अशोक गहलोत खुद मुख्यमंत्री के पद से हट सकते हैं, लेकिन धारीवाल, रघु, खाचरियावास और कल्ला को नहीं हटने देंगे।

अशोक गहलोत खुद मुख्यमंत्री के पद से हट सकते हैं, लेकिन धारीवाल, रघु, खाचरियावास और कल्ला को नहीं हटने देंगे।
किसी मंत्री के खिलाफ कोई शिकायत नहीं। अखबारों में आयोजित तरीके से खबरें छपवाई जा रही हैं-रघु।
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कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन का राजस्थान के कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों से सरकार और संगठन के बारे में फीडबैक लेने का काम 29 जुलाई को पूरा हो गया। माकन ने करीब 115 विधायकों से मुलाकात की। अखबारों की खबरों में कहा जा रहा है कि विधायकों ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री बीडी कल्ला की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के व्यवहार को लेकर भी कुछ विधायकों ने नाराजगी जताई। ऐसी खबरों के बाद यह चर्चा होने लगी कि संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल में इन मंत्रियों को हटाया जाएगा या फिर इनके विभाग बदले जाएंगे। सब जानते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व अशोक गहलोत कर रहे हैं। यह गहलोत का ही करिश्मा था कि गत वर्ष जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब जयपुर में गहलोत ने ही सरकार को बचाया। उस समय सरकार को बचाने में इन्हीं तीन-चार मंत्रियों ने सक्रिय भूमिका निभाई। खाचरियावास और रघु शर्मा ऐसे मंत्री थे जिन्होंने सचिन पायलट पर लगातार हमले किए। इसी प्रकार कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी करने में शांति धारीवाल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। इन मंत्रियों ने सीएम गहलोत के इशारे पर ही काम किया। हालांकि अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस के कितने विधायकों ने इन मंत्रियों के खिलाफ प्रदेश प्रभारी के समक्ष नाराजगी प्रकट की है। लेकिन इतना जरूर है कि इन तीन-चार मंत्रियों को न तो हटाया जाएगा और न ही इनके विभागों में कोई फेरबदल होगा। सीएम गहलोत को भी पता है कि इन मंत्रियों की वजह से ही सरकार बची है। ऐसे में गहलोत ऐसा कोई निर्णय नहीं करेंगे, जिसमें इन मंत्रियों की प्रतिष्ठा में कोई कमी आवे। जहां तक अजय माकन की रायशुमारी का सवाल है तो इस रायशुमारी में अशोक गहलोत की स्थिति मजबूत हुई है। भले ही सचिन पायलट के समर्थक इन विधायकों ने नाराजगी जताई हो, लेकिन 100 से भी ज्यादा विधायकों ने सरकार और संगठन की प्रशंसा की है। जो लोग अशोक गहलोत की राजनीति को जानते हैं उन्हें पता है कि वे अपने समर्थकों का कभी भी नुकसान नहीं होने देते हैं। अजय माकन अपने फीडबैक की रिपोर्ट गांधी परिवार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। यदि गांधी परिवार ने कुछ मंत्रियों को हटाने या विभागों में बदलाव के निर्देश दिए तो सीएम गहलोत शायद ऐसे निर्देशों को नहीं मानेंगे। मौजूदा राजनीतिक हालातों में गहलोत स्वयं मुख्यमंत्री के पद से हट सकते हैं, लेकिन अपने समर्थक मंत्रियों को हटने नहीं देंगे। गहलोत जब तक मुख्यमंत्री हैं, तब तक राजस्थान में शांति धारीवाल, रघु शर्मा, गोविंद सिंह डोटासरा, बीडी कल्ला जैसे मंत्रियों का दबदबा बना रहेगा।
प्रायोजित खबरें:
29 जुलाई को प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि अजय माकन के फीडबैक को लेकर अखबारों में जो खबरें छपी है वे प्रायोजित हैं। ऐसी खबरों को नियोजित तरीके से छपवाया जा रहा है। रघु ने कहा कि फीडबैक में किसी भी मंत्री के खिलाफ विधायकों ने नाराजगी प्रकट नहीं की है। उन्होंने कहा कि जो दिखता है वह होता नहीं है और नहीं दिखता है वह होता है। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ यदि कोई प्रोपेगेंडा चल रहा है तो वह ज्यादा दिन नहीं टिकेगा। उन्होंने कहा कि डोटासरा ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर बहुत अच्छा काम किया है। शांति धारीवाल की वजह से शहरी क्षेत्रों का तेजी से विकास हुआ है। धारीवाल कांग्रेस के वफादार कार्यकर्ता हैं। जहां तक मेरे चिकित्सा विभाग का सवाल है तो कोरोना काल में राजस्थान के चिकित्सा विभाग की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है। 29 जुलाई को जिस आत्मविश्वास के साथ रघु शर्मा ने मीडिया और सरकार विरोधी तत्वों के खिलाफ हमला बोला उससे प्रतीत होता है कि राजस्थान में गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। अजय माकन का फीडबैक एक सामान्य प्रक्रिया से ज्यादा कुछ भी नहीं है। यदि फीडबैक को लेकर कोई गंभीरता होती तो रघु शर्मा इस तरह सार्वजनिक तौर पर मीडिया पर हमला नहीं बोलते।