सीडीएस बिपिन रावत पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में राजस्थान के टोंक से जव्वाद खान गिरफ्तार।

सीडीएस बिपिन रावत के निधन पर दुश्मनों को खुश होने का मौका नहीं दे भारतीय मीडिया। रिपोर्टिंग में सावधानी बरतने की जरुरत।
सीडीएस बिपिन रावत पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में राजस्थान के टोंक से जव्वाद खान गिरफ्तार।
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10 दिसंबर को देश के प्रमुख अखबारों में छपा है और न्यूज़ चैनलों में भी प्रसारित किया जा रहा है कि 8 दिसंबर को जब सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ तो स्थानीय लोगों ने हमारे सैन्य प्रमुख बिपिन रावत को भी जख्मी हालात में देखा। तब रावत पानी की मांग कर रहे थे। प्रत्यदक्र्षियों के हवाले सक कहा जा रहा है कि अंतिम समय में बिपिन रावत को पीने का पानी तक नहीं मिला। सवाल उठता है कि मीडिया को इस तरह की बातें उजागर करनी चाहिए? सब जानते हैं कि जानते हैं कि जनरल बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) के प्रमुख रहे। रावत ने अपने दोनों ही कार्यकाल में दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान ने कश्मीर में जब आतंकियों को भेजा तो रावत के नेतृत्व वाली सेना ने ही आतंकियों पर सख्त कार्यवाही की। रावत की रणनीति से ही कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी पर लगाम लगी। लद्दाख सीमा पर चीन को भी करारा जवाब दिया गया। रावत ने अपने जीवनकाल में बहादुरी दिखाने में कभी कोई कमी नहीं रखी। यही वजह है कि आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। भारतीय मीडिया को ऐसी रिर्पोटिंग नहीं करनी चाहिए जिससे दुश्मनों को खुश होने का मौका मिले। जागरूक पाठकों को याद होगा कि पिछले दिनों टी-20 वर्ल्ड कप क्रिकेट प्रतियोगिता में जब पाकिस्तान की टीम ने भारत को हरा दिया था, तब पाकिस्तानियों में ऐसी प्रतिक्रिया हुई, जैसे युद्ध के मैदान में भारत हार गया है। हमारे सीडीएस बिपिन रावत ने को अंतिम समय में पीने का पानी नहीं मिलने की खबरों पर दुश्मन देशों में क्या प्रतिक्रिया होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। तमिलनाडु के कुन्नूर की पहाडिय़ों में हेलीकॉप्टर के क्रेश होने और बिपिन रावत सहित 13 सैन्य अधिकारियों के साथ मारे जाने पर चीन ने बेशर्मी वाली प्रतिक्रिया दी है। चीन ने इस दुर्घटना को भारतीय सेना की खामी बताया है। भारतीय मीडिया को चीन की प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेना चाहिए। चीन के मीडिया में ऐसी कोई बात नहीं आती, जिससे देश कमजोर नजर आए। हालांकि चीन में मीडिया के नाम पर सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार और न्यूज चैनल हैं। निजी स्तर पर कोई अखबार या न्यूज़ चैनल नहीं है। जबकि भारत में तो कुछ भी परोसा जा सकता है। लाइव प्रसारण में तो कोई जवाब नहीं है। हमारे यहां धर्मनिरपेक्षता वाला लोकतंत्र हैं, जिसमें देश के खिलाफ बयानबाजी करने की छूट भी है। लोकतंत्र भी इतना मजबूत है कि जो लोग देशद्रोह के आरोप हैं, उन्हें भी अदालतों से जमानत मिल जाती है। 8 दिसंबर को कुन्नूर के जंगलों में जो हादसा हुआ, उस पर सेना ने अपनी जांच बैठा दी है। भारतीय मीडिया को सेना द्वारा जारी सूचनाएं ही प्रसारित करनी चाहिए। एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में दुश्मनों को खुश होने का मौका नहीं दिया जाए। चीन और पाकिस्तान जैसे देश यह समझ लें कि भारतीय सेना का हर जवान बिपिन रावत जैसा बहादुर है।
सीडीएस रावत के निधन पर अभद्र टिप्पणी:
सीडीएस बिपिन रावत के निधन को लेकर सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में पुलिस ने राजस्थान के टोंक में जव्वाद खान नामक युवक को गिरफ्तार किया है। टोंक के एसपी ओम प्रकाश ने बताया कि आरोपी राज टॉकीज के पास रहने वाला है। हालांकि अभद्र टिप्पणी को जव्वाद ने हटा लिया था, लेकिन टिप्पणी के पोस्ट होने के बाद कई लोगों ने स्क्रीन शॉट लेकर पुलिस में शिकायत की। मामले की गंभीरता को देखते हुए जव्वाद को गिरफ्तार किया गया। एसपी ने बताया कि गिरफ्तारी के लिए चार टीमें गठित की गई और जव्वाद की मोबाइल लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार किया गया। जव्वाद की टिप्पणी को लेकर टोंक में नाराजगी का माहौल है।