कोरोना काल में 9 माह बाद भी पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं, सैकड़ों लोग बेरोजगार और परेशानी से जूझने को मजबूर

कोरोना काल में 9 माह बाद भी पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं, सैकड़ों लोग बेरोजगार और परेशानी से जूझने को मजबूर

दिनभर सूना रहता रेलवे स्टेशन,कर्मचारी भी हो रहे ढाले-गंगापुर सिटी
कोरोना काल में अभी तक 9 माह बाद भी जीवन पटरी पर नहीं आ पाया है। इसके चलते पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं होने से सैकड़ों लोगों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही सैकड़ों लोग बेंरोजगार हो गए है। और साथ ही हजारों लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है। जहां से 10 रुपए में गंगापुर सिटी से हिण्डौन व गंगापुर सिटी से सवाई माधोपुर जा सकते थे। अब उन्हें 50 रुपए से लेंकर 70 रुपए देने को मजबूर होना पड़ रहा है।जबकि कई गांवों में परिवहन सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। जिन्हें पैदल ही जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिससें लोगों को काफी परेशानी हो रही है।इसके बावजूद रेलमंत्री से लेकर रेलवे बोर्ड और कोटा मंडल के अधिकारियों यात्रियों को हो रही परेशानियों पर ध्यान नहीं देने से रेलवे को भी करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है।
पैसेंजर ट्रेने 9 माह से बंद,9 करोड़ का राजस्व नुकसान
मथुरा से लेकर रतलाम तक वाया गंगापुर सिटी होंकर गुजरने वाली पैसेंजर ट्रेनों का संचालन 9 माह से बंद होने से रेलवे को 9 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है। जबकि मथुरा- रतलाम पैसेंजर (लोकल),कोटा-आगरा पैसेंजर,आगरा-कोटा पैसेंजर,जयपुर -बयाना व बयाना -जयपुर पैसेंजर,मथुरा-सवाई माधोपुरऔर सवाई माधोपुर -मथुरा पैसेंजर आदि पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों को हो रही है। जहां ट्रेन के अलावा और कोई साधन नहीं था। इसके चलते यात्रियों को पैदल या फिर महेंगे दामों में निजी वाहन से जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कोरोना काल में अधिक रुपए देने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रेलवे स्टाले दिनभर बंद
गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन पर स्थित आधा दर्जन रेलवे स्टाल है। इतनी ही ब्हील ठेले है। पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने व कई एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन बंद हो जाने या फिर डायवर्ड करने से दिनभर रेलवे स्टेशन सूना रहने से रेलवे स्टाल संचालको को किराया भी नहीं निकल पा रहा है। जिससे स्टाल पर काम करने वाले वेडरों को अब रोटी खाने के लाले पड़ रहे है। स्टाल संचालको ने बताया कि उनका किराया भी नहीं निकल पा रहा है। दूसरी ओर बिजली के बिल भी जमा नहीं हो पा रहे है। इस कारण स्टाले अधिकांश समय तक पर्दा डाल कर बंद कर रखी है।
टेपों चालक कई हो गए बेरोजगार,रोटी रोजी का हुआ संकट
गंगापुर शहर में लगभग डेढ़ हजार टेपों का संचालन हो रहा था। लेकिन कोराना काल से पैसेंजरों ट्रेनों के संचालन बंद हो जाने से अब मात्र पांच से लेकर छह सौ तक ही टेपों रह गए है। जो भी दिनभर खाली दौड़ते नजर आते है। टेपों चालकों ने बताया कि उनका डीजल खर्चा व किराया तक नहीं निकल पा रहा है। ऊपर से पुलिस का चालान भी भारी पड़ रहा है। जिससे अब उनका घर खर्च चलाना आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। टेपों चालको ने बताया कि जब पैसेंजर ट्रेने चलती थी तो यात्री भार अधिक होने से उनकी घर गृहस्थी ठीक तरीके से चल पा रही थी। अब गिने चुनी ट्रेनों के संचालन से उन्हें यात्रीभार नहीं मिल पा रहा है।
ये ट्रेने चालू
नंदा एक्सप्रेसअब व डाउन,मुंबई- अमृतसर स्वर्ण मंदिर एक्सप्रेसअप व डाउन, इंटर सिटी एक्सप्रेस अप व डाउन, मुजफ्फपुर-बांद्रा अवध एक्सप्रेस,बांद्रा -मुजफ्फपुर अवध एक्सप्रेस व साप्ताहिक अजीमाबदा एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन हो रहा है। जबकि पश्चिम एक्सप्रेस (डीलैक्स) गंगापुर सिटी वाया होंकर नहीं जा रही है। इस ट्रेन को सवाई माधेपुर जयपुर होकर अमृतसर तक संचालन किया जा रहा है।
डेली-अप डाउन करने वाले अब किराये के भवन में पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद हो जाने व गिनी -चुनी स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनों में बिना आरक्षण के नहीं बैठने से गंगापुर सिटी से सवाई माधोपुर व गंगापुर सिटी से हिण्डौन,बयाना भरतपुर तक डेली अप डाउन करने वाले लगभग 250 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को अब किराए का भवन लेकर उन्हें डयूटी करनी पड़ रही है। और उन्हें परिवार से दूर रहकर परेशानी उठानी पड़ रही है। यानी उनका खर्चा भी अब दुगुना हो गया है। दूसरी ओर जो गंगापुर से सवाई माधोपुर व दिल्ली तक माल आते थे। उन्हें भी परेशानी के संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
बस वालों की चांदी
पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से अब निजी बस संचालको की चांदी हो रही है। जहां 10 से लेकर 20 रुपए ट्रेन से जाने के लिए लगते थे। अब निजी बसों में उन्हें चौगना किराया देना पड़ रहा है। दूसरी और निजी बस वालों ने किराया भी मंहेगा कर दिया गया है। जिससें लोगों को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। वही स्टेशन अधीक्षक छुट्टन लाल मीना का कहना है कि पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं होने से रेलवे को राजस्व का करोडो का नुकसान हो रहा है।