आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के नए चरण का शुभारंभ 

 आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के नए चरण का शुभारंभ
मुझे याद है कि करीब 20 साल पहले हम लोगों ने योजना शुरू की थी मुख्यमंत्री बीपीएल जीवनरक्षा कोष, जिसमें कोई लिमिट नहीं थी इलाज के लिए कितना खर्च होगा चाहे 2 लाख हो, चाहे 5 लाख हो, चाहे 10 लाख हो। एक अभिनव प्रयोग किया था राजस्थान में और बहुत ही कामयाब रहा और लगातार उसके बाद में राजस्थान क्योंकि बहुत बड़ा प्रदेश है, आज पूरा राजस्थान देश का सबसे बड़ा भू-भाग है ही है देश के अंदर जबसे छत्तीसगढ़ अलग बना है मध्यप्रदेश से उसके बाद में और भू-भाग करीब 10 पर्सेंट है, हालांकि पानी 1 पर्सेंट के आसपास ही है। समस्याएं कई तरह की आती हैं यहां पर और बीमारियां भी कई तरह की होती हैं। रेगिस्तान में अलग तरह की और अन्य इलाकों में अन्य तरह की। यही सोचकर ध्यान दिया गया कि स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे इम्प्रूव करें राजस्थान के अंदर क्योंकि हमारे यहां पर एक पीएचसी और दूसरी पीएचसी के बीच में या सीएचसी के बीच में या सब सेंटर के बीच में बहुत ज्यादा किलोमीटर का फर्क हो सकता है, कोई 15 किमी, 20 किमी, 25 किमी, 30 किमी, 50 किमी, इस प्रकार के हालातों में कैसे हम इम्प्रूव करें स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में, ये एक केंद्र में बिंदु रखकर सारे फैसले किए गए। उसका परिणाम है कि आज हम जहां से शुरू किया था मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के माध्यम से, बाद में जब दूसरी बार सरकार में आए तब हम लोगों ने, जैसे अभी रघु शर्मा जी कह रहे थे कि हम लोगों ने फ्री मेडिसिन्स, फ्री जांचें शुरू कीं और इस बार हम लोगों ने सबसे बड़ा आज का जो प्रोग्राम करने का मकसद था वो यही था कि एक प्रयास किया गया अभिनव प्रयोग का कि हम लोग, पहले भामाशाह योजना चलती थी यहां पर 3 लाख वाली और आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार की। हम लोगों ने दोनों को मर्ज किया है, मर्ज करके उसका दायरा बढ़ा दिया है, एक बहुत बड़ा फैसला किया है जिसके कारण से, चाहे भार हमारे ऊपर ज्यादा पड़ेगा क्योंकि हमारे ज़ेहन में ये बात रही कि हम लोग जब 20 साल पहले शुरू कर चुके हैं जीवनरक्षा कोष के माध्यम से, फिर फ्री मेडिसिन्स फ्री जांचें, जिसके अभी आकंड़े दिए गए रघु शर्मा जी द्वारा, कितनी बड़ी लाखों-करोड़ों की तादाद में लोगों को राहत मिली और मुझे कहते हुए गर्व है कि राजस्थान के ही नहीं, राजस्थान के बाहर के जो पड़ोसी राज्य हैं वहां के लोग भी आकर इलाज करवाते हैं। अगर आप रात को जाएंगे रैन बसेरे के अंदर, तो आप पाएंगे कि आपको अधिकांश लोग मिलेंगे तो बिहार तक के लोग आते हैं यहां पर, महाराष्ट्र के लोग आते हैं, गरीब लोग आते हैं, जो राज्य पड़ोसी हैं वहां के तो आते ही आते हैं हरियाणा के पंजाब के भी आते हैं, पर लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा इसलिए मिला क्योंकि फ्री मेडिसिन्स और फ्री जांचें यहां पर मिलती हैं और इसीलिए हमने इसबार इस स्कीम को इतना स्ट्रॉन्ग बनाया है कि पूरी तरह आयुष्मान भारत