ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के माध्यम से लाभप्रदता पर कान्फ्रेन्स आयोजित

ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के माध्यम से लाभप्रदता पर कान्फ्रेन्स आयोजित
जयपुर, सीआईआई द्वारा ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के माध्यम से लाभप्रदता पर शुक्रवार को वर्चुअल कान्फ्रेन्स का आयोजित हुई। इसमें मुख्य रूप से ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य और वितरण के क्षेत्र में निवेश के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं निजी क्षेत्र हेतु अवसरों पर सीआईआई हाइव प्लेटफार्म के माध्यम से चर्चा में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा अपने अनुभव व विचारों से अवगत कराया।
सीआईआई द्वारा ऊर्जा संरक्षण व दक्षता के माध्यम से लाभप्रदता के विषय पर आयोजित कान्फ्रेन्स के उद््घाटन सत्र में ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि सीआईआई द्वारा बहुत ही उपयुक्त एवं समयानुकुल विषय पर कान्फ्रेन्स आयोजित की गई है जिस के सभी प्रतिभागी उद्योग और अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ है। उन्हाेंने कहा की राज्य सरकार क्लीन एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस क्षेत्र में लगातार कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढावा देने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी का महत्वपूर्ण योगदान है। योजनाबद्ध तरीके से रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 40 गीगावाट स्थापित करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य हमने निर्धारित किया है।
डॉ. कल्ला ने कहा की ऊर्जा संरक्षण के लिए राजस्थान में जवाहर सागर, गांधी सागर एवं राणाप्रताप पावर स्टेशन स्थापित है। इसके साथ ही थर्मल पावर स्टेशनों की कुल क्षमता 21835.90 मेगावाट है। इसके अतिरिक्त 23 मेगावाट के मिनी माइक्रो हाइड्रो प्रोजेक्ट स्थापित है। डॉ. कल्ला ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया की संरक्षण का मतलब कुल उत्पादन में से लॉस कम करना होता है। हम ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन लॉस तथा बिजली चोरी को रोकने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे है। इसके साथ ही हमने विजिलेंस में पारदर्शिता के लिए एप बनाया है।
उन्होंने कहा कि मुख्य स्त्रोत रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र होगा, क्योंकि इसमें सूर्य की रोशनी बिना लागत के प्राप्त होती है। राजस्थान डिस्कॉम्स द्वारा सौर ऊर्जा की खरीद आरईआरसी द्वारा निर्धारित आरपीओ के अनुसार की जाएगी। राजस्थान के दूर-दराज के क्षेत्रों में दिन के साथ ही रात्रि के समय बिजली उपलब्ध करवाने हेतु लघु सौलर विन्ड हाइब्रिड सिस्टम की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे फ्यूल लागत में कमी आएगी और ग्रीन हाउस गैसेज के उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त राज्य द्वारा विन्ड सौलर हाइब्रिड पावर प्रोजेक्टस को विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में सौर ऊर्जा 4996.96 मेगावाट, पवन ऊर्जा 4337.66 मेगावाट, बायोमास एनर्जी 120.45 मेगावाट एवं रूफटॉप 356.80 मेगावाट सहित कुल स्थापित क्षमता 9811.85 मेगावाट है और वर्ष 2024 तक हम इसको और भी बेहतर करेंगे। इसके तहत वर्ष 2024-25 तक 32 हजार मेगावाट क्षमता के सौलर पावर प्रोजेक्टस की स्थापना का लक्ष्य है और इस लक्ष्य को अल्ट्रा मेगा सौलर पावर पार्क, किसानो के लिए लघु सौलर प्लान्टस और रूफटॉप एवं सौलर पम्पस लगाकर प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया की पिछले कुछ वर्षो में औद्योगिक एवं घरेलू उपयोग हेतु सौलर एनर्जी की डिमाण्ड काफी बढी है और इसकी लागत में भी धीरे-धीरे कमी आ रही है। लगभग 5-6 किलोवाट क्षमता का घरों पर रूफटॉप सिस्टम लगाने वालों के विद्युत बिल में 60 प्रतिशत की कमी आई है और इसकी लागत 3 साल में वसूल हो जाती है। इसके तहत जितनी बिजली उपयोग में नही आती है वह डिस्कॉम के ग्रिड में चली जाती है और उसकी राशि उपभोक्ता के बिल में कम हो जाती है।
उन्होंने कहा कि सौलर पावर के उपयोग के विभिन्न नवीनतम तरीकों के बारें में सुझाव दे और यह भी अवगत कराएं की इसकी उत्पादन एवं प्रसारण लागत कैसे कम की जा सकती है। उन्होने बताया की जैसलमेर में 925 मेगावाट नोख सौलर पार्क विकसित किया गया है। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में 8 हजार मेगावाट का विन्ड, सौलर, बायोमास पार्क स्थापित किया जाएगा। राज्य सरकार अल्ट्रामेगा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क की स्थापना के लिए एनटीपीसी और सौलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इण्ड़िया के साथ एक समझौता करेगी। उन्होनें कहा की सीमा पर बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए 40 करोड़ रूपये वार्षिक खर्च किया जाएगा, जो की रिन्यूएबल एनर्जी के साथ वर्तमान लागत का एक तिहाई हो जाएगा।
कान्फ्रेन्स में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री संजय मल्होत्रा, संयुक्त सचिव प्रसारण, भारत सरकार श्री मृत्यंजय कुमार एवं संयुक्त सचिव पावर, भारत सरकार श्री घनश्याम प्रसाद ने भी ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के बारें में अपने विचार रखे।