हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है शिक्षा विभाग। प्रदेश के तीन हजार बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी से वंचित।

बेरोजगार शिक्षक यदि गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदार होते तो नौकरी मिल जाती।
हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है शिक्षा विभाग। प्रदेश के तीन हजार बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी से वंचित।
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राजस्थान के तीन हजार बेरोजगार शिक्षकों को इस बात का अफसोस है कि वे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और ताकतवर स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदार नहीं है। यदि वे डोटासरा के रिश्तेदार होते तो अब तक तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी मिल जाती। जब डोटासरा के रिश्तेदार आरएएस में चयनित हो सकते हैं तथा रातों रात जिला शिक्षा अधिकारी के पद से उपनिदेशक के पद पर पदोन्नत हो सकते हैं तो तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी तो मिल ही जाएगी। तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी दिलाने तो डोटासरा के लिए चुटकी बजाने वाला काम है। असल में तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा 2016 व 2018 में उन अभ्यर्थियों को भी पात्र मान लिया जिन्होंने बीए के बाद अंग्रेजी विषय का एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया है। सरकार के इस निर्णय का उन अभ्यर्थियों ने विरोध किया जिन्होंने बीए की पढ़ाई में लगातार तीन वर्ष तक अंग्रेजी की वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाई की।
ऐसे अभ्यर्थियों का कहना रहा कि अंग्रेजी विषय की तीन वर्ष तक पढ़ाई करने वाले और एक वर्ष में डिग्री लेने वाले में कुछ तो फर्क होना चाहिए। भेदभाव का यह मामला जब जोधपुर स्थित हाईकोर्ट की एकल पीठ के सामने आया तो कोर्ट ने एक वर्षीय सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थियों को सशर्त परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए। बाद में 25 मार्च 2021 को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने एक वर्षीय सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थियों को तृतीय श्रेणी शिक्षक की परीक्षा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। यह बात सही है कि पूर्व के आदेश से जिन एक वर्षीय सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थियों ने नौकरी प्राप्त कर ली है उन्हें हटाया नहीं जा सकता। लेकिन सरकार के दोषपूर्ण निर्णय से जो तीन हजार बेरोजगार नौकरी से वंचित हो गए हैं, उन्हें तो नौकरी दी जा सकती है।
नौकरी से वंचित रहे बेरोजगार शिक्षकों का कहना है कि यदि वे डोटासरा के रिश्तेदार होते तो उन्हें भी नौकरी मिल जाती। तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी दिलवाने में डोटासरा को ज्यादा ताकत नहीं लगानी पड़ती, क्योंकि वे सरकारी नियमों के तहत नौकरी के हकदार हैं। कायदे से तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद तीन हजार बेरोजगार शिक्षकों को नौकरी मिल जानी चाहिए,लेकिन ऐसे बेरोजगार प्रभावशाली नहीं है, इसलिए अभी तक नौकरी से वंचित हैं। इस संबंध में अंग्रेजी विषय के बेरोजगार शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है कि उनकी समस्या पर गंभीरता से विचार किया जाए।
ऐसे शिक्षकों ने रीट परीक्षा भी अंग्रेजी विषय से ही उत्तीर्ण की है। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कोई रास्ता निकाल कर नौकरी दिलवाएंगे। ऐसे अभ्यर्थियों को एक वर्षीय सर्टिफिकेट वाले अभ्यर्थियों की नौकरी पर भी कोई एतराज नहीं है, लेकिन इनकी वजह से जो अभ्यर्थी नौकरी से वंचित हुए हैं उन्हें तो नौकरी मिलनी ही चाहिए। इस प्रकरण की ओर अधिक जानकारी बेरोजगार शिक्षक संजय कुमार से मोबाइल नम्बर 9460732974 पर ली जा सकती है।
हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है शिक्षा विभाग। प्रदेश के तीन हजार बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी से वंचित।