Rajasthan : आखिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार प्रशासनिक पदों पर किस तरह के व्यक्तियों की भर्ती करना चाहती है?

Rajasthan : आखिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार प्रशासनिक पदों पर किस तरह के व्यक्तियों की भर्ती करना चाहती है?
अब आरएएस भर्ती परीक्षा पर उठे सवाल। 25 व 26 फरवरी को होनी है मुख्य परीक्षा।
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राजस्थान में राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के प्रश्न पत्र लाखों रुपए में बिकने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवा और अधीनस्थ सेवा (आरएएस) की 25 व 26 फरवरी को होने वाली परीक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। आरएएस के 988 पदों पर भर्ती होनी है। चयनित अभ्यर्थी ही आगे चल कर राजस्थान के प्रशासनिक इंतजाम करेंगे। इनमें से अनेक आरएएस आगे चल कर आईएएस भी बनेंगे। सवाल उठता है कि राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार आखिर प्रशासनिक पदों पर किस तरह के व्यक्तियों की भर्ती करना चाहती है। आरोप है कि पहले एक खास विचारधारा के शिक्षाविदों से आरएएस परीक्षा का सिलेबस तैयार करवाया और प्रश्न पत्र तैयार करने में भी इन्हीं शिक्षाविदों की भूमिका रही। इसमें प्रमुख नाम राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीएम शर्मा और राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े शिक्षाविदों का नाम सामने आ रहा है। प्रो. शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पसंदीदा शिक्षाविदों में से एक है। गहलोत ने अपने 2008 से 2013 तक के मुख्यमंत्री काल में प्रो. शर्मा को राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया तो अब महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंस का निदेशक बना दिया। इस संस्थान का उद्देश्य प्रदेश के शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्र में गांधी दर्शन का प्रचार प्रसार करना है। संस्थान के लिए पिछले बजट में 100 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया। तब इस संस्थान का सदस्य कांग्रेस विचारधारा के कुमार प्रशांत, डीआर मेहता, सीएम बाफना, मनीष शर्मा, गोपाल बाहेती, सवाई सिंह, रमेश बोराणा आदि को बनाया गया। इतना ही नहीं राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े 30 कॉलेज शिक्षकों को संस्थान में नियुक्ति भी दी गई। जानकारों की मानें तो अब राज्य लोक सेवा आयोग अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग तथा रीट जैसे अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं को संपन्न करवाने में इसी संस्थान से जुड़े लोगों की भूमिका है।
रीट परीक्षा में हुई करतूतों की जानकारी तो जगजाहिर हो गई है, लेकिन ऐसा साया आरएएस परीक्षा पर मंडरा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रो. बीएम शर्मा को संरक्षण दे, इस पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन आपत्तिजनक बात तब है, जब प्रो. बीएम शर्मा अपनी सेवाएं विभिन्न कोचिंग सेंटरों में भी देते हैं। कई कोचिंग सेंटर अपनी प्रचार सामग्री में धड़ल्ले से बीएम शर्मा के नाम और फोटो का उपयोग करते हैं। एक ओर मुख्यमंत्री गहलोत गांधी दर्शन के प्रचार प्रसार के लिए प्रो. शर्मा का सहयोग ले रहे हैं तो दूसरी ओर प्रो. शर्मा कोचिंग सेंटरों में जाकर लेक्चर दे रहे हैं। इन्हीं प्रो.शर्मा की भूमिका आरएएस का सिलेबस और प्रश्न पत्र तैयार करने में भी है। प्रो. शर्मा राजीव गांधी स्टडी सर्किल के सलाहकार भी हैं।
गंभीर बात तो यह है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजीव गांधी स्टडी सर्किल के चेयरमैन है, जबकि तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग सह समन्वयक हैं। यह सर्किल एनजीओ है या फिर सरकारी उपक्रम, यह सीएम गहलोत ही बता सकते हैं। आरएएस परीक्षा को लेकर जो खबरें सामने आ रही है, उससे योग्य और महेनती अभ्यर्थी परेशान हैं। राज्यसभा के सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का आरोप है कि आरएएस परीक्षा की अधिसूचना के समय जो सिलेबस था उसे 80 प्रतिशत तक बदल दिया गया, जबकि कानून के मुताबिक ऐसा नहीं हो सकता। सवाल उठता है कि प्रो. बीएम शर्मा जैसे शिक्षाविदों ने आखिरकार प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के सिलेबस में कौन सा गांधी दर्शन शामिल किया है? आरएएस के परीक्षा के अभ्यर्थी अब नए सिलेबस के अनुरूप पढ़ाई करने के लिए परीक्षा की तिथि को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन राज्य लोक सेवा आयोग में सुनने वाला कोई नहीं है।
हाल ही में आयोग के अध्यक्ष पद पर जिन संजय कुमार श्रोत्रिय की नियुक्ति की है वे भी गहलोत सरकार से उपकृत हैं। श्रोत्रिय की आईपीएस सेवा से 6 माह बाद सेवानिवृत्ति होने वाली थी, लेकिन आयोग में नियुक्ति के बाद श्रोत्रिय 62 वर्ष की उम्र तक काम कर सकेंगे। ऐसे में श्रोत्रिय गांधी दर्शन वाले शिक्षाविदों के इशारे पर ही काम करेंगे। आयोग में राज्य सरकार या तो अपने राजनीतिक दल के किसी नेता की नियुक्ति करती है या फिर सरकार समर्थक किसी आईएएस व आईपीएस की। मुख्यमंत्री गहलोत निष्पक्षता की जितनी भी बातें करें, लेकिन प्रदेश में सरकारी भर्तियों को लेकर युवा वर्ग खासा गुस्से में हैं।