मेघना चौधरी को दोबारा से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का सचिव बनाया।

पांच में से दो बार रीट और पांच बार राजस्थान में 10वीं व 12वीं की वार्षिक परीक्षा सफलता के साथ करवाने वाली प्रशासनिक अधिकारी मेघना चौधरी को दोबारा से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का सचिव बनाया।
तीन मार्च से शुरू होंगी बोर्ड की परीक्षा। प्रदेशभर में 20 लाख विद्यार्थी भाग ले रहे हैं ।
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26 सितंबर 2021 को हुई राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) को लेकर राजस्थान में कांग्रेस सरकार की जो फजीहत हो रही है, उसे देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर राज्य सेवा की वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती मेघना चौधरी को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है। इसके साथ ही आईएएस और अजमेर में ही कर बोर्ड के सदस्य लक्ष्मी नारायण मंत्री को शिक्षा बोर्ड में प्रशासक नियुक्त किया है। हालांकि अभी तक सरकार ने रीट परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय नहीं लिया है, लेकिन परीक्षा को निरस्त करने और रीट घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर सरकार पर चौतरफा दबाव है। घोटाले की गूंज लोकसभा में हो चुकी है। राज्य में 9 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। हालांकि सरकार ने रीट परीक्षा लेने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त और सचिव अरविंद सेंगवा को निलंबित कर दिया है, लेकिन रीट घोटाले को भाजपा के विधायक पुरजोर तरीके से विधानसभा में उठाएंगे। मेघना चौधरी की नियुक्ति इसलिए की गई है, ताकि शिक्षा बोर्ड से जुड़े सवालों के जवाब सही तरीके से आ जाएं। मेघना पहले भी वर्ष 2015 से 2020 तक बोर्ड में सचिव रह चुकी है। मेघना के कार्यकाल में ही वर्ष 2015 व 2017 में शिक्षा बोर्ड ने रीट की परीक्षा आयोजित की। 2017 की रीट परीक्षा का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंचा। तब मेघना स्वयं हाईकोर्ट में उपस्थित होती रहीं और बोर्ड का पक्ष प्रभावी तरीके से रखा। तब कांग्रेस विधायक के नाते गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा में खूब हंगामा किया। विधानसभा के सवालों के जवाब भी मेघना ने भिजवाए। प्रदेश में अब तक पांच बार रीट की परीक्षा हुई है, इसमें से दो परीक्षाएं मेघना के कार्यकाल में हुई। मेघना के कार्यकाल में शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की वार्षिक परीक्षाएं भी पांच बार सफलतापूर्वक हुई। मौजूदा समय में बोर्ड के सचिव का पद इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि तीन मार्च से वार्षिक परीक्षाएं शुरू होनी है। जानकार सूत्रों के अनुसार बोर्ड ने अभी तक भी प्रश्न पत्र छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस का चयन नहीं किया है। डीपी जारोली के अध्यक्ष रहते शिक्षा बोर्ड में जो लूट मार मची उससे बोर्ड का आंतरिक माहौल भी खराब है। मेघना के सामने सबसे बड़ी चुनौती बोर्ड में अनुशासन को कायम करने की होगी। यदि बोर्ड दफ्तर में अनुशासन हो जाए तो दूसरी चुनौतियों से मुकाबला किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो मेघना की दोबारा से सचिव बनने की इच्छा नहीं थी, लेकिन उच्च स्तरीय दबाव के कारण मेघना को यह पद स्वीकारना पड़ा। अभी मेघना अजमेर में ही राजस्व अपील अधिकारी के पद पर नियुक्त है। मेघना के पति नरेंद्र चौधरी हाल ही में आरपीएस से आईपीएस में पदोन्नत हुए हैं। नरेंद्र चौधरी की छवि भी पुलिस महकमे में ईमानदार और सख्त मिजाज पुलिस अधिकारी की है। नरेंद्र चौधरी इस समय अजमेर सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात है। चौधरी की भी आईपीएस के नए पद पर नियुक्ति होनी है। मेघना चौधरी की प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए ही राज्य सरकार ने उन्हें दोबारा से बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है। मेघना की नियुक्ति से जाहिर है कि प्रशासनिक अधिकारियों का काम बोलता है। मेघना भाजपा शासन में बोर्ड की सचिव नियुक्ति हुई थी, लेकिन कांग्रेस शासन में भी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने दो वर्ष तक बोर्ड का सचिव बनाए रखा। सूत्रों के अनुसार डीपी जारोली से पटरी नहीं बैठने के कारण मेघना ने स्वयं ही अपना तबादला करवा लिया। मेघना के हटने के बाद जारोली ने जो लूट मार मचाई उसके परिणाम अब कांग्रेस सरकार भुगत रही है। मेघना का शिक्षा बोर्ड में कितना महत्व हो गया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें 7 फरवरी को ही सचिव का पद संभालना पड़ रहा है।