Rajasthan : ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसी छवि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बन रही है।

Rajasthan : ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसी छवि राजस्थान में मुख्यमंत्री

अशोक गहलोत की बन रही है।

अप्रैल माह में होने वाले धार्मिक आयोजनों के मद्देनजर सरकार ने अनेक पाबंदियां

लगाईं।

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की जो छवि है, वैसी ही छवि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बन रही है। अप्रैल माह में होने वाले हिन्दू पर्वों के मद्देनजर सरकार ने जो पाबंदियां लगाई है, उससे लोगों में नाराजगी है। करौली में दो अप्रैल को हिन्दू नववर्ष पर बाइक रैली पर छतों से पत्थर फेंके जाने की घटना को दरकिनार कर सीएम गहलोत हिंसा के लिए उत्तेजित नारों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। गहलोत को लगता है कि हिंदुत्व वादी लोग उत्तेजित नारे लगाकर प्रदेश का माहौल खराब करेंगे। इसलिए अब अप्रैल माह में होने वाले हिन्दू पर्वों के आयोजनों, जयंती, हनुमान जयंती जैसे पर्वों पर निकलने वाली शोभा यात्राओं में आयोजकों को पहले बताना होगा कि डीजे या लाउडस्पीकर पर कौन से गाने बजाने होंगे। डीजे और शोभा यात्रा की अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।
इतना ही नहीं अजमेर सहित प्रमुख शहरों में सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक प्रतीक वाली झंडियां भी लगाने पर रोक लगा दी है। कई शहरों में धारा 144 के अनेक प्रावधान भी लागू कर दिए गए हैं। सरकार के ऐसे आदेशों को हिन्दुओं के पर्वों पर नियंत्रण करना माना जा रहा है। सब जानते हैं कि महावीर जयंती हो या हनुमान जयंती। सभी धार्मिक आयोजनों को उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। महावीर जयंती पर जहां जिनालयों में अनेक कार्यक्रम होते हैं, वहीं हनुमान जयंती पर हनुमान भक्त सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं तो मंदिरों में शोभा यात्राएं भी निकाली जाती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, लेकिन सरकार की ओर से जो पाबंदियां लगाई गई हैं, उससे राजस्थान भर में नाराजगी है।
सरकार का मानना है कि धार्मिक नारों से सौहार्द बिगड़ जाएगा, लेकिन सवाल उठता है कि जो धार्मिक नारे वर्षों से लगाए जा रहे हैं, उन पर अब आपत्तियां क्यों जताई जा रही है? सवाल उठता है कि क्या धार्मिक नारे सिर्फ हिन्दू समुदाय ही लगाता है? किसी भी धर्म के अनुयायियों के धार्मिक आयोजनों में धार्मिक नारे लगाते ही है। सरकार की ओर से धार्मिक आयोजनों की अनुमति देने के लिए जो शर्तें बताई गई है, उन शर्तों से पता चलता है कि सरकार की नीयत कैसी है। ऐसी शर्तें पहले कभी नहीं देखी गईं। सरकार में धार्मिक प्रवृत्ति के लोग भी हैं, ऐसे लोगों को भी शर्तों को लेकर आश्चर्य हो रहा है।
सवाल उठता है कि हिन्दुओं के धार्मिक आयोजन हिन्दुस्तान में नहीं होंगे तो कहां होंगे? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते तो हैं कि उन्हें हिन्दू होने पर गर्व है, लेकिन वही अशोक गहलोत हिन्दू पर्वों पर अनेक पाबंदियां लगा रहे हैं। करौली में नव वर्ष पर शोभायात्रा निकालने को लेकर जो हटवाड़ा बाजार में रिएक्शन प्रदर्शित किया उसका सच जानते हुए भी सीएम गहलोत अप्रैल माह के धार्मिक आयोजनों पर पाबंदियां लगा रहे हैं।