100 करोड़ रुपए की उगाही करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की आखिर REET परीक्षा में क्या भूमिका है?

100 करोड़ रुपए की उगाही करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की आखिर रीट परीक्षा में क्या भूमिका है?
परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र, ओएमआर शीट आदि पहुंचाने तक का कार्य ठेके पर है। गड़बडिय़ों की आशंका के मद्देनजर खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने परीक्षा की कमान संभाली।
इंटरनेट बंद होने से लोगों को परेशानी होगी।
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24 सितंबर को दैनिक समाचार पत्रों में छपा कि 23 सितंबर को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली ने बोर्ड के अजमेर मुख्यालय से रीट परीक्षा की सामग्री रवाना की। सवाल उठता है कि आखिर बोर्ड ने परीक्षा की कौन सी सामग्री रवाना की?
रीट परीक्षा की जिम्मेदारी बोर्ड के पास ही है। बोर्ड को अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क के नाम पर 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई हुई है। बोर्ड रीट परीक्षा को लेकर भले ही वाहवाही लूटे, लेकिन परीक्षा का अधिकांश काम ठेके पर दे रखा है। परीक्षा आवेदन से लेकर प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट छपवाने तथा फिर प्रदेश के चार हजार परीक्षा केंद्रों पर भेजने तक का कार्य ठेके पर है। संबंधित ठेकेदार ने प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट छापकर जिला मुख्यालयों पर भिजवा भी दिए हैं। ऐसे में बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने कौन सी परीक्षा सामग्री रवाना की?
बोर्ड ने परीक्षा सामग्री रवाना करने का सिर्फ दिखावा किया। जानकारों की माने तो बोर्ड ने सिर्फ उपस्थिति प्रपत्र रवाना किए हैं। लेकिन वाहवाही ऐसी लूटी जा रही है जैसे लगे कि बोर्ड बहुत काम कर रहा है। बोर्ड अध्यक्ष ने हाल ही में दावा किया कि वे परीक्षा के 15वें दिन रीट का परिणाम घोषित कर देंगे। इसमें बोर्ड अध्यक्ष की कोई काबिलियत नहीं है, क्योंकि परीक्षा की ओएमआर शीट सुपर कम्प्यूटर पर जांची जाएगी। 26 लाख ओएमआर शीट मुश्किल से एक सप्ताह में कंप्यूटर पर जांची जाएगी। यह सुपर कम्प्यूटर भी ठेकेदार ने बोर्ड में लगाए हैं। परीक्षा आवेदन से लेकर ओएमआर शीट जांचने तक का कार्य ठेकेदार पर है। रीट परीक्षा का सरा काम ठेके पर देने के बाद भी परीक्षा में गड़बउिय़ां होने की आशंका है, इसलिए परीक्षा की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल ली है। 26 सितंबर को होने वाली रीट परीक्षा के लिए गहलोत पिछले दो दिनों से प्रतिदिन आला अधिकारियों की बैठक कर रहे हैं। गहलोत ने साफ कहा कि रीट परीक्षा में कोई गड़बड़ी होने पर संबंधित जिले के कलेक्टर और एसपी को जिम्मेदार माना जाएगा। हालांकि परीक्षा का आयोजन शिक्षा बोर्ड कर रहा है, लेकिन इसे गहलोत ने अपनी सरकार की प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। चूंकि 16 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा एक ही दिन हो रही है, इसलिए प्रदेशभर में अफरा तफरी मची हुई है। सवाल यह भी है कि रीट परीक्षा को एक ही दिन में क्यों करवाया जा रहा है? जब अभ्यर्थी परीक्षा के लिए दूसरे जिले में भेजा जा रहा है तो यह परीक्षा तीन चार दिन में भी करवाई जा सकती थी। एक तरफ संचार क्रांति और कम्प्यूटर की नई तकनीक का दावा किया जाता है तो दूसरी तरफ 16 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा पुराने ढर्रे पर ही करवाई जाती है।
नेट बंद होने से परेशानी:
हालांकि सरकार ने अभी प्रदेशभर में 26 सितंबर को इंटरनेट बंद करने की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिला स्तर पर प्रशासन ने नेटबंदी के आदेश जारी किए हैं। यदि प्रदेशभर में नेटबंदी होती है तो इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इंटरनेट बंद होने से सरकारी विभागों कामकाज ठप हो जाता है। हालांकि 26 सितंबर को रविवार के अवकाश की वजह से कार्यालय बंद रहेंगे, लेकिन दुकानों पर भी ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए नेट की जरूरत होती है। लोग मोबाइल के माध्यम से भी अपना काम करते हैं। इंटरनेट अब सामान्य व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन गया है। सरकार जब नकल रोकने के व्यापक प्रबंध कर रही है तब प्रदेशभर में नेटबंद नहीं किया जाना चाहिए।