और साथ में भामाशाह को मर्ज कर दिया, नाम रखा आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना। इससे जो लगभग 1 हजार 750 करोड़ रुपए का एस्टीमेट तय किया गया पहले, फिर हम लोगों ने अभी हाल ही में फैसला किया है कि कोविड-19 भी और डायलेसिस भी, उसको भी इन्क्लूड करके हम लोगों ने करीब 1800 करोड़ रुपए खर्च होंगे इसके अंदर और जो मूल एस्टीमेट था उसमें 80 पर्सेंट खर्चा जो है वो राज्य सरकार देगी। इसका मतलब है कि करीब 1400 करोड़ रुपए तो देगी राजस्थान सरकार और 400 करोड़ देगी भारत सरकार। वो हमने मंजूर किया है कि चाहे पैसा कम मिले राज्य को, तब भी हम लोग कॉन्ट्रीब्यूट बड़ा करके किस प्रकार योजना को स्ट्रॉन्ग बनाएं, जिससे कि अधिक लोगों को राहत मिल सके और मुझे कहते हुए गर्व है कि अभी जो आपको बताया गया कि 1 करोड़ 10 लाख परिवारों को, 2/3 से ज्यादा आबादी हो जाएगी उसको लाभ मिलेगा, कवर मिलेगा और इसके अंदर डायलेसिस भी कर दिया इन्क्लूड कर दिया है और कोविड-19 भी कर दिया है।
एक ऐसी योजना बनाई गई है जिससे अधिकांश लोगों को लाभ मिले राजस्थान के अंदर और इसके अंदर जो क्राइटेरिया रखा गया है, क्राइटेरिया जो भारत सरकार का होता है उसके अंदर सोशियो इकोनॉमिक सर्वे किया गया था एक बार, सोशियो इकोनॉमिक कम्युनिटी सेंसस किया था यूपीए गवर्नमेंट ने, वो आंकड़े बाद में बाहर आए नहीं थे। जातिगत एक सर्वे किया गया था, बाद में कई कारणों से हो सकता है कि उसको आउट नहीं किया गया। भारत सरकार का आधार वो है, जिसके आधार पर वो आयुष्मान भारत चला रहे हैं, जिनकी संख्या कम है, यहां राजस्थान के लिए करीब 59 लाख संख्या थी 60 लाख के आसपास और दूसरा है जो यूपीए गवर्नमेंट की जो स्कीम थी और जो खाद्य सुरक्षा कानून बनाया डॉ. मनमोहन सिंह ने और सोनिया गांधी जी ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट, उसके अंतर्गत जो संख्या होती है, वो करीब 90 लाख के आसपास थी। हमने दोनों को जोड़ लिया, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत आने वाले लोग और जो सोशियो इकोनॉमिक कम्युनिटी सेंसस, दोनों को जोड़कर के हम लोगों ने इस स्कीम को लागू किया है। क्योंकि इतना बड़ा काम है और इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट है, इसका लाभ पूरा गरीब को मिले, आम आदमी को मिले, यही सोचकर इसमें राइडर भी लगाए गए हैं कि इसके लिए एंटी-फ्रॉड इकाई बनाई गई है क्योंकि अस्पतालों में अगर ध्यान नहीं दें हम लोग, पिछली बार भामाशाह के वक्त में कई शिकायतें आई थीं, एक ही बीमारी के 10-10 ऑपरेशन हो रहे हैं और कुछ पर्टिकूलर अस्पताल में ही होते हैं। तो हम चाहते हैं कि कोई फ्रॉड नहीं करे इसमें क्योंकि 1800 करोड़ के आसपास का खर्चा होगा सरकार का, तो उसका लाभ कैसे मिले लोगों को, ये सोचकर पूरी स्कीम को शुरू किया गया, एक एंटी-फ्रॉड इकाई बनाई गई, 4-5 एजेंसियां उसके अंदर होंगी जो देखेंगी थर्ड पार्टी के रूप में कि बीमा कंपनी जो बात कर रही है और अस्पताल बात कर रहा है, चाहे प्राइवेट अस्पताल भी होगा, तो उसके अंदर वास्तव में सही कौन बात कह रहा है, जिससे कि पूरी तरह से स्कीम कामयाबी के साथ में पूरी हो सके। क्योंकि ऐसी स्कीमें जब