राजस्थान में कांग्रेस की फूट को भाजपा की फूट से ही ढंका जा सकता है।

राजस्थान में कांग्रेस की फूट को भाजपा की फूट से ही ढंका जा सकता है।
गुलाबचंद कटारिया को भाजपा विधायक दल के नेता पद से हटाने के लिए कैलाश मेघवाल का पत्र जयपुर और भरतपुर में मिली भाजपा की जीत पर पानी फेरने वाला है।
कैलाश मेघवाल पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के समर्थक हैं।
भाजपा ने गजेंद्र सिंह शेखावत को पंजाब का चुनाव प्रभारी बनाया। पंजाब में भाजपा के सिर्फ दो विधायक हैं।
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राजस्थान के 6 जिलों के लिए जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा तीन जिलों में सफल रही। भरतपुर में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र को ऐन कौके पर भाजपा में शामिल करवा कर जिला प्रमुख बनवाया, वहीं जयपुर में कांग्रेस के बहुमत के बाद भी भाजपा की जिला प्रमुख बनीं। भाजपा अभी इस जीत का जश्न मना ही रही थी कि 7 सितम्बर को भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल ने इस जीत और जश्न पर पानी फेर दिया। मेघवाल ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को पत्र लिखकर मांग की कि गुलाबचंद कटारिया को विधायक दल के नेता पद से हटाया जाए। मेघवाल ने कहा कि 9 सितम्बर को विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले जब भाजपा विधायक दल की बैठक होगी, तब वे कटारिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखेंगे। मेघवाल ने कटारिया को भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाला नेता बताया। मेघवाल के इस पत्र से प्रदेश में भाजपा की फूट सार्वजनिक हुई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मेघवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और वे विधानसभा अध्यक्ष रहने के साथ साथ केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। ये वही मेघवाल है जिन्होंने कांग्रेस के शासन में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह को जालौर संसदीय क्षेत्र से हराकर देश भर में प्रसिद्धि पाई थी। लेकिन मेघवाल का यह पत्र कांग्रेस की फूट को ढंकने वाला है। सब जानते हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का गुट आमने सामने हैं। जयपुर जिला प्रमुख पद के चुनाव में भी कांग्रेस आपसी फूट के कारण ही हारी। इसको लेकर कांग्रेस में अभी सिर फुटव्वल चल ही रही थी कि कैलाश मेघवाल ने भाजपा की फूट भी सामने रख दी। यानि राजस्थान में कांग्रेस में ही फूट नहीं है बल्कि भाजपा में भी है। मेघवाल को पूर्वसीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है, लेकिन गत विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से ही वसुंधरा राजे को प्रदेश की राजनीति से अलग रखा गया है। राष्ट्रीय नेतृत्व का यह निर्णय राजे और उनके समर्थकों को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि जब जब भी भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को कोई सफलता मिलती है तब तब राजे के समर्थक नया विवाद खड़ा कर देते हैं। इससे पहले भी भाजपा के विधायकों को विधानसभा में बोलने नहीं देने का मुद्दा उठाकर 20 विधायकों ने पत्र लिखा था। वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन पर भी शक्ति प्रदर्शन किया था। भाजपा की यह फूट आने वाले दिनों में भी दिखती रहेगी। 9 सितम्बर को जयपुर में जब भाजपा विधायक दल की बैठक होगी तो राजे के समर्थक हंगामा करने का पूरा प्रयास करेंगे। हालांकि मेघवाल का पत्र सार्वजनिक होने के बाद प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि भाजपा के सभी विधायक कटारिया के साथ खड़े हैं। देखना होगा कि भाजपा के इस अंतर्कलह पर राष्ट्रीय नेतृत्व क्या निर्णय लेता है।
शेखावत पंजाब के प्रभारी:
जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पंजाब का चुनाव प्रभारी बनाया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 8 सितम्बर को पांच राज्यों के चुनाव प्रभारी घोषित किए हैं। इन पांचों राज्यों में अगले वर्ष मार्च में विधानसभा के चुनाव होने हैं। यूपी के लिए केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, उत्तराखंड के लिए प्रहलाद जोशी, मणिपुर के लिए भूपेन्द्र यादव को प्रभारी बनाया गया है। जबकि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फणनवीस गोवा के प्रभारी होंगे। तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब ही किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र है। ऐसे में शेखावत को प्रभारी बनाया जाना राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखता है। लेकिन पंजाब में मौजूदा समय में भाजपा के मात्र दो विधायक हैं। यहां कुल विधायकों की संख्या 117 है। इनमें से 90 कांग्रेस के हैं।