राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020  ध्वनिमत से पारित युवाओं का उन्नत कृषि एवं पशुपालन की ओर रुख, राजस्थान की गायों की केरल तक मांग: पशुपालन मंत्री

राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020  ध्वनिमत से पारित
युवाओं का उन्नत कृषि एवं पशुपालन की ओर रुख, राजस्थान की गायों की केरल तक मांग ः पशुपालन मंत्री
जयपुर, 14 सितम्बर। राज्य विधानसभा ने मंगलवार को राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले पशुपालन मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद श्री कटारिया ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां खेती एवं पशुपालन का विशेष महत्व है, लेकिन दोनों की तरफ ही लोगों का रूझान कम हो रहा है, हालांकि कोविड के बाद युवाओं की सोच में बदलाव आया है और वह उन्नत कृषि एवं पशुपालन की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा, पंजाब एवं केरल तक के पशुपालक राजस्थान से लाखों रुपए कीमत की गिर एवं थारपारकर जैसी नस्ल की गायें खरीदकर ले जा रहे हैं। राज्य के एक प्रगतिशील पशुपालक ने पिछले एक साल में केरल के पशुपालकों के साथ 56 लाख रुपए का गायों का ऑनलाइन व्यापार किया है।

श्री कटारिया ने बताया कि राज्य सरकार पशु चिकित्सकों एवं अन्य कार्मिकों के रिक्त पदों को भरने का पूरा प्रयास कर रही है। पशु चिकित्सा सहायकों की भर्ती की गई है। पशु चिकित्सकों के 900 पदों के लिए भर्ती परीक्षा हो चुकी है, लेकिन प्रक्रिया न्यायालय में अटकी हुई है। तात्कालिक राहत देने के लिए 300 चिकित्सकों की अर्जेन्ट टेम्परेरी बेस्ड भर्ती की गई है।
पशुपालन मंत्री ने विधेयक के उद्देश्यों और कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 में कुलपति को उन परिस्थितियों में हटाने का कोई प्रावधान नहीं है, जहां वह इस अधिनियम के उपबन्धों का क्रियान्वयन करने में जानबूझकर लोप या इन्कार करता है या उसमें निहित शक्तियों का दुरूपयोग करता है या जहां कुलाधिपति को यह प्रतीत होता है कि उसका पद पर बना रहना विश्वविद्यालय के हित के लिए हानिकारक है। ऎसी परिस्थितियों में कुलाधिपति को राज्य सरकार के परामर्श से कुलपति को हटाने के लिए सशक्त किया जाना प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 13 जून, 2013 के नोटिफिकेशन के तहत भी सारे विश्वविद्यालयों में एकरूपता के लिए मॉडल एक्ट का प्रावधान है। राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 में जो संशोधन प्रस्तावित है, ऎसे ही संशोधन राजस्थान विधानसभा के द्वितीय सत्र में एक साथ राजस्थान के 11 अन्य विश्वविद्यालयों एवं एक तकनीकी विश्वविद्यालय के अन्दर कुलपति की अर्हताएं क्या होगी, उसको लेकर यह संशोधन पारित किया गया कि कुलपति के रूप में नियुक्त किये जाने के लिए कोई व्यक्ति पात्र नहीं होगा, जब तक वह किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में आचार्य के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव रखने वाला या किसी प्रतिष्ठा शोध और शैक्षणिक, प्रशासनिक संगठन के किसी समकक्ष पद पर अनुभव रखने वाला और सक्षमता, सत्यनिष्ठा और नैतिक आधार तथा संस्थानिक प्रतिबद्धता के उच्च स्तर वाला प्रख्यात शिक्षाविद् नहीं होगा। ठीक इस तरह का संशोधन राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 में प्रस्तावित है।
श्री कटारिया ने बताया कि यह विधेयक अनावश्यक रूप से कुलपति को नहीं हटा रहा। इसके लिए नियमानुसार जांच होगी, बाकायदा प्रक्रिया तय होगी, कोई अनियमिता सामने आती है तो निलम्बित किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की पूर्ण पक्षधर है परन्तु निरंकुशता, अनियमितता, पक्षपात, ऎसी स्थितियां अगर उत्पन्न हो जाती है, कुलपति द्वारा अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया जाता है, कुलपति विश्वविद्यालय के नियमों के तहत कार्य नहीं करें, तब जाकर कुलपति को हटाने की बात आती है।