बनती हैं, तो उसमें इस प्रकार की चैकिंग होना बहुत आवश्यक है। मेरा अनुभव कहता है कि जब हम लोगों ने पहले स्कीम लागू की थी फ्री मेडिसिन की और फ्री जांचों की, तब भी हमने स्टडी करवाई थी ये जो आज स्कीम बीमा वाली आई है, वो चलती थी आंध्रप्रदेश के अंदर सिर्फ। हमने हमारे अधिकारियों को भेजा वहां पर, मालूम करवाया, मालूम पड़ा कि इसमें कई जगह शिकायत आती है और जो प्रीमियम होता है उसका मिसयूज होता है। इसीलिए हमने उस वक्त इस योजना को आंध्रप्रदेश की जो योजना थी उसको एक्सेप्ट नहीं किया और हमारी अपनी योजना लाए फ्री मेडिसिन्स की, फ्री जांचें करवाईं, उसका भी अच्छा परिणाम रहा, जहां तक मेरा अनुभव रहता है, जहां तक मैं सुनता हूं। पर क्योंकि अब ये भारत सरकार की स्कीम भी आ गई थी, भामाशाह यहां चल रहा था, तो हमने दोनों को मिलाकर इस बीमा योजना को लागू किया है। इसमें आप सब लोगों को मैं अपील करना चाहूंगा कि ये योजना ऐसे लोग होते हैं आम आदमी जिसको मालूम ही नहीं पड़ता कि कोई ऐसी योजना भी हमारे लिए बनी है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि जो मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष था, उसमें मैंने अनुभव किया कि आप चाहे कितनी ही कोशिश कर लो, तो बात पहुंचती ही नहीं है गरीब तक और मुझे याद है कि 2003 में जब चुनाव चल रहे थे तो उसके पहले मैं कैंपेन में गया था। मैं पूछता था वहां लोगों को कि भई आप बताइए आपको मालूम है इस योजना के बारे में क्योंकि पूरा इलाज फ्री होता था उस जमाने में 20 साल पहले भी और लिमिट नहीं थी 2 लाख, 5 लाख कितने खर्च होंगे। मैं हाथ खड़े करवाता था तो मालूम पड़ता था, तो मैं हाथ गिनता था फिर कि ये तो 50 हाथ ही खड़े हो रहे हैं या 60 हाथ ही खड़े हो रहे हैं सिर्फ। मैं कहता था कि बताइए आप यहां 2 हजार लोग बैठे हैं, अगर सबको मालूम होता, तो कितने गरीबों को फायदा हो सकता था आपके गांव में आपकी ढाणी में। आज आप यहां मीडिया वाले बैठे हुए हैं, अगर इस योजना को आप पहुंचाएंगे घर-घर तक अपने-अपने रूप में, चाहे आर्टिकल लिखो चाहे न्यूज बनाएं कुछ भी करें, तो कम से कम आम आदमी को जो कवर हुआ है उसमें उसको मालूम पड़े कि मेरे को ये फैसेलिटीज मिल रही हैं और 5 लाख रुपए तक का खर्च करना किसे कहते हैं, क्या स्थिति बनती है, प्राइवेट अस्पतालों में लोग आते हैं गांवों से और कितना बड़ा बिल बनता है आप लोग सुनते होंगे, 5 लाख का, 8 लाख का, 12 लाख का, 15 लाख का, 50 लाख का पता नहीं कितने-कितने का और उसको 5 लाख का अगर सहारा मिल जाए तो मैं समझता हूं कि उसके लिए बहुत बड़ी बात है। पता नहीं वो गहने बेचकर लाया है पैसे इलाज करवाने के लिए, चाहे बीमार मां-बाप भी हैं, बचने की उम्मीद नहीं है, तब भी हमारे इतने शानदार संस्कार हैं देश के, हमारी संस्कृति शानदार, हमारी परंपराएं शानदार, उसके कारण से वो चाहे उसके, उसके पास कैपेसिटी नहीं है तब भी वो खर्च करेगा मां-बाप को बचाने के लिए, ये भावना हमारे यहां पर है। तो आज अगर ये स्कीम घर-घर पहुंचेगी तो मैं समझता हूं इसका लाभ जो है बहुत बड़ा लोगों को मिलेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है और स्वास्थ्य सभी के लिए सर्वोपरि