Rajasthan : निर्दलीय और बीटीपी विधायक अभी भी सीएम
गहलोत से नाराज, बोले पहले रोजगार मे राजस्थान के युवाओं
को दिया जाए 75 प्रतिशत आरक्षण।
राज्यसभा चुनावों में कांग्रेसी खेमे के ज्यादातर नाराज विधायकों को मनाने के बावजूद अभी भी तीन विधायक नाराज हैं और अपनी मांगों पर अड़े हैं। बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव बाड़ेबंदी में जाने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने वोट के बदले कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सबसे कड़ी शर्त रखी है कि रोजगार में राजस्थान के युवाओं का 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की है। निजी क्षेत्र के रोजगार में स्थानीय युवाओं का आरक्षण लागू करने से सरकार पहले ही इनकार कर चुकी है। इस कदम को एंटी इंडस्ट्री माना जाता है, जिसका सरकार जोखिम नहीं उठा सकती। ऐसे में इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है। अलवर सहित कई जिलों के विधायक पहले भी यह मांग उठाते रहे हैं। बलजीत ने सीएचए के धरने और ओबीसी आरक्षण काे लेकर बेरोजगारों के पक्ष में सीएम अशोक गहलोत काे दो लेटर लिखे हैं। जिन्हें पूरा किए बिना वोट देने से साफ इनकार कर दिया है। यादव ने आज बहरोड़ में रहकर जनसुनवाई करने की घोषणा की है। वह लगातार निर्वाचन क्षेत्र में लोगों के बीच ही घूम रहे हैं। बलजीत के अलावा भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी ) के दो विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडाेर ने भी समर्थन के बदले शर्तें रखी हैं।
बीटीपी विधायकों ने आदिवासी इलाके से जुड़ी मांगों के अलावा कांकरी डूंगरी आंदोलन के मुकदमें वापस लेने की मांग रखी है। बीटीपी विधायकों ने कहा है कि आदिवासी हितों से जुड़ी मांगें पूरी करने पर ही समर्थन के बारे में सोचा जाएगा, फिलहाल वेट एंड वॉच का स्टैंड है। बीटीपी विधायकों ने पहले हुए राज्यसभा चुनावों और सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय भी सीएम अशोक गहलोत का साथ दिया था। अब तक हुई दो बाड़ेबंदियों में बीटीपी विधायक साथ रहे थे, लेकिन इस बार अब तक दूर हैं। सीएम के नजदीकी नेता बीटीपी विधायकों को मनाने में जुटे हुए हैं।