राज्य में नम भूमियों के सर्वेक्षण के प्रबंधन की योजना तैयार की जाएंगी – प्रमुख शासन सचिव, वन एवं पर्यावरण

राज्य में नम भूमियों के सर्वेक्षण के प्रबंधन की योजना तैयार की जाएंगी – प्रमुख शासन सचिव, वन एवं पर्यावरण
जयपुर, 02 फरवरी। वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की पालना में प्रदेश के हर जिले में नम भूमियों का सर्वेक्षण कर उनको अधिसूचित करने तथा उनके प्रबंधन की योजना तैयार की जा रही है।
श्रीमती गुहा मंगलवार को वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा यहां ‘‘वेटलैण्डस एंड वाटर’’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि राज्य में अंतर्राष्ट्रीय महत्ता की दो रामसर साइट्स है जिनमें से एक केवला देव राष्ट्रीय उद्यान है जिसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सांभर लेक के प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक स्टेण्डिंग कमेटी गठित की गई है तथा सांभर लेक विकास अथॉरिटी का गठन करने के लिए प्रयास किए जा रहे है।
वेबीनार में चिलका लेक डवलपमेन्ट अथॉरिटी के पूर्व सी.ई.ओ. श्री अजीत पटनायक द्वारा नम भूमियों की पारिस्थिकीय महत्ता एवं इसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि नम भूमि स्थानीय जल तंत्र के लिए एक किडनी के तर्ज पर कार्य करती है तथा जन्तुओं एवं पादपों के लिए एक समूह तंत्र है। तथा दुनिया की तमाम सभ्यताएं जल स्त्रोताें के निकट ही बसती आई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विश्व की सभी नम भूमियों में से लगभग 90 प्रतिशत नमभूमि नष्ट हो चुकी है तथा भविष्य हेतु नयी नम भूमियों का संरक्षण, प्रबधन तथा जीर्णोद्वार किये जाने की आवश्यकता है।
श्री पटनायक ने इजराइल के जल संरक्षण एवं सतत् विकास मॉडल का वर्णन करते हुए उक्त मॉडल को देश के सभी राज्यों में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समकालीन परिस्थिति के मध्यनजर जल संकट से बचने हेतु जल को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्रीमती श्रुति शर्मा ने वन एवं जल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वेटलैण्ड द्वारा प्रदत्त इको सिस्टम सर्विसेज, आजीविका, पर्यटन एवं पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया।
वेबीनार के प्रारम्भ में वन एवं पर्यावरण सचिव श्री पी.के. उपाध्याय ने नमभूमि दिवस मनाने की परम्परा के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास श्री दीपनारायण पाण्डेय ने वेटलैण्ड रूल्स-2017 के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हुए वन अधिकारियों को अपने क्षेत्र में वेटलैण्ड एवं मौसमी वेटलैण्डों को बचाने के लिए सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
वन्यजीव उदयपुर के मुख्य वन संरक्षक श्री आर के सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
वेबिनार में शासन सचिव पर्यावरण, श्री बी प्रवीण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास), श्री अरूण पौंडेल, नेपाल के वन अनुसंधान के निदेशक ने भी भाग लिया।