चित्तोड़ जिले के गंगरार एसडीएम रामसुख गुर्जर ने सख्ती दिखाई तो भटवाडा खुर्द के रक्तिया बावजी मंदिर की दान पेटियों से तीन माह में साढ़े सात लाख रुपए निकले। अब गांव वाले खुश हैं।

चित्तोड़ जिले के गंगरार एसडीएम रामसुख गुर्जर ने सख्ती दिखाई तो भटवाडा खुर्द के रक्तिया बावजी मंदिर की दान पेटियों से तीन माह में साढ़े सात लाख रुपए निकले। अब गांव वाले खुश हैं।
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कोई प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्था में सुधार करने की ठान ले तो परिणाम सकारात्मक ही निकलते हैं। ऐसा ही कुछ राजस्थान के चित्तौड़ जिले के गंगरार उपखंड के एसडीएम रामसुख गुर्जर ने किया है। उपखंड के भटवाडा खुर्द में रक्तिया बावजी मंदिर है। रक्तिया बावजी को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। दीपावली के मौके पर नवरात्र में मंदिर में 9 दिनों तक लाखों श्रद्धालु आते हैं। प्रत्येक रविवार और शनिवार को भी मेला लगता है। चूंकि मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए वर्ष भर श्रद्धालुओं का सिलसिला रहता है। लेकिन मंदिर की प्रबंध कमेटी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कुछ नहीं करती। विगत दिनों ग्रामीणों ने प्रबंध कमेटी के कामकाज को लेकर एसडीएम गुर्जर को एक ज्ञापन दिया। ग्रामीणों की मांग पर जब एसडीएम गुर्जर ने मंदिर परिसर का दौरा किया तो जगह जगह गंदगी देखने को मिली। यहां तक कि पीने का पानी की टंकियों में कचरा देखा गया। गुर्जर ने जब प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष भगवंत सिंह और कोषाध्यक्ष मिट्ठू सिंह से आय व्यय का रिकॉर्ड मांगा तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इस पर एसडीएम ने मंदिर के कामकाज की जांच के लिए एक कमेटी गठित की। इस कमेटी की रिपोर्ट पर ही एसडीएम ने प्रबंध कमेटी को भंग कर दिया और मंदिर परिसर में रखी दान पेटियों को सील कर दिया। एसडीएम के इस निर्णय के विरुद्ध प्रबंध कमेटी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कोर्ट ने एसडीएम के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें प्रबंध कमेटी को भंग किया गया था। एसडीएम गुर्जर ने हाईकोर्ट के आदेश की पालना तो की, लेकिन साथ ही यह निर्देश दिए कि दान पेटियों को ग्रामीणों की उपस्थिति में खोला जाए। गुर्जर का मानना रहा कि मंदिर में लाखों रुपए का चढ़ावा आता है, उसकी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए। पहले तो प्रबंध कमेटी ने गुर्जर के इन निर्देशों को मानने से इंकार कर दिया। कमेटी के अध्यक्ष भगवंत सिंह का कहना रहा कि दान पेटियां पहले की तरह गुपचुप तरीके से ही खोली जाएंगी। लेकिन जब एसडीएम और ग्रामीणों ने दबाव बनाया तो कमेटी को सार्वजनिक तौर पर दान पेटियों से निकली राशि की गणना करनी पड़ी। एसडीएम गुर्जर ने बताया की तीन माह में सात लाख 50 हजार रुपए की राशि दान पेटियों से निकली। इसी प्रकार मंदिर परिसर में बनी दुकानों का किराया भी 90 हजार रुपए प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं चढ़ावे के तौर पर आए बकरों की नीलामी से भी हजारों रुपए की राशि प्राप्त हुई। तीन माह में मंदिर की आय 9 लाख रुपए आंकी गई। गुर्जर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में भी दान पेटियों की राशि की गणना पारदर्शिता के साथ हो। जो राशि प्राप्त हो रही है उसे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा पर खर्च किया जाए। प्रबंध कमेटी की गड़बडिय़ों में यह भी पता चला कि पिछले 26 वर्ष से चुनाव प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं रखी गई है। मंदिर से जुड़े कुछ लोग ही लाखों रुपए की राशि अपनी मर्जी से खर्च करते हैं। गंभीर बात तो यह है कि आय के बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी जाती है। एसडीएम गुर्जर ने कहा कि अब ग्रामीणों ने जागरूकता दिखाई है तो परिणाम भी सकारात्मक आए हैं। एसडीएम गुर्जर ने श्रद्धालुओं के हित में जो शक्ति दिखाई उसके लिए मोबाइल नंबर 9414354751 पर एसडीएम गुर्जर की हौसला अफजाई की जा सकती है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मंदिर के कामकाज में दखल न देने के लिए गुर्जर पर दबाव भी बनाया गया। लेकिन अपनी जिद के पक्के गुर्जर ने सभी दबावों को हटाते हुए ग्रामीणों के हित में निर्णय लिए।