आनासागर में नालों के गंदे पानी को रोक कर अजमेर के नए कलेक्टर अंशदीप एक अच्छी पहल कर सकते हैं।

आनासागर में नालों के गंदे पानी को रोक कर अजमेर के नए कलेक्टर अंशदीप एक अच्छी पहल कर सकते हैं।

गंदे पानी वाली एस्केप चैनल को द्रव्यवती नदी की तरह बदला जा सकता है। पुष्कर तीर्थ, ख्वाजा साहब की दरगाह और नारेली तीर्थ के बीच हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू हो।

पुष्कर के पवित्र सरोवर में भी गंदे पानी को रोका जाए।

यूं तो हर कलेक्टर की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। आईएएस की सेवा में कलेक्टर का पद ही ऐसा होता है जिसमें कार्य कुशलता दिखाई जा सकती है। आईएएस अंशदीप ने 17 जनवरी को ही अजमेर के कलेक्टर का पद संभाला है। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से फीडबैक लेकर अंशदीप विकास कार्यों की प्राथमिकता भी तय करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रकाश राजपुरोहित ने कलेक्टर के अपने कार्यकाल में विकास के अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए। अंशदीप भी उन्हीं विकास कार्यों को और गति देने का प्रयास करेंगे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर के बीचों बीच बने आनासागर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इस सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च की जा रही है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि आनासागर में अभी भी अनेक नालों का गंदा पानी आ रहा है। गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया गया है, लेकिन इस ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग उसकी क्षमता के अनुरूप नहीं हो रहा है। यदि सभी गंदे नालों का पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाया जाए और फिर शुद्ध पानी को आनासागर में डाला जाए तो आनासागर की खूबसूरती को चार चांद लग सकते हैं। चूंकि गंदा पानी लगातार गिर रहा है, इसलिए आनासागर में जलकुंभी भी पनपती है। आनासागर के किनारे गंदगी का ढेर भी नजर आता है। कलेक्टर अंशदीप अपनी प्राथमिकताओं में यदि गंदे पानी को रोकने के काम को भी शामिल करें तो अजमेर की जनता अंश दीप को लंबे समय तक याद रखेगी। आनासागर से जुड़ी हुई स्केप चैनल भी अजमेर की एक बड़ी समस्या है। यह चैनल शहर में कोई 10 किलोमीटर के क्षेत्र से गुजरती है। वैसे तो इस चैनल का निर्माण आनासागर के ओवरफ्लो के पानी की निकासी के लिए था। लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही नालों का गंदा पानी भी इस चैनल में जा रहा है। यदि वजह है कि यह चैनल अब गंदे पानी के नाले में तब्दील हो गई है। चैनल जगह जगह से टूटी हुई थी। चैनल के किनारे जो बस्तियां बस गई है, उनके लोगों को भी परेशानी होती है। गंदे पानी को रोककर एस्केप चैनल को जयपुर की द्रव्यवती नदी की तरह बदला जा सकता है। चूंकि अजमेर में भी सीवरेज सिस्टम लागू हो रहा है,इसलिए गंदे पानी को रोका जा सकता है। एस्केप चैनल के आसपास की आबादी के गंदे पानी को सीवरेज लाइन के जरिए खानपुरा के ट्रीटमेंट प्लांट तक ले जाने की सुविधा है।

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हेलीकॉप्टर सेवा:
अजमेर पर्यटन स्थल भी है। लेकिन पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अजमेर में अभी और अधिक कार्यो की जरूरत है। हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में पर्यटकों के लिए उदयपुर और कुंभलगढ़ के बीच हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई है। ऐसी सेवा अजमेर में पुष्कर तीर्थ, ख्वाजा साहब की दरगाह और जैन समुदाय के नारेली तीर्थ के बीच की जा सकती है। प्रशासन को इन तीनों स्थानों पर हेलीपैड बनाने होंगे। अनेक प्राइवेट कंपनियां अजमेर में हेलीकॉप्टर सेवा देने को उत्सुक हैं। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में ही ख्वाजा साहब की दरगाह के आसपास के क्षेत्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए। दरगाह के आसपास ऐसी सकड़ी गलियां हैं जिसमें चौपहियां वाहन का निकलना मुश्किल होता है। यहां तक कि आग लगने पर फायर ब्रिगेड के वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं। दरगाह क्षेत्र में फायर ब्रिगेड के वाहनों का आवागमन सुगमता के साथ हो सके,इसे भी विकास की प्राथमिकताओं में शामिल किया जाना चाहिए। यह सही है कि शहर के यातायात दबाव को कम करने के लिए एलिवेटेड रोड का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन रेलवे स्टेशन से आने वाले यात्रियों के लिए एलिवेटेड रोड के उपयोग का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि एलिवेटेड रोड रेलवे स्टेशन के सामने से ही गुजर रहा है। एक अनुमान के अनुसार अजमेर रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन पचास हजार यात्रियों का आवागमन होता है। एलिवेटेड रोड मौजूदा समय में मार्टिंडल ब्रिज से लेकर गांधी भवन चौराहा और फिर रोड वेज बस स्टैंड तथा आगरा गेट तक के लिए है। इसमें रेल यात्रियों के आवागमन का कोई प्रावधान नहीं है।

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पुष्कर सरोवर में गंदा पानी:
अजमेर का स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट कोई दो हजार करोड़ रुपए का है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अजमेर शहर से सटे विश्वविख्यात पुष्कर तीर्थ के पवित्र सरोवर में आज भी गंदा पानी गिर जाता है। गंदे पानी को रोकने के लिए करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई है, लेकिन जब कभी सीवरेज लाइन जाम हो जाती है तो गंदा पानी पवित्र सरोवर में चला जाता है। ऐसी घटना 17 जनवरी को भी हुई है। बरसात के दिनों में तो सरोवर में गंदा पानी जाता ही है। अजमेर के कलेक्टर अंशदीप को पवित्र सरोवर में गंदे पानी को रोकने के काम को भी अपनी प्राथमिकताओं में लेना चाहिए।