गांधी परिवार के समर्थन के बिना सचिन पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ इतना सख्त बयान नहीं दे सकते।

गांधी परिवार के समर्थन के बिना सचिन पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ इतना सख्त बयान नहीं दे सकते।
अजय माकन के बयान से पहले ही गहलोत सरकार परेशान थी।
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कोई तीन-चार दिन के दिल्ली प्रवास के बाद 21 जुलाई को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट जयपुर लौटे। जयपुर पहुंचते ही पायलट ने अशोक गहलोत और उनके नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। पायलट ने कहा कि आज जरूरी है कि राजस्थान में दोबारा से कांग्रेस की सरकार बने, इसके लिए जरूरी है कि जनता से जो वायदे किए हैं, उन्हें पूरा किया जाए और सभी को साथ लेकर चला जाए।
पायलट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो 2003 और 2013 वाली स्थिति वापस आ जाएगी। सब जानते हैं कि 2003 और 2013 में गहलोत ही मुख्यमंत्री थे और क्रमश: 56 और 21 सीटें ही कांग्रेस को मिली थीं। यानी गहलोत जब जब भी सीएम बने, तब तब कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। पायलट ने साफ कर दिया है कि 2023 में भी यदि गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ेगा। यह सही है कि 2014 से 2018 तक पायलट के नेतृत्व में भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया था और तभी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
जानकारों के अनुसार सचिन पायलट को कांग्रेस हाईकमान यानी गांधी परिवार का समर्थन है, इसलिए इतना सख्त बयान दिया है। पायलट ने यह बयान तब दिया है, जब कांग्रेस शासित पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तलवारें खींची हुई है। गांधी परिवार सिद्धू के साथ खड़ा है। अमरेन्द्र सिंह के विरोध के बाद सिद्धू को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। उम्मीद थी कि पंजाब का मामला शांत होने के बाद ही राजस्थान का माहौल गर्म होगा, लेकिन पंजाब में सिद्धू के पदभार संभालने से पहले ही राजस्थान में पायलट ने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया। असल में गांधी परिवार ने यह माना कि पंजाब में सिद्धू और उनके समर्थकों के बगैर कांग्रेस दोबारा से सत्ता में नहीं आ सकती है। इसीलिए अमरेन्द्र सिंह के मुकाबले में सिद्धू को तवज्जों दी गई।
राजस्थान में तो सचिन पायलट ने अपनी काबिलियत गत विधानसभा के चुनाव में भी साबित कर दी थी। गांधी परिवार भी पायलट के प्रभाव के बारे में जानता है। पायलट पिछले तीन-चार दिनों से दिल्ली में ही थे। दिल्ली में पायलट गांधी परिवार के संपर्क में भी रहे। हो सकता है कि पायलट की मुलाकात प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से भी हुई हो। 21 जुलाई को पायलट पूरे आत्मविश्वास में नजर आए। यदि पायलट को गांधी परिवार का समर्थन नहीं होता तो गहलोत सरकार पर इतना सख्त बयान नहीं देते। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों निर्दलीय और बसपा वाले विधायकों को आगे कर अशोक गहलोत ने हाईकमान और पायलट को लेकर जो बयान दिलवाए, उससे गांधी परिवार खास कर श्रीमती सोनिया गांधी खुश नहीं है।
प्रदेश प्रभारी अजय माकन के गहलोत विरोधी रीट्वीट को सोनिया गांधी की नाराजगी से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। सीएम गहलोत के लिए परेशानी की बात यह है कि अजय माकन अपने रीट्वीट पर अभी भी कायम हैं। माकन ने उस ट्वीट को रीट्वीट किया जिसमें कहा गया था कि अमरेन्द्र सिंह हों या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनते ही यह समझने लगते हैं कि कांग्रेस पार्टी की जीत उनकी वजह से हुई है। जबकि यह जीत सोनिया गांधी के नेतृत्व से मिलती है। जानकारों की माने तो अजय माकन ने गहलोत से मुलाकात कर पायलट समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने का सुझाव दिया था, जिसे गहलोत ने अभी तक नहीं माना है। माकन ने गांधी परिवार की भावनाओं से भी अवगत करा दिया है, लेकिन गहलोत, माकन के सुझावों को गंभीरता से नहीं लिया है, सूत्रों के अनुसार इस बार पायलट ने धैर्य दिखाया है उससे गांधी परिवार में पायलट के नंबर बढ़े हैं।