क्या केन्द्र सरकार की जांच होने तक बंद होंगे अजमेर में स्मार्ट सिटी के काम?

क्या केन्द्र सरकार की जांच होने तक बंद होंगे अजमेर में स्मार्ट सिटी के काम?
केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और सांसद भागीरथ चौधरी की पहल पर केंद्र सरकार जांच करवाएगी। आनासागर की भराव क्षमता कम करने पर नोटिस भी मिलेगा।
स्मार्ट सिटी मिशन में पीपीपी मॉडल पर काम क्यों नहीं-नीरज जैन?
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अजमेर में चल रहे स्मार्ट सिटी के कार्यों की उपयोगिता और वित्तीय अनियमितताओं की जांच अब केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय करवाएगा। 2 अगस्त को केंद्रीय पर्यावरण और श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव और अजमेर के लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने ज्ञापन देकर स्मार्ट सिटी के कार्यों की जांच कराने की मांग की। दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि अजमेर प्रशासन अपनी मर्जी से स्मार्ट सिटी के कार्य करवा रहा है। जो कार्य राज्य सरकार को करने चाहिए वे भी केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में कराए जा रहे हैं। दो हजार करोड़ रुपए के वित्तीय कार्यों में अनियमितता भी हो रही है। शहर के बीचों बीच बनी प्राकृतिक आना सागर झील के अंदर लाखों टन मिट्टी डाल कर पाथवे बनाया जा रहा है। सिसे इस झील की भराव क्षमता कम हो गई है। इतना ही नहीं जिला अधिकारियों के दफ्तर भी केन्द्र सरकार के पैसे से बनाए जा रहे हैं। आना सागर झील के भराव क्षेत्र में सेवन वंडर्स के नाम पर सीमेंट कंक्रीट की इमारत खड़ी की जा रही है। स्मार्ट सिटी के ऐसे कार्यों पर हरदीप पुरी ने भी आश्चर्य जताया। पुरी ने कहा कि शहरी विकास मंत्रालय का एक दल जल्द ही अजमेर जाकर स्मार्ट सिटी के कार्यों का जायजा लेगा तथा प्रशासन से भी रिपोर्ट तलब की जाएगी। सवाल उठता है कि जब केन्द्रीय मंत्री ने जांच की घोषणा कर दी है, तब क्या अजमेर में खास कर आनासागर झील में स्मार्ट सिटी के कार्य होने चाहिए? यदि प्रशासन में नैतिकता हो तो जांच होने तक कार्य रोकने चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि आनासागर झील के भराव क्षेत्र में पाथवे का निर्माण कर प्रशासन ने इस प्राकृतिक झील का गला घोंटा है। पहले ील की क्षमता 16 फीट थी, जिसे घटाकर 13 फिट किया गया और अब 11 फिट किए जाने का षडय़ंत्र किया जा रहा है। असल में पिछले ढाई वर्ष से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों ने केन्द्र सरकार के पैसों का जमकर दुरुपयोग किया। सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, नगर निगम की मेयर बृजलता हाड़ा, डिप्टी मेयर नीरज जैन आदि जनप्रतिनिधियों को भाजपाई बता कर प्रशासन ने एक भी जनप्रतिनिधि की नहीं सुनी। लेकिन पिछले दिनों जब राज्यसभा के सांसद भूपेंद्र यादव केन्द्रीय मंत्री बने तो उन्होंने गंभीरता दिखाते हुए स्मार्ट सिटी के कार्यों की जांच करवाने की घोषणा की। जो प्रशासन अब तक निरंकुश बना हुआ था, उस पर अब थोड़ी लगाम लगेगी। केन्द्रीय जांच दल को वित्तीय अनियमितताओं की जांच करनी चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि जिन ठेकेदारों को करोड़ों रुपए के काम मिले वे तकनीकी दृष्टि से काम करने के कितने योग्य थे। आरोप है कि स्मार्ट सिटी के अधिकांश काम एक ही ठेकेदार को मिले हैं और इस ठेकेदार ने अनाड़ी व्यक्तियों को ठेके पर कार्य दे दिया। आनासागर झील की जो दुर्दशा की है उससे भी केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव खफा है। अब झीलों के संरक्षण का जिम्मा यादव के पास ही है, इसलिए केन्द्र सरकार की ओर से प्रशासन को नोटिस दिए जाने की भी तैयारी है। यदि इस मामले में सख्ती के साथ जांच होगी तो कई इंजीनियर और अधिकारी आनासागर झील की हत्या करने के दोषी पाए जाएंगे। झील को बचाने के लिए नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन लगातार सक्रिय रहे। जैन ने हर स्तर पर झील का मुद्दा उठाया। जैन जब न्यास के अध्यक्ष थे, तब झील के भराव क्षेत्र में एक बड़े निर्माण के विरुद्ध हाई कोर्ट तक गए। जैन की अभी भी यह पीड़ा है कि झील के अंदर पाथेवे बनाने से झील के किनारे के अतिक्रमण जायज हो जाएंगे, जिससे भू माफियाओं को फायदा होगा। जैन को ब इस बात का संतोष है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की जांच हो रही है।
पीपीपी मॉडल पर कोई कार्य नहीं-जैन:
नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने सवाल उठाया है कि स्मार्ट सिटी मिशन में पीपीपी मॉडल के तहत काम क्यों नहीं करवाए? जबकि स्मार्ट सिटी का उद्देश्य ही पीपीपी मॉडल पर आधारित है। अजमेर में रेलवे की पर्याप्त भूमि होने के बाद भी ऐसे कार्य नहीं करवाए गए है। पूर्व में जो कार्य बीओटी के तहत स्वीकृत हुए थे, उन्हें भी रोक दिया गया। सारे कार्य ऐसे हैं, जिनका रख रखाव करना मुश्किल होगा। यदि पीपीपी मॉडल से कार्य करवाए जाते तो राजस्व की प्राप्ति होती। आनासागर स्केप चैन के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, लेकिन प्रशासन ने इस राशि का उपयोग राज्य सरकार का अस्पताल और कलेक्ट्रेट बिल्डिंग बनाने के लिए उपयोग कर लिया। जैन ने कहा कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की विस्तृत जांच होना जरूरी है।