दो माह में परिवादी को उपलब्ध कराने के दिए एडीजे कोर्ट ने आदेश

मुख्यमंत्री योजना के तहत कियोस्क भूखण्ड आवंटन व 22 हजार रुपए दो माह में परिवादी को उपलब्ध कराने के दिए एडीजे कोर्ट ने आदेश- गंगापुर सिटी

नगर परिषद द्वारा 19 साल पूर्व में मुख्यमंत्री योजना के तहत कियोस्क भूखण्ड बेरोजगारों को आवंटन समिति के समक्ष लॉटरी पद्धति से आवंटन होने के बावजूद भी परिवादी नरेन्द्र कुमार शर्मा पुत्र गंगासहाय शर्मा निवासी मुनीम पाड़ा गंगापुर सिटी को आवंटन होने के बावजूद राजनैतिक दबाव के सहारे निर्माण नहीं होने दिया।इस पर अपर जिला एवं सैशन न्यायाधीश (पीठासीन अधिकारी) रेखा चौधरी ने अपने एक फैसले में नगर परिषद आयुक्त व सभापति को कियोस्क भूखण्ड आवंटन करने व 22 हजार रुपए दो माह में परिवादी को उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए है।
प्रकरण के अनुसार गंगापुर सिटी में मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत कियोस्क भूखण्ड आवंटन 2 मार्च 2001 को भूखण्ड आवंटन समिति के समक्ष लॉटरी पद्धति से आवंटन कार्यवाही की गई थी। जिसमें वादी को भूखण्ड संख्या एक मीना धर्मशाला गंगापुर सिटी के पास 6 वाई 6 वर्गफिट एक कियोस्क लॉटरी के अनुसार आवंटित किया गया था। वादी ने 7 मार्च 2001 को निर्धारित राशि 8780 रुपए 3 अप्रेल 2001 को जमा करा दिए गए थे। इसके बाद नगर पालिका द्वारा 3 अप्रेल 2001 को वादी के हक में कियोस्क का व्यवसायिक उपयोगार्थ दस साल के लिए अनुज्ञापत्र मय नक्शा भी नियमानुसार दे दिया था। इसके बाद वादी ने भूखण्ड के निर्माण के लिए एक ट्रॉली  बजरी कीमती 1200 रुपए व दो ट्रॉली खंडे कीमती 800 रुपए मौके पर पटकवाकर जब वह निर्माण कार्य शुरु किया तो पडौसियों ने इसका विरोध किया गया। और राजनैतिक दबाव के चलते कियोस्क का निर्माण रुकवा दिया गयाद्ध विवाद के बाद नगर परिषद ने अगस्त 2004 में उक्त कियोस्क का स्थान परिवर्तित कर गंगापुर के रेस्ट हाउस की उत्तरी  दीवार के सहारे कर दिया। तो वहां भी लोगों ने विरोध करके कियोस्क नहीं बनने दिया। इसके बाद नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश चंद सिंहल ले जब पुन: नगर पालिकाध्यक्ष  का चार्ज लिया तो उन्होंने माह मई 2005 की बैठक में नेहरु पार्क से सटी भूमि पर माह अप्रेल 2005 में हुए कियोस्क निर्माण के आदेश को निरस्त करते हुए पुन: सार्वजनिक निर्माण विभाग  के रेस्ट हाउस के पास पारित ही रेलवे बाउण्ड्री के सहारे सोनी चौराह के पास कियोस्क निर्माण का आदेश पारित कर दिया। इसके बाद भी उस निर्माण कार्य को लोगों ने रुकवा दिया गया। जिससे वादी को प्रतिवादीगण के उक्त कृत्य की वजह से पिछले 13 साल में हुई रोजगार की 25,000 रुपए प्रतिवर्ष के हिसाब से हानि हुई है। एवं दो हजार रुपए मेटेरियल की हानि के और 20 हजार रुपए वादी  को हुई मानसिके तनाव की क्षतिपूर्ति राशि से कुल 97,000 रुपए की राशि मय ब्याज प्रतिवादीगण सें दिलवाई जाए।
इस पर अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (पीठासीन अधिकारी) रेखा चौधरी ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसले में नगर परिषद आयुक्त व सभापति को कियोस्क भूखण्ड आवंटन करने व 22 हजार रुपए दो माह में परिवादी को उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए है।