Jaipur : कार्यवाहकों के जिम्मे 5 बड़े अस्पताल, जरुरी खरीद अटकी, सर्जरी में भी
वेटिंग।
आरयूएचएस के वीसी समेत एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध 5 अस्पताल कार्यवाहक अधीक्षकों के भरोसे हैं। आरयूएचएस के वीसी पद के लिए राज्यपाल ने 18 मार्च को डॉ. सुधीर भंडारी को नामित किया था। एक माह बाद भी उन्होंने पद नहीं संभाला और कार्यवाहक बने हुए हैं। एसएमएस प्रिंसिपल के पद पर भी सरकार ने उन्हें दो बार एक्सटेंशन दे चुकी है। राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार का कहना है कि जल्द ही इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
इन बड़े अस्पतालों के अधीक्षक भी कार्यवाहक ही हैं
- एसएमएस कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा हैं। सरकार ने न स्थाई किया और ना ही साक्षात्कार व अन्य प्रक्रिया अपनाई।
- जयपुरिया डॉ. अशोक गुप्ता कार्यवाहक अधीक्षक हैं। डॉ. गुप्ता पहले जेके लोन अधीक्षक थे लेकिन 62 वर्ष का तर्क देते हुए सरकार ने हटा दिया था।
- कांवटिया अस्पताल डॉ. आर.एस. तंवर को कार्यवाहक अधीक्षक हैं।
- बनीपार्क सेटेलाइट डॉ. पीडी मीणा डेढ़ साल से कार्यवाहक अधीक्षक हैं।
- एसएमएस मेडिकल कॉलेज डॉ. सुधीर भंडारी। 62 साल तक ही पद पर रह सकते थे, लेकिन कोविड में सरकार ने दो बार एक्सटेंशन दिया। डॉ. अमरजीत, डाॅ. राजेश शर्मा को एडिशनल प्रिंसीपल का कार्यभार सौंप रखा है।
- जनाना अस्पताल : डॉ. पुष्पा नागर करीब एक साल से एक्सटेंशन पर हैं।
आरयूएचएस में स्थायी वीसी नहीं होने का असर
अगले महीने आरयूएचएस में ही आईएमसी इंस्पेक्शन है। स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी है। यदि वीसी काम संभालें तो कमियां दूर हों। इंफ्रास्टक्चर के लिए बजट आया है लेकिन वीसी के नहीं होने से काम नहीं हो रहा। पिछले इलाज और सर्जरी के लिए उपकरणों की भारी कमी है और अधिकांश जांचें ही नहीं होती। नतीजतन मरीजों का जयपुरिया या एसएमएस जाना ही मजबूरी है।
नियमों का पालन होता तो उन डॉक्टर्स को भी मौका मिलता जो योग्यता और उम्र के तहत इन पदों पर आ सकते थे। इधर, सरकार ने नियम निकाला कोई डॉक्टर 62 वर्ष के बाद एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट पर नहीं रहेगा लेकिन सरकार ही नियमों को तोड़ती रही। इसके बाद तत्कालीन प्रिंसीपल डॉ. यूएस अग्रवाल सरकार के खिलाफ कोर्ट भी गए लेकिन याचिका खारिज हुई थी। अब सरकार उन्हीं दलीलों को मानने से इनकार कर रही है।