाता है। यानी 500 लीटर डीजल राजस्थान के मुकाबले में यूपी और हरियाणा में 5 हजार रुपए सस्ता मिलेगा। यही वजह है कि राजस्थान में डीजल की बिक्री कम होती जा रही है, इससे राज्य सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है।
जो वाहन राजस्थान से गुजरते हैं वे भी हरियाणा और यूपी की सीमा में आने वाले पेट्रोल पंपों से ही डीजल भरवाते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार पेट्रोल डीजल पर टैक्स वसूलती है। दोनों सरकारों द्वारा मनमाना टैक्स वसूलने के कारण ही राजस्थान में कई जिलों में पेट्रोल 108 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है तो डीजल 99 रुपए लीटर। जब कभी पेट्रोल डीजल के मूल्य वृद्धि की बात आती है तो केंद्र और राज्य एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं, जबकि दोनों ही सरकारें पेट्रोल डीजल के नाम पर खजाने भर रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो हमेशा ही केन्द्र सरकार को दोषी ठहराते हैं। राज्य और केंद्र भले ही एक दूसरे को दोषी ठहराएं लेकिन तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आम आदमी बेहद परेशान है। आज भी बड़ी मात्रा में सामान का परिवहन सड़क मार्ग से ट्रकों के द्वारा ही होता है, इसलिए डीजल के दाम बढ़ने से बाजार में महंगाई भी बढ़ जाती है। कोरोना काल में वैसे ही रोजगार पर संकट है, ऐसे में महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है।