क्या रघु शर्मा सीएम अशोक गहलोत के दूत बनकर राहुल गांधी से मिले?

क्या रघु शर्मा सीएम अशोक गहलोत के दूत बनकर राहुल गांधी से मिले?
सचिन पायलट से ज्यादा रघु शर्मा की मुलाकात का महत्व है। राजस्थान में कांग्रेस और सरकार में बदलाव की अटकलें तेज।
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भले ही पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला अभी सुलझ नहीं पाया हो, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस और सरकार में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। 24 सितंबर को सीएम अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी नेता पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और राहुल गांधी की दिल्ली में मुलाकात हुई। पायलट से मुलाकात करने से पहले राहुल गांधी ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से भी अकेले से बात की। सवाल उठता है कि आखिर रघु शर्मा ने किस उद्देश्य से राहुल गांधी से मुलाकात की। राहुल गांधी से कोई नेता यूं ही नहीं मिल सकता। राहुल की सहमति होने पर ही मिला जा सकता है। रघु शर्मा इतने बड़े नेता भी नहीं है कि जब चाहे, तब राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच जाएं। जानकार सूत्रों के अनुसार रघु की राहुल गांधी से मुलाकात तय करवाने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका रही है। गहलोत स्वास्थ्य कारणों से अभी दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए रघु शर्मा को राहुल गांधी से मिलने भेजा। पिछले एक सप्ताह में राहुल गांधी ने सचिन पायलट से दो बार मुलाकात की और 23 सितंबर को ही पायलट ने जयपुर में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की। इन मुलाकातों ने ही सीएम गहलोत की चिंता बढ़ाई है। ऐसे में रघु की मुलाकात को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा हे। जहां तक पायलट की मुलाकात का सवाल है तो अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में संगठन और सरकार में बदलाव करेगा। भले ही गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए, लेकिन मंत्रियों का चयन आला कमान ही करेगा। यानी मंत्रियों और उनके विभागों में मुख्यमंत्री की एकतरफा नहीं चलेगी। पंजाब के बाद कांग्रेस आला कमान राजस्थान को भी बहुत गंभीरता से ले रहा है। सीएम गहलोत के पास 32 विभागों का काम होने को भी आलाकमान ने गंभीर माना है। एक तरफ कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत अस्वस्थ हैं। , लेकिन वहीं उनके पास गृह, वित्त, जैसे मंत्रालय होने के साथ साथ 32 विभागों का भी दायित्व है। सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा वाले विभाग भी पिछले एक वर्ष से गहलोत के पास ही हैं। आला कमान चाहता है कि गहलोत के पास सिर्फ मुख्यमंत्री का ही दायित्व हो। संगठन और सरकार का चलाने में सचिन पायलट की भूमिका को बढ़ाने पर आला कमान रणनीति बना रहा है। पिछले डेढ़ वर्ष से गहलोत की कांग्रेस आला कमान यानी श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से रूबरू मुलाकात नहीं हुई है। अशोक गहलोत की एंजियोप्लास्टी होने के बाद भी गांधी परिवार का कोई भी सदस्य कुशलक्षेम पूछने जयपुर नहीं आया। जबकि गहलोत को गांधी परिवार का सदस्य ही माना जाता है। अब जब दिल्ली में राहुल गांधी और सचिन पायलट की लगातार मुलाकातें हो रही हैं, तब यह देखने की बात है कि गहलोत की क्या प्रतिक्रिया आती है। सूत्रों की मानें तो पायलट और सीपी जोशी की मुलाकात से भी गहलोत खुश नहीं है। गहलोत को इस बात की भी नाराजगी बताई जाती है कि मुलाकात से पहले सीपी जोशी ने उनकी सहमति नहीं ली। यह बात अलग है कि सीपी जोशी अपने मिजाज के हैं और पहले भी सीपी जोशी और गहलोत में विवाद रह चुका है।