जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित- प्राचीन ज्ञान का मूल आधार है संस्कृत संस्कृत भाषा से आमजन को जोड़ने के लिए हों विशेष प्रयास – राज्यपाल

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जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित-प्राचीन ज्ञान का मूल आधार है संस्कृतसंस्कृत भाषा से आमजन को जोड़ने के लिए हों विशेष प्रयास – राज्यपालजयपुर, 19 जनवरी। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने संस्कृत एवं संस्कृत के प्राचीन शास्त्रों से आमजन को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए संस्कृत के प्राचीन जीवनोपयोगी ग्रंथों का हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषाओं में बड़े स्तर पर अनुवाद किया जाए। राज्यपाल श्री मिश्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर बुधवार को राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक विषयों को संस्कृत शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करके नये जमाने के अनुरूप संस्कृत को सरल एवं सभी के लिए बोधगम्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को प्राचीन भारतीय जीवन दर्शन से जुड़े मौलिक शोध और अनुसंधान का महत्वपूर्ण केन्द्र बनाने का आह्वान भी किया। कुलाधिपति ने  कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति है और हमारे प्राचीन ज्ञान का मूल आधार है। संस्कृत में लिखित चारों वेदों में ही प्राचीन ऋषि-मुनियों के संदर्भ समाहित हैं। उन्होंने कहा कि भारत में विद्या अध्ययन-अध्यापन की प्राचीन परम्परा रही है। कुलपति का संबोधन उन आचार्यों के लिए प्रयुक्त होता था जिनके आश्रम में दस हजार से अधिक विद्यार्थी विद्या ग्रहण करते थे। आगे चलकर गुरुकुल अथवा आश्रम अपने वृहद स्वरूपों के कारण विश्वविद्यालय में परिवर्तित हो गए। राज्यपाल ने कहा कि बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संबंधित समस्याओं से बचने के लिए हमें वैदिक ज्ञान में जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव को संतान और पृथ्वी को माता मानने वाली भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संबंधित चुनौतियों का प्रभावी समाधान मिलता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी अभिवादन शैली, हाथ-पैर धोने के व्यवहार, आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि, आहार शुद्धि सहित भारतीय आचार व्यवहार और ज्ञान-विज्ञान को दुनिया के देशों ने अपनाया। श्री मिश्र ने विश्वविद्यालय में नवग्रह वाटिका एवं नक्षत्र वाटिका का निर्माण कार्य प्रगतिरत होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन वाटिकाओं में 27 नक्षत्रों, 9 ग्रहों तथा 12 राशियों से संबद्ध पेड़-पौधे, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से लगाये जा रहे हैं। इस पहले से नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति को जानने-समझने का अवसर मिलेगा। दीक्षान्त समारोह में शैक्षणिक सत्र 2019 एवं 2020 के सफल 16851 विद्यार्थियों को डिग्रियां एवं 23 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि तथा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 31 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। राज्यपाल श्री मिश्र ने उपस्थितजनों को भारतीय संविधान की उद्देश्यिका एवं संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन भी करवाया। संस्कृत शिक्षा मंत्री श्री बीडी कल्ला ने कहा कि  संस्कृत भाषा के प्रसार को लेकर राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है। संस्कृत शिक्षा और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही प्रदेश में अलग से संस्कृत शिक्षा निदेशालय और संस्कृत अकादमी का संचालन किया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय ही प्रदेश में ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसका कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश है। संस्कृत विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में क्रेडिट बेस्ड चॉइस सिस्टम लागू किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को अपनी रुचि अनुसार विषय चयन कर अपना बहुमुखी विकास करने के अवसर मिल रहे हैं। कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कोरोना महामारी के दौर में विश्वविद्यालय में ऑनलाइन शिक्षा एवं शोध कार्य के माध्यम से शिक्षण व्यवस्था सुचारू रखने के पूरे प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में संविधान पार्क और वैदिक परम्परा के अनुसार नक्षत्र वाटिका तथा नवग्रह वाटिका की स्थापना भी की जा रही है। उन्होंने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, शिक्षणेत्तर गतिविधियों एवं विकास कार्यों का प्रगति प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल, विश्वविद्यालय कार्य परिषद तथा विद्या परिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण प्रत्यक्ष और ऑनलाइन उपस्थित रहे । —–