उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने किया नवनिर्मित एडीआर भवन का लोकार्पण

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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश  ने किया नवनिर्मित एडीआर भवन का लोकार्पणजयपुर, 9 अक्टूबर।  जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर महानगर प्रथम, जयपुर महानगर द्वितीय एवं जयपुर जिला हेतु नवनिर्मित एडीआर भवन का लोकार्पण शनिवार को उच्चतम न्यायालय के  न्यायाधिपति  श्री यू. यू. ललित ने किया। जयपुर के बनीपार्क में निर्मित इस भवन के शिलान्यास समारोह में उच्चतम न्यायालय के  न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी,  राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री इन्द्रजीत माहांती,  राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री संगीत लोढ़ा एवं  एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधिपतिगण, पुलिस व प्रशासन के अतिथिगण, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर महानगर एवं जयपुर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्षगण आदि की उपस्थिति में किया गया। नवनिर्मित एडीआर भवन में स्थायी लोक अदालत, मध्यस्थता केन्द्र एवं जिला विधिकि सेवा प्राधिकरण के कार्यालय संचालित होंगे। माननीय कार्यकारी अध्यक्ष, नालसा के द्वारा रूचि लेते हुए नवनिर्मित भवन का अवलोकन भी किया गया। तत्पश्चात् बालकों के खिलाफ हिंसा के प्रति बाल संरक्षण प्रणाली विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन यूनीसेफ के सहयोग से राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण  द्वारा  किया गया, जिसमें स्वागत संबोधन में न्यायाधिपति श्री संगीत लोढ़ा, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिया गया। उक्त संबोधन में माननीय न्यायाधिपति ने कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि  न्यायाधिपति श्री यू.यू. ललित, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि माननीय न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी, न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय एवं माननीय मुख्य न्यायाधिपति श्री इन्द्रजीत महान्ति, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का तहे दिल से स्वागत करते हुए उक्त संगोष्ठी के विषय में आम जानकारी दी।  मुख्य न्यायाधिपति श्री इंद्रजीत माहंती के द्वारा विद्यालयों में लीगल लिटरेसी क्लब स्थापित करने तथा प्रत्येक विधिक सेवा प्राधिकरण के फ्रंट ऑफिस में ऎसा हॉटलाइन नम्बर स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया जहां पर व्यथित बालक सम्पर्क कर अपनी व्यथा व्यक्त कर सके।विशिष्ट अतिथि माननीय न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी, द्वारा एक ऎसा निरोधात्मक ढांचा तैयार करने पर बल दिया जिससे कि इस प्रकृति के अपराधों पर रोक लग सके।संगोष्ठी के मुख्य अतिथि माननीय न्यायाधिपति श्री यू. यू. ललित, द्वारा अपने अनुभवों को साझाा करते हुए यह जाहिर किया गया कि अभी भी सामाजिक कलंक के कारण बालकों के साथ खराब व्यवहार से सम्बंधित मामलों की रिपोर्टिग कम होती है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि ऎसे मामलों में एक न्यायिक अधिकारी का यह दायित्व बनता है कि वह सम्पूर्ण मामले को अन्वेषण के प्रक्रम से विचारण तक मोनिटरिंग करे। उनके द्वारा इस पर भी बल दिया गया कि पीड़ित के बयान लेख बद्ध करने में अनावश्यक देरी नही होनी चाहिए क्योंकि पीड़ित एक कोमल मन वाला बच्चा होता है जिसे बार बार उस दुःस्वप्न से गुजारना उसके मानसिक विकास के बाधक है।इस संगोष्ठी में अन्य सम्माननीय वक्ताओं के द्वारा भी पोक्सों एक्ट के संबंध में अपना व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए पोक्सो अधिनियम के प्रकरणों की सुनवाई में आने वाली चुनौतियों के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए पीड़ित की समस्या को कम करने एवं उसे सामान्य जीवन जीने हेतु प्रोत्साहित करने के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा कर उन चुनौतियों को दूर करने हेतु समाधान भी बताए गए।