Rajasthan : कानून को 21 साल बाद सुनाई दे रही है थप्पड़ की गूंज।

Rajasthan : कानून को 21 साल बाद सुनाई दे रही है थप्पड़ की गूंज।

30 जून 2001 को अजमेर के कलेक्ट्रेट के सभा कक्षा में कांग्रेस विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मारा था। सिंगारिया का आरोप से इंकार।
राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा को भी गवाही के लिए बुलाया जाएगा, क्योंकि तब वो अजमेर की कलेक्टर थीं।
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30 जून 2001 को जब अजमेर के कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में जब जिला जन अभाव अभियोग और सतर्कता समिति की बैठक हो रही थी, तब कांग्रेस के विधायक बाबूलाल सिंगारिया पर जिला पुलिस अधीक्षक आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मारने के आरोप की गूंज अब 21 साल बाद सुनाई दे रही है। अजमेर की पीसीपीएनडीटी की विशेष कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा ढाका के समक्ष अब लगातार सुनवाई हो रही है। हो सकता था कि राजनीति से जुड़ा यह मामला अभी लटका रहता, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों सांसदों के आचरण से जुड़े ऐसे मामलों को जल्द निपटाने के निर्देश दिए है, इसलिए यह मामला हाईकोर्ट की फाइलों से निकल कर अजमेर की विशेष अदालत में आ पहुंचा है। न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा ढाका सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुरूप इस मुकदमे की सुनवाई लगातार कर रही है। उन सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को गवाही के लिए बुलाया जा रहा है जो घटना वाले दिन बैठक में उपस्थित थे। अब तक तत्कालीन पीआरओ प्यारे मोहन त्रिपाठी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट, एडीएम अशफाक हुसैन, डीटीओ रामेश्वर पारीक, रोडवेज के चीफ मैनेजर प्रहलाद पारीक आदि के बयान हो चुके हैं।
आने वाले दिनों में राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा को भी गवाही के लिए बुलाया जाएगा। उषा शर्मा उस समय अजमेर की कलेक्टर थी और बैठक में एसपी आलोक त्रिपाठी के पास ही बैठी थीं। यानी श्रीमती शर्मा चश्मदीद गवाह है। उस समय बैठक में विधायक के तौर पर सांवरलाल जाट, ललित भाटी, कयूम खान आदि भी उपस्थित थे। जाट और भाटी का निधन हो चुका है, जबकि कयूम खान का नाम गवाहों की सूची में है। पिछले 21 वर्षों में बाबूलाल सिंगारिया की राजनीति बदल गई है। कांग्रेस छोड़कर वे भाजपा में शामिल हो गए हैं, लेकिन भाजपा में भी उनकी सक्रियता नहीं है। घटना के समय सिंगारिया अजमेर के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार केकड़ी में एक डीएसपी की भूमिका से सिंगारिया नाराज थे।
सिंगारिया का आरोप रहा कि केकड़ी में गरीबों की सुनवाई नहीं हो रही है। आरोप है कि बैठक में जवाब से नाराज होकर सिंगारिया ने एसपी आलोक त्रिपाठी के थप्पड़ मार दिया। 2001 में भी अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे। घटना के समय गहलोत पाली के एक कार्यक्रम में व्यस्त थे। लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने घटना की सूचना तत्काल सीएम गहलोत को दी। कार्यक्रम से ही गहलोत ने एसपी त्रिपाठी से बात की। सीएम भी चाहते थे कि ज्यादा बबेला न हो, मात्र एक घंटे में सिंगारिया को कांग्रेस पार्टी से निलंबित कर दिया गया। एसपी त्रिपाठी ने अपनी ओर से मामले को आगे नहीं बढ़ाया। तब सिंगारिया के विरुद्ध सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन सख्त कार्यवाही नहीं हुई। यहां यह उल्लेखनीय है कि त्रिपाठी आईपीएस की सेवा से पुलिस महानिदेशक (एसीबी) के पद से रिटायर हुए और मौजूदा समय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में स्थापित पुलिस यूनिवर्सिटी के कुलपति के पद पर कार्यरत है। इस मामले में पूर्व विधायक सिंगारिया की ओर से मशहूर एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी पैरवी कर रहे हैं। सोनी ने बताया कि इस मामले में करीब चालीस गवाहों की सूची है।