ब्यावर के निलंबित डीएसपी हीरालाल सैनी के अश्लील वीडियो प्रकरण में राजस्थान पुलिस की भी पोल खुली।

ब्यावर के निलंबित डीएसपी हीरालाल सैनी के अश्लील वीडियो प्रकरण में राजस्थान पुलिस की भी पोल खुली।

आखिर किसके दबाव में नागौर के चितावा के थानाधिकारी ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। क्या दबाव डालने वालों के तार सीएमआर से जुड़े हैं? एटीएस के एडीजी अशोक राठौड़ का बयान बहुत महत्त्वपूर्ण है।

उदयपुर के अनंता रिसोर्ट से हुई सैनी की गिरफ्तारी।

अजमेर के ब्यावर उपखंड के निलंबित डीएसपी हीरालाल सैनी के अश्लील वीडियो प्रकरण में राजस्थान की जांच एजेंसी एटीएस के एडीजी अशोक राठौड़ का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। राठौड़ के इस बयान से पूरे पुलिस सिस्टम की पोल खुलती है। राठौड़ ने कहा है कि जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल के पति और वीडियो में नजर आ रहे 6 वर्षीय मासूम बालक के पिता ने जो शिकायत दी थी उस पर 10 अगस्त को नागौर के पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह ने चितावा के थानाधिकारी प्रकाश चंद मीणा को मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे, लेकिन एसपी के निर्देशों की पालना नहीं हुई। सवाल उठता है कि क्या कोई थानाधिकारी अपने दम पर एसपी के निर्देशों की अवहेलना कर सकता है? सब जानते हैं कि पुलिस सिस्टम में जिले में पुलिस अधीक्षक ही सर्वेसर्वा होता है। अब यदि कोई थानाधिकारी अपने ही एसपी का आदेश नहीं माने तो जाहिर है कि ऐसे थानाधिकारी को एसपी से ज्यादा ताकतवर अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। निलंबित डीएसपी सैनी के प्रकरण में उल्लेखनीय बात यह है कि सैनी पिछले तीन वर्षों से भी ज्यादा समय से ब्यावर में ही नियुक्त हैं। सैनी की नियुक्ति पिछले भाजपा शासन में हुई थी, लेकिन कांग्रेस का राज आने के बाद भी सैनी का ब्यावर से तबादला नहीं हुआ। सवाल उठता है कि ऐसा कौन सा ताकतवर अधिकारी है जिसने कांग्रेस के शासन में भी सैनी को ब्यावर जैसे महत्त्वपूर्ण उपखंड में तैनात रखा? जानकार सूत्रों के अनुसार सीएमआर में तैनात एक अधिकारी के संरक्षण के कारण ही सैनी ब्यावर में लंबे अर्से से तैनात रहे हैं। प्रदेश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण में इस अधिकारी का दखल होता है। इस अधिकारी पर सीएम अशोक गहलोत को भी भरोसा है, लेकिन सीएम कभी गलत अधिकारी को संरक्षण देने के पक्ष में नहीं रहते हैं। सूत्रों के अनुसार सैनी को ब्यावर से हटाने के लिए ब्यावर के कांग्रेस नेताओं ने भी पत्र लिखे। इन पत्रों में सैनी की कारगुजारियों का उल्लेख भी किया गया, लेकिन दबंग अधिकारी के संरक्षण के कारण सैनी की तैनाती ब्यावर में बनी रही। अब जब एडीजी अशोक राठौड़ ने कहा है कि चितावा के थानाधिकारी प्रकाश चंद ने एसपी के निर्देशों का पालन नहीं किया तो उस अधिकारी के क्रियाकलापों की भी जांच होनी चाहिए जो हीरालाल सैनी जैसे पुलिस अधिकारियों को संरक्षण देते हैं। यदि संरक्षण नहीं होता तो चितावा के थानाधिकारी प्रकाशचंद मीणा की इतनी हिम्मत नहीं होती कि वे अपने ही एसपी के आदेशों की अवहेलना करें। आरोप तो यह भी है कि संबंधित महिला कांस्टेबल के पति की शिकायत के बाद कुचामन सिटी के डीएसपी मोटाराम बेनीवाल ने मामले को गुपचुप में ही निपटाने के प्रयास किए। सवाल उठता है कि बेनीवाल को मामले को निपटाने के लिए किसने कहा? यह बात अलग है कि अब बेनीवाल इस मामले में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता करने से इंकार कर रहे हैं। लेकिन बेनीवाल ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि शिकायती पत्र को मार्क कर एसपी साहब ने चितावा थाने को भेजा था। यह शिकायती पत्र एसपी ऑफिस से सीधे थाने पर ही पहुंचा था।
इसलिए है मामला गंभीर:
असल में ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी और जयपुर कमिश्नरेट में तैनात एक महिला कांस्टेबल का स्विमिंग पूल वाला अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से ही राजस्थान पुलिस की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस मामले में गंभीर बात यह भी है कि डीएसपी और महिला कांस्टेबल की अश्लील हरकत महिला के 6 वर्षीय मासूम पुत्र के सामने ही हो रहे हैं। इसलिए पुलिस ने अब दोनों के विरुद्ध पोक्सो और आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है। 9 सितंबर की रात को एटीएस ने निलंबित डीएसपी सैनी को उदयपुर स्थित अनंता रिसोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के समय महिला कांस्टेबल और उसका पुत्र भी रिसोर्ट में ही था। लेकिन मासूम बच्चे को देखते ही महिला को गिरफ्तार नहीं किया गया। अब सैनी को जयपुर लाया गया है। इस मामले की जांच एसओजी यानी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा की जा रही है। सैनी का कहना है कि वे उस महिला को जानते तक नहीं है जो वीडियो में दिखाई गई है।