आयोग की कार्यशैली के खिलाफ जयपुर में प्रदर्शन, अजमेर में ज्ञापन।

राजस्थान लोकसेवा आयोग के असली बॉस तो कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं।
अब समधी की पदोन्नती के लिए नियम कायदे ताक में। डोटासरा को भी पता है कि ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा।
आयोग की कार्यशैली के खिलाफ जयपुर में प्रदर्शन, अजमेर में ज्ञापन।
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राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के समधी व चूरू के जिला शिक्षा अधिकारी रमेशचंद पूनिया आगामी 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। डोटासरा चाहते हैं कि रिटायरमेंट से पहले उनके समाधि शिक्षा विभाग में उपनिदेशक बन जाए ताकि बाद में पेंशन आदि में इजाफा होता रहे। पिछले दिनों ही आरएएस के परिणाम में समधी रमेश चंद पूनिया के बेटे गौरव और बेटी प्रभा सफल घोषित हुए हैं। डोटासरा का पुत्र और पुत्रवधू का चयन आरएएस में पहले ही हो चुका है।
डोटासरा को भी पता है कि ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। इसलिए जो कुछ करना है वह कर लिया जाए। समधी को उपनिदेशक बनवाने के लिए डोटासरा ने अजमेर स्थित इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम और बीकानेर स्थित राधा कृष्ण उच्च अध्ययन संस्थान के जिला शिक्षा अधिकारी के पद को रातों रात उपनिदेशक के स्तर का कर दिया। चूंकि डोटासरा स्कूली शिक्षा मंत्री है, इसलिए अपने विभाग के पद को पदोन्नत करने में कोई परेशानी नहीं हुई। जानकार सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग में पदोन्नति के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग ने डीपीसी की बैठक 28 व 29 जुलाई को निर्धारित कर रखी थी, लेकिन इस बीच राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा हुई तो डोटासरा ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आयोग में डीपीसी की तारीख बदलवा दी, जो बैठक 28-29 जुलाई को होनी थी, उसे 26 जुलाई को ही करवा दिया। इस बैठक के बाद समधी रमेश चंद पूनिया की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों के अनुसार डोटासरा यदि शिक्षा अधिकारी के दो पदों पदोन्नत नहीं करते तो उनके समधी रिटायर होने से पहले उपनिदेशक नहीं बन सकते थे। अब चूंकि पदोन्नति हो रही है, इसलिए पूनिया जल्द ही उपनिदेशक बन जाएंगे। पूनिया के बेटे और बेटी का आरएएस में चयन का मामला अभी भी विवाद में है।
आरएएस के इंटरव्यू के दौरान ही एसीबी ने आयोग के जूनियर अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर को 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा था। गुर्जर का कहना रहा कि यह राशि आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर से इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के लिए ली गई है। एसीबी की इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद भी आयोग का कहना रहा कि इंटरव्यू की प्रक्रिया निष्पक्ष रही है। जब परिणाम घोषित हुआ तो एक बार फिर चयन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे। डोटासरा के रिश्तेदारों के इंटरव्यू में 80-80 अंक प्राप्त होना कई सवाल खड़े करता है। डोटासरा के समधि की पदोन्नति के लिए डीपीसी की तारीख में बदलाव से भी प्रतीत होता है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग के असल बॉस तो डोटासरा ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डोटासरा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद ही आयोग में पांच सदस्यों की नियुक्ति हुई। 28 जुलाई को ही आरएएस के लिए इंटरव्यू में हुई गड़बडिय़ों को लेकर युवा मोर्चे के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि आरएएस के परिणाम को रद्द करवाकर दोबाार से इंटरव्यू की प्रक्रिया की जाए। वहीं अजमेर में भी भाजपा के नेताओं ने आयोग के मुख्यालय में एक ज्ञापन दिया और आरएएस परिणाम का रद्द करने की मांग की। आरोप लगाया गया कि इंटरव्यू की प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही है।