सरकार ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन की संम्भावना बढ़ाने को लेकर गम्भीर

सरकार ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन की संम्भावना बढ़ाने को लेकर गम्भीर
मुख्य सचिव ने ली ‘राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम ‘‘ को लेकर बैठक
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होंगे गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाई, कैम्पिंग साइट तथा कैरावेन पार्क
जयपुर, 20 सितम्बर। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन की सम्मभावना बढाने को लेकर गम्भीर है, पर्यटन नीति-2020 में भी ग्रामीण पर्यटन को बढाना देने पर फोकस किया गया है। इसी के तहत मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य की अध्यक्षता में सोमवार को शासन सचिवालय में ‘राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम ‘‘ को लेकर बैठक आयोजित हुई। बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलने से स्थानीय हस्तकलाओं, दस्तकारियों, नृृत्यों एवं संगीत को व्यापक प्रचार -प्रसार मिलने के साथ ही ग्रामीण लोगों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर प्राप्त होने की सम्भावना बढेगी।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढवा देने के साथ-साथ गॉवों की सभ्यता संस्कृति पर कोई विपरीत प्रभाव ना पडे़,  इसके लिए स्कीम में स्पष्ट एडवाइजरी जारी की जानी चाहिए। इसके साथ ही इको सेन्सेटिव क्षेत्र में आने वाले पर्यटन भवनों पर वन एवं पर्यावरण विभाग के सभी नियमों का सख्ती से पालन करवाना सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने प्रजेंटेशन के माध्यम ‘‘राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम‘‘ के प्रारूप को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इस स्कीम का मुख्य उदेश्य ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश एवं रोजगार का सृजन करने के साथ वहां के हस्तशिल्प व स्थानीय उत्पादों का संरक्षण व प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि ग्रामीण पर्यटन विकसित होने से स्थानीय समुदाय की संस्कृति को लोग पहचान सकेंगे साथ ही राज्य के पारंपरिक खेलों को भी बढावा मिलने की सम्भावनाएं बढेंगी।
राजस्थान ग्रामीण पर्यटन प्रोत्साहन स्कीम के तहत चार युनिट्स होंगी स्थापित –
गेस्ट हाउस
ग्रामीण क्षेत्रों में 6 से 20 कमरों तक पर्यटको को अस्थायी आवास एवं भोजन की सुविधा मिलेगी। यहां आवास मालिक या मैनेजर को परिवार सहित रहना आवश्यक होगा।
कृषि पर्यटन इकाई 
यह कृषि, व्यावसायिक एवं औद्योगिक भूमि एवं न्यूनतम 2 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर स्थापित की जा सकेगी। इसके 20 प्रतिशत भाग पर निर्माण की अनुमति होगी। शेष 80 प्रतिशत भूमि ऊंट -घोड़ा फार्म, गौशाला, फसल आदि ग्रामीण परिवेश के लिए उपयोग में ली जा सकेगी।
कैम्पिंग साइट 
इसके लिए कृषि, व्यावसायिक एवं औद्योगिक भूमि पर अनुमती  होगी। न्यूनतम क्षेत्रफल 1 हैक्टेयर के 10 प्रतिशत भाग पर निर्माण की अनुमति होगी तथा 80 प्रतिशत भाग ऊंट फार्म, घोडा फार्म, फसल, पशुधन, बगीचे, ग्रामीण परिवेश हेतु उपयोग में लिए जा सकेंगे।
कैरावेन पार्क 
पर्यटकों द्वारा मोबाईल वैन को पार्क करने के लिए कैरावेन पार्क स्थापित होंगे। यह न्यूनतम 1 हैक्टेयर क्षेत्रफल की कृषि, व्यावसायिक एवं औद्योगिक भूमि पर बनाये जा सकेंगे। यहां पर्यटकोें के लिए खाना पकाने खाना खाने एवं सुविधाओं के निर्माण की अनुमति होगी। कैरावेन  वाहन पार्क करते समय वैन में पर्यटकों की उपस्थिति आवश्यक होेगी।
यह सभी ट्यूरिज्म यूनिट्स कम से कम 10 फीट चौड़ी सडक पर ही अनुमत होंगी।
बैठक में पर्यटन विभाग के निदेशक श्री निशान्त जैन सहित विभिन्न विभागों के प्रमुख शासन सचिवो, सचिवो तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने विडियो कान्फ्रेंस  के माध्यम से भाग लिया।