बजट सत्र में विपक्ष के हंगामे पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नरम रुख।

बजट सत्र में विपक्ष के हंगामे पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नरम रुख।

सरकारी पक्ष भी भाजपा के चार विधायकों के निलंबन पर अड़ा रहा।

11 फरवरी को लगातार तीसरे दिन भी राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान हंगामा होता रहा। भाजपा विधायकों के विधानसभा के अंदर धरना और नारेबाजी के बीच प्रश्न काल चलाया गया। प्रश्नकाल में अध्यक्ष के आसान पर खुद सीपी जोशी मौजूद रहे। लेकिन उन्होंने हंगामा करने वाले किसी भी भाजपा विधायक के प्रति सख्ती नहीं दिखाई। उल्टे भाजपा विधायकों की ओर से सवाल भी खुद अध्यक्ष सीपी जोशी ने मंत्रियों से पूछे। कई मंत्रियों से जोशी ने पूरक सवाल भी किए। यानी जो भाजपा विधायक रीट परीक्षा घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे उनके सवाल पूछने की भूमिका भी स्वयं अध्यक्ष ने निभाई। आमतौर पर सवाल पूछने वाला विधायक सदन में नहीं होता है या फिर मंत्री के जवाब के समय हंगामा करता है तो ऐसे विधायक के सवाल का जवाब सरकार की ओर से नहीं दिया जाता। लेकिन 11 फरवरी को अध्यक्ष जोशी ने सरकार के किसी भी मंत्री को सवाल का जवाब देने से बचने का मौका नहीं दिया। 10 फरवरी को संसदीय मंत्री शांति धारीवाल के प्रस्ताव पर अध्यक्ष जोशी ने भाजपा विधायक रामलाल शर्मा, मदन दिलावर, अविनाश गहलोत और चंद्रभान आक्या को निलंबित किया था। ये विधायक सदन में कांग्रेस और अन्य दलों के विधायकों को बोलने से रोक रहे थे। निलंबन के बाद भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर ही धरना शुरू कर दिया। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी भाजपा विधायकों का धरना जारी रहा। भाजपा विधायकों के धरने की गंभीरता को देखते हुए अध्यक्ष जोशी ने आश्वासन दिया कि चारों विधायकों का निलंबन रद्द करने का प्रयास किया जाएगा। अध्यक्ष के इस आश्वासन के बाद 10 फरवरी को भाजपा विधायकों ने धरना समाप्त कर दिया और 11 फरवरी को सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर चारों निलंबित विधायक भी सदन के अंदर आ गए। भाजपा विधायकों को उम्मीद थी कि सत्ता पक्ष विधायकों के निलंबन को रद्द करने का प्रस्ताव रखेगा। लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से ऐसा नहीं किया गया। उल्टे सत्तापक्ष ने निलंबित विधायकों की सदन में उपस्थिति पर नाराजगी प्रकट की। एक घंटे के प्रश्नकाल में निलंबित विधायक भी सदन में धरना प्रदर्शन करते रहे। प्रश्नकाल की समाप्ति के बाद अध्यक्ष जोशी ने एक बार फिर इस बात का प्रयास किया कि सदन का गतिरोध समाप्त हो जाए। इसके लिए उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित की और अपने कक्ष में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र सिंह राठौड़ तथा सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल को बुलाया। कटारिया का कहना रहा कि पहले विधायकों का निलंबन रद्द हो वहीं धारीवाल का कहना रहा कि रीट परीक्षा घोटाले पर सरकार का जवाब भी सुना जाए। सरकार अपना जवाब दे इसके बाद ही विधायकों के निलंबन पर विचार हो। धारीवाल ने कहा कि विपक्ष सरकार का जवाब सुनने से भाग रहा है, इसलिए सदन में हंगामा कर रहा है। चूंकि दोनों पक्षों में विधायकों के निलंबन को लेकर कोई सहमति नहीं बनी इसलिए दोपहर डेढ़ बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा से शुरू हुई तो भाजपा विधायकों का हंगामा जारी रहा, लेकिन इस बार निलंबित विधायक सदन के अंदर नजर नहीं आए। इसमें कोई दो राय नहीं कि 11 फरवरी को अध्यक्ष सीपी जोशी का रुख बेहद नरम था, इसलिए हंगामे के बाद भी सदन चलता रहा। जबकि बजट सत्र से पहले जितने भी सत्र हुए उनमें विपक्ष के हंगामे पर अध्यक्ष जोशी ने बेहद सख्त रुख अपनाया। उन्होंने किसी भी विधायक को हंगामा करने का अवसर नहीं दिया। यदि किसी विधायक ने हंगामा करने का प्रयास किया तो उसे सदन से निलंबित कर दिया गया। 11 फरवरी को भी अध्यक्ष ने हंगामा करने वाले विधायकों को हिदायत तो दी, लेकिन हंगामे के बाद भी सदन की कार्यवाही को जारी रखा। अध्यक्ष इस नरम रुख पर सत्ता पक्ष के सदस्यों को भी आश्चर्य हो रहा था।