Rajasthan : अफवाह या हकीकत यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन भाजपा में अन्दरखाने जरूर खिचड़ी पक रही है।

Rajasthan : अफवाह या हकीकत यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन भाजपा में अन्दरखाने

जरूर खिचड़ी पक रही है।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वंसुधरा राजे ने बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व के आला नेताओं से मुलाकात की। साथ ही उतरप्रदेश सहित अन्य राज्य मे भाजपा के मुख्यमंत्री शपथग्रहण समारोह मे सम्मलित भी हुई है। इसी बीच एक चर्चा भी जोरो पर है कि राजस्थान से अगर वंसुधरा को केन्द्र या अन्य राज्य का नेतृत्व सौप दिया जाये तो राजस्थान भाजपा मे चल रही अन्तर कलह समाप्त हो सकती है। और आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव मे भाजपा फिर से अपनी सरकार बना सके इसकी भी कवायद शुरू हो चुकी है।
अफवाह या हकीकत यह तो वक्त बतायेगा।
दिल्ली में राजस्थान भाजपा को वसुंधरा मुक्त करने की एक और कवायद शुरू होने की चर्चा जोर शोरो से है। अंदरखाने से चर्चा है कि राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे को किसी बड़े राज्य का राज्यपाल बनाए जाने पर विचार हो रहा है। नेतृत्व उन्हें दक्षिण भारत में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी भी दे सकता है। माना जा रहा है कि पूर्व में भी राजस्थान छोड़ने से इनकार कर चुकी वसुंधरा को मनाने के लिए इस बार नितिन गड़करी को आगे किया जा सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने गई वसुंधरा को काफी देर इंतजार करवाकर आलाकमान ने उनकी हैसियत बताने कोशिश की लेकिन वसुंधरा के करीबियों का कहना है कि उन्हें राजस्थान से बाहर करने की कोशिश नाकाम कर दी जाएंगी।
जन्मदिन पर अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुकी है राजे।
वैसे 8 मार्च को वंसुधरा राजे के जन्मदिन पर विरोधियों की भीड को छोड़कर पूरी राजस्थान भाजपा और उसके निर्वाचित सांसद तथा विधायक जिस तरह जन्मदिन के उपलक्ष्य मे वसुंधरा राजे के समक्ष मौजूद रहे। उसे देखते हुए केन्द्रीय नेतृत्व की ताजा कवायद का भी वही हश्र होना तय है। जो पिछली बार हुआ था। वसुंधरा अभी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राजस्थान में भाजपा के प्रदेश नेतृत्व की खुलेआम अवहेलना करके कई बार जता चुकी हैं कि राज्य भाजपा में उनका कोई विकल्प नहीं है।
राजे को राज्यपाल बनाने की कवायद।
25 मार्च को राज्यपाल और दक्षिण भारत भेजे जाने की अफवाह ने तब और जोर पकड़ लिया, जब वसुंधरा अपने पुराने राजनैतिक साथी नितिन गड़करी के साथ उत्तरप्रदेश के नवनिवार्चित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ समारोह में लखनऊ पहुंची। वसुंधरा की लखनऊ यात्रा को विशेष तरीके से देखने से पहले ध्यान रखना होगा कि भाजपा की अंदरुनी राजनीति के केन्द्र में योगी आदित्यनाथ एक धूमकेतु की तरह उभरे हैं और उनका दुबारा मुख्यमंत्री बनना भाजपा की केन्द्रीय जोड़ी की चिंता बढ़ाने वाला है। ऐसे में एक दूसरे राज्य की विद्रोही तेवरों वाली पूर्व मुख्यमंत्री की उपस्थिति के अपने राजनीतिक निहितार्थ हैं। योगी के व्यक्तिगत निमंत्रण पर लखनऊ यात्रा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज के साथ वसुंधरा की दोस्ती भी भाजपा की केन्द्रीय पॉलिटिक्स में खतरे की घंटी मानी जा रही है। जान लें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक समुदाय के लिए जिस आक्रामक भाषा का इस्तेमाल करते हैं, उसके चलते उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।