राजस्थान की एसीबी ने फिर पकड़ा केन्द्र सरकार के एक भ्रष्ट अधिकारी को।

राजस्थान की एसीबी ने फिर पकड़ा केन्द्र सरकार के एक भ्रष्ट अधिकारी को।
केन्द्रीय राजस्व सेवा के शशांक यादव 16 लाख रुपए के साथ कोटा में पकड़े गए। यह राशि अफीम में मार्फिन का प्रतिशत बढ़ाने के लिए किसानों से वसूली गई थी।
केन्द्र सरकार के विभागों पर एसीबी की पैनी नजर। यह जरूरी नहीं कि सीबीआई ही भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़े।
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राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी सीबीआई में भी काम कर चुके हैं, इसलिए उन्हें पता है कि किसी राज्य की एसीबी किन नियमों के तहत केन्द्र सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार कर सकती है। आमतौर पर केंद्रीय कर्मियों के खिलाफ सीबीआई ही काम करती है। लेकिन राजस्थान में एक के बाद एक केन्द्रीय अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो रहे हैं। 17 जुलाई को ही केन्द्रीय राजस्व सेवा के अधिकारी शशांक यादव को एसीबी ने कोटा के निकट हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर 16 लाख 32 हजार रुपए के साथ गिरफ्तार कर लिया। एसीबी का दावा है कि यह राशि राजस्थान के अफीम उत्पादक क्षेत्र कोटा, चित्तौड़, प्रतापगढ़, झालावाड़ आदि के किसानों से वसूली गई है। देश में गाजीपुर (यूपी) और नीमच (एमपी)में अफीम की फैक्ट्री है। इन दोनों फैक्ट्रियों में ही लाइसेंसधारी किसान अपनी अफीम जमा करवाते हैं। अफीम का मूल्य मार्फिन की मात्रा से तय होता है। अफीम में मार्फिन की मात्रा ज्यादा होती है तो मूल्य ज्यादा मिलता है। चूंकि इन दोनों फैक्ट्रियों के प्रबंध निदेशक का चार्ज शशांक यादव के पास ही है, इसलिए यादव ही अफीम में मार्फिन की मात्रा का निर्धारण करते हैं। मार्फिन की मात्रा अधिक दर्शाने के लिए ही किसान रिश्वत देता है। एक किसान से 80 हजार रुपए तक की रिश्वत ली जाती है। एसीबी का कहना है कि अब तक 6 हजार किसानों से 35 करोड़ रुपए की रिश्वत ली जा चुकी है। अभी 40 हजार किसानों की अफीम की जांच का काम शेष है। यदि शशांक यादव नहीं पकड़ा जाता तो किसानों से करीब 300 करोड़ रुपए और वसूले जाते। यह वसूली प्रति वर्ष होती है। भले ही शशांक यादव को एसीबी ने राजस्थान में पकड़ा हो, लेकिन इस मामले में सीबीआई को कार्यवाही करनी चाहिए। प्रति वर्ष 300-400 करोड़ रुपए की वसूली शशांक यादव अकेला नहीं कर सकता है। इस काम में बड़े अधिकारी और राजनेता शामिल होंगे। सबसे पहले इस बात की जांच होनी चाहिए कि राजस्व सेवा के शशांक यादव को अफीम फैक्ट्रियों का एमडी किसकी सिफारिश से बनाया गया? राजस्व सेवा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आती है। यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि वित्त मंत्रालय के किन किन अधिकारियों को शशांक का संरक्षण है। यदि सीबीआई जांच करेगी तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा। सूत्रों की माने तो इस भ्रष्टाचार में केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की भूमिका सामने आएगी। ये सभी विभाग वित्त मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। भ्रष्टाचारी चाहे किसी भी सरकार के हो, उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। केन्द्र सरकार को भी इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए।
केन्द्रीय विभाग निशाने पर:
शशांक यादव से पहले एसीबी ने रेलवे, एनएचएआई, पेट्रोलियम आदि विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते पकड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि केन्द्र सरकार के विभाग एसीबी के निशाने पर है। केंद्रीय कर्मियों को अब इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि उनके विरुद्ध सीबीआई ही कार्यवाही कर सकती है। राजस्थान में बीएल सोनी के नेतृत्व वाली एसीबी ने बता दिया है कि राज्य एजेंसी भी भ्रष्ट केंद्रीय कार्मिकों को गिरफ्तार कर सकती है। शशांक यादव के मामले में भी एसीबी ने यूपी या एमपी में जाकर कार्यवाही नहीं की बल्कि यादव के राजस्थान आने का इंतजार किया। भले ही अफीम की फैक्ट्रियां यूपी और एमपी में हो, लेकिन भ्रष्ट शंशाक को एसीबी ने गिरफ्तार कर ही लिया। इससे केंद्रीय कार्मिकों को सावधान हो जाना चाहिए।