है। स्वस्थ रहना, गांधी जी ने तो उस जमाने में स्वास्थ्य से जोड़ दिया था। उन्होंने तो यहां तक कहा था, स्वास्थ्य पर गांधी जी ने कहा था कि स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है व्यक्ति की, सोना-चांदी नहीं है। उस जमाने में गांधी जी अगर स्वास्थ्य को लेकर इतना जोर देते थे तो आप सोच सकते हो कि इतनी तरह की बीमारियां हैं, अभी तो कोविड और आ गया, अभी रघु शर्मा जी ने बताया आपको कि किस प्रकार से मैनेजमेंट किया, तो उसपर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा। आप सबको मालूम है कि हमने कोई कसर नहीं छोड़ी, अभी भी जो वैक्सीन है, उसमें भी 4-5 राज्यों में हम लोग सम्मिलित हैं जहां पर हैल्थ सेक्रेटरी जी ने कहा कि 4 राज्य ऐसे हैं जहां पर सबसे अच्छा काम चल रहा है। जिस प्रकार से मेडिकल में मैं समझता हूं कि राजस्थान में लगातार हम लोग नवाचार कर रहे हैं, आने वाले वक्त में और चाहेंगे कैसे मजबूत करें इस सिस्टम को। 2/3 से अधिक आबादी तो हो गई है, और कैसे बढ़ें इसके लिए यही प्रयास कर रहे हैं हम लोग जिससे कि कम से कम मेडिकल को लेकर, अभी जो भीलवाड़ा मॉडल हुआ था, ये भी भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बात की थी पहले, हमने नहीं कहा कभी और वो मॉडल इतना पॉपुलर हुआ देश के अंदर भी और दुनिया के अंदर भी अन्य मुल्कों के अंदर भी, आज राजस्थान की चर्चा होती है दुनिया के मुल्कों में कि राजस्थान में कोविड मैनेजमेंट बहुत शानदार रहा, भीलवाड़ा मॉडल की वहां स्थापना हुई। ऐसी स्थिति में डब्ल्यूएचओ ने भी तारीफ की है वैक्सीन को लेकर भी की, अभी कि सबसे अच्छी व्यवस्था कहीं है देश के अंदर तो राजस्थान के अंदर है, जहां पांचों पैरामीटर में राजस्थान ने अपने आपको पूरी तरह समर्पित किया है और कामयाब रहे हैं।
इस प्रकार से योजना लागू हो रही है, आप सबके आशीर्वाद से मैं समझता हूं कि ये कामयाब होगी और पहला सुख निरोगी काया, ये भावना लेकर हमने निरोगी राजस्थान का अभियान शुरू किया था 2019 में, तैयारी उसकी की थी हम लोगों ने कि यहां पर प्रिवेंशन ऑफ मेडिसिन्स, बीमार व्यक्ति नहीं पड़े वो प्रयास कैसे करें, थीम तो हमारी ये थी असली, उसी रूप में हमने पूरी तैयारी की हुई थी और गांव-गांव में स्वास्थ्य मित्र करीब 40 हजार बनाने थे, बन भी गए हैं अब तो अधिकांश जगहों पर, ये हमारी योजना थी, पर कोविड आ गया, करीब-करीब सालभर होने आया है, तो उसके लिए पूरी जो फोर्स लगी हुई थी, अभी डॉक्टर्स की बात बता रहे थे रघु शर्मा जी, पूरा जो हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर है, वो हमारी जो तैयारी की हुई थी निरोगी राजस्थान को लेकर वो सब कोविड के मैनेजमेंट में काम आ गया। इस प्रकार से योजना पूरी तरह से शानदार तरीके से चल रही है और मैं समझता हूं कि राजस्थान ने जो नाम कमाया है कोविड के वक्त में और तमिलनाडु ने, दो ही ऐसे स्टेट्स हैं इसके अंदर जहां पर सिर्फ आरटीपीसीआर टैस्ट हुए हैं, वरना सभी राज्यों के अंदर दिल्ली सहित अधिकांश टैस्ट हो रहे हैं एंटीजन टैस्ट हो रहे हैं जो कि बिल्कुल बकवास टैस्ट है, 70 पर्सेंट आंकड़े उसमें गलत आते हैं, सरकार खुद मानती है और 70 पर्सेंट आंकड़े