तो क्या पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राजनीतिक यात्रा भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए है? चार दिन में एक करोड़ रुपया तो हेलीकॉप्टर पर ही खर्च हो जाएगा।

तो क्या पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राजनीतिक यात्रा भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए है? चार दिन में एक करोड़ रुपया तो हेलीकॉप्टर पर ही खर्च हो जाएगा।
यात्रा के बहाने शक्ति प्रदर्शन की कोशिश। अजमेर के प्रोग्राम सफल बनाने के लिए पूर्व मंत्री सराफ ने डेरा जमाया।
पुष्कर तीर्थ को दुल्हन की तरह सजाएंगे पालिकाध्यक्ष कमल पाठक।
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राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 23 नवंबर से चित्तौड़ के सांवलिया सेठ मंदिर से जो राजनीतिक यात्रा शुरू की, उसका समापन 26 नवंबर को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत और पुष्कर तीर्थ में ब्रह्मा मंदिर में दर्शन के साथ होगा। राजे इस यात्रा को सड़क मार्ग से करने के बजाए हवाई मार्ग से कर रही है, इसलिए उनके साथ एक निजी कंपनी का डबल इंजन वाला हेलीकॉप्टर है। चार दिनों का इस हेलीकॉप्टर का किराया एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। चूंकि राजे राजस्थान के धौलपुर राजघराने की प्रमुख है, इसलिए एक करोड़ रुपए की राशि राजनीति पर खर्च हो जाने के कोई मायने नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि वसुंधरा राजे इस यात्रा को क्यों निकाल रही हैं? क्या यह यात्रा नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के नेतृत्व वाली भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव डालने के लिए है? भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने राजे की यात्रा का कोई अधिकृत प्रोग्राम जारी नहीं किया है। जब किसी बड़े नेता की ऐसी राजनीतिक यात्रा निकलती है तो संगठन स्तर पर प्रोग्राम जारी होता है। सब जानते हैं कि राजे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। यदि संगठन स्तर पर यात्रा होती तो संगठन स्तर पर प्रोग्राम भी जारी होता। चूंकि राजे अपने स्तर पर यात्रा निकाल रही हैं, इसलिए यह माना जा रहा है कि यह राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए है। सूत्रों की मानें तो राजे राजस्थान में फिर से भाजपा की कमान चाहती हैंं, जबकि हकीकत यह है कि 2018 के चुनाव में वसुंधरा राजे के चेहरे की वजह से ही भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जिस भाजपा ने 2013 के चुनाव में 200 में से 162 सीटें जीती, वही भाजपा वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए 2018 में 72 सीटों पर सिमट गई। लेकिन जब छह माह बाद नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर लोकसभा का चुनाव लड़ा गया तो राजस्थान में 25 में से 24 सीटों पर भाजपा उम्मीद जीते। नागौर की सीट पर भी हनुमान बेनीवाल को भाजपा ने समर्थन दिया था। लोकसभा चुनाव में राजे की कोई भूमिका नहीं थी। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजे का सम्मान बनाए रखने के लिए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया, लेकिन राजे ने आज तक उपाध्यक्ष पद पर सक्रियता नहीं दिखाई। राजे की रुचि राजस्थान की राजनीति में ही है। राजे पिछले दिनों अपने जन्मदिन पर भी शक्ति प्रदर्शन कर चुकी हैं। जब जन्मदिन वाले शक्ति प्रदर्शन का राष्ट्रीय नेतृत्व पर कोई असर नहीं हुआ तो राजे अब सांवलिया सेठ से ब्रह्माजी के मंदिर तक की चार दिवसीय यात्रा कर रही हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब राजे धार्मिक यात्रा कर रही हैं, तभी संगठन स्तर पर चिंतन बैठक हो रही हैं। इन बैठकों में 2023 में होने वाले चुनावों की रणनीति बनाई जा रही है। इन बैठकों में प्रभारी महासचिव अरुण सिंह, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, संगठन महासचिव चंद्रशेखर आदि भाग ले रहे हैं। ऐसी चिंतन बैठकें सभी 34 संगठनात्मक जिलों में हो रही है। जहां तक राजे की यात्रा में भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों के जुटने का सवाल है तो राजे 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहीं हैं। राजे का प्रभाव तो है ही। लेकिन यह प्रभाव पार्टी के काम आने के बजाए स्वयं के लिए काम आ रहा है। सूत्रों की माने तो राजे की इस यात्रा से भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व खुश नहीं है। सूत्रों का कहना है कि विगत दिनों जब केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा निकली थी, तब राजे ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। इतना ही नहीं कोरोना काल में जब भाजपा के कार्यकर्ता जरूरतमंद लोगों के मददगार थे, तब भी राजे अपने धौलपुर वाले राज निवास और दिल्ली स्थित धौलपुर हाऊस में विश्राम कर रही थीं। अब दिवंगत भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के निवास पर जाकर संवेदना प्रकट करने का दिखावा कर रही है। राजे की इस यात्रा से कांग्रेस को भाजपा पर हमला करने का अवसर भी मिल गया है। कांग्रेस राजे की यात्रा को भाजपा में गुटबाजी से जोड़ कर देख रही है।
सराफ का अजमेर में डेरा:
वसुंधरा राजे की यात्रा के प्रोग्रामों में किस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं को एकत्रित किया जा रहा है, इसका अंदाजा पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के अजमेर में ठहराव से लगाया जा सकता है। सराफ 23 नवंबर को ही अजमेर आ गए हैं और 26 नवंबर को यात्रा की समाप्ति पर ही जयपुर लौटेंगे। जिला प्रशासन से राजे के हेलीकॉप्टर की अनुमति लेने से लेकर राजे के स्वागत सत्कार आदि की सभी तैयारियां सराफ कर रहे हैं। सराफ का प्रयास है कि राजे के साथ भाजपा के कार्यकर्ता अधिक से अधिक रहे। शहर भाजपा अध्यक्ष डॉ. प्रियशील हाड़ा के पिता के निधन पर राजे शोक प्रकट करने जाएंगी। इसी प्रकार भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी के भाई और भाभी के निधन पर भी राजे शोक प्रकट करेंगी। ख्वाजा साहब की दरगाह में भी राजे के शानदार इस्तकबाल की तैयारियां की जा रही है।
दुल्हन की तरह सजेगा पुष्कर:
पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक राजे के पक्के समर्थक हैं। यही वजह है कि 26 नवंबर को राजे के आगमन पर पुष्कर को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। पाठक ने बताया कि पुष्कर में राजे का ऐतिहासिक स्वागत किया जाएगा। मुख्यमंत्री रहते हुए राजे ने पुष्कर का बहुत विकास किया है। तय कार्यक्रम के अनुसार राजे दोपहर तीन बजे मेला मैदान पर बने अस्थाई हेलीपैड पर उतरेंगी और अपने परिवार के पुश्तैनी ग्वालियर घाट और सरोवर के घाट पर पूजा अर्चना करेंगी। ब्रह्मा मंदिर में दर्शन के बाद राजे सड़क मार्ग से अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए जाएंगी। इसके साथ राजे की चार दिवसीय यात्रा का समापन हो जाएगा। राजे का अजमेर से जयपुर लौटने का कार्यक्रम है।