गलत आते हैं उसको वापस टैस्ट करवाओ आरटीपीसीआर टैस्ट करवाओ और वो कोई करवाता नहीं है। अपनी बात प्रधानमंत्री जी के सामने भी और जब-जब मौका लगा है भारत सरकार के सामने हमने राखी है कि ये गलत काम किया आप लोगों ने, आपको चाहिए था कि आप लोग आरटीपीसीआर टैस्ट करवाते। या फिर अगर आपको करवाना था एंटीजन टैस्ट, तो कंपल्सरी करते कि जो करवाएगा और 70 पर्सेंट नेगेटिव आएगा उसको वापस से टैस्ट करवाया जाएगा आरटीपीसीआर टैस्ट, तब जाकर आप असली स्थिति तक पहुंच सकते थे। पर राजस्थान ने और तमिलनाडु ने पूरे 100 पर्सेंट आरटीपीसीआर टैस्ट करवाए, हमारे यहां जीरो पर्सेंट थी टैस्ट की फैसेलिटी वो आज 70 हजार तक हो गई है पर डे, पहले 60 हजार थी अब 70 हजार तक हो गई है।
सभी तरह से राजस्थान ने जो हैल्थ सर्विसेज में जो हैल्थ सुविधाओं में जो कामयाबी हासिल की है, वो और बढ़े, आपके सुझाव हैं तो भी वैलकम है उसका, प्रदेशवासी सब सुन रहे होंगे, सरपंच भी बैठे हुए हैं इस वीसी के अंदर। तो मैं समझता हूं कि पूरे राजस्थान से जो सुझाव आएंगे, हैल्थ को लेकर हमारी टॉप प्रायोरिटी रहेगी। हम चाहेंगे हैल्थ को लेकर राजस्थान ने जो नाम कमाया है कोरोना के वक्त में, जैसा नाम कमाया है वैसा ही काम करके दिखाएं आगे आने वाले वक्त के अंदर इसलिए और ज्यादा जो जरूरत पड़ेगी, उस दिशा में हम आगे बढ़ेंगे और राजस्थान कैसे निरोगी रहे नंबर एक, राजस्थान कैसे स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी रहे और नंबर तीन लोगों को सुविधा मिले किस प्रकार से उनका बजट नहीं गड़बड़ा जाए घर का, इस प्रकार की सोच के साथ में हम इस स्कीम को लेकर आए हैं और मैं समझता हूं कि बहुत ही कामयाबी के साथ में हम लोग आगे बढ़ेंगे।
हमारा वैक्सीन का काम भी शानदार चल रहा है, उसका भी आप थोड़ा प्रचार-प्रसार ज्यादा करें कि वैक्सीन के कोई खतरे नहीं हैं और मैं समझता हूं कि सैकंड-थर्ड फेज़ शुरू हो रहा है, आने वाले वक्त के अंदर सीनियर सिटीजन्स और कोमोर्बिड लोगों के लिए भी और फिर थर्ड फेज़ शुरू होगा, तो राजस्थान इसमें अव्वल करेगा, ये हम लोगों ने सबने निश्चय किया है, उसी दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। यही बात कहता हुआ आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद, शुभकामनाएं। प्रदेशवासियों को मैं आह्वान करना चाहूंगा कि जिनको इसकी जानकारी मिले वो आगे से आगे इसका प्रचार-प्रसार करें। माउथ पब्लिसिटी के मायने होते हैं, उससे अगर गरीबों का भला हो सकता हो आम आदमी का तो मैं समझता हूं कि, 5 लाख का बीमा बहुत अच्छा बीमा है और काफी हद तक मदद मिल सकती है उसको। यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। हैल्थ विभाग को, रघु शर्मा जी को, सुभाष गर्ग जी को, सिद्धार्थ जी को, वैभव गालरिया जी, तमाम इनके साथियों को और फाइनेंस सेक्रेटरी बैठे हैं अखिल अरोड़ा जी को, राजोरिया जी को…. सबको जिन्होंने इसमें पूरी रुचि लेकर काम किया है उन सबको मैं धन्यवाद देता हूं, बधाई देता हूं। उम्मीद करता हूं कि ये योजना सबसे ज्यादा पॉपुलर होगी देश के अंदर तो राजस्थान में होगी। यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद, जयहिंद धन्यवाद।