आखिर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अजमेर के एस्केप चैनल को शामिल क्यों नहीं किया जाता? गंदे नाले में तब्दील चैनल के किनारे रहने वालों का जीवन नारकीय है।

आखिर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अजमेर के एस्केप चैनल को शामिल क्यों नहीं किया जाता? गंदे नाले में तब्दील चैनल के किनारे रहने वालों का जीवन नारकीय है।
पाल बीसला तालाब की भी सुध ली जाए-विधायक अनिता भदेल।
दौराई रेलवे पुलिया के नीचे साल भर भरा रहता है पानी। लोग परेशान।
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अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के शुरुआत दौर में शहर के बीच में से गुजरने वाले आनासागर एस्केप चैनल को विकसित करने का काम भी शामिल किया गया था। लेकिन अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इस चैनल की कोई सुध नहीं ली जा रही है। हालत इतनी खराब है कि नगरा क्षेत्र में इस गंदे नाले के आसपास रहने वालों का जीवन नारकीय बना हुआ है। नाले में मल-मूत्र युक्त पानी बहता रहता है और लोग इसके आसपास ही रहने को मजबूर है। कुछ लोगों ने तो नाले की दीवार ही अपने मकान की दीवार बना ली है। इस से कभी भी हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में आनासागर के किनारे सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया है। लेकिन इस आनासागर से जुड़े एस्केप चैनल की मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए कोई राशि खर्च नहीं की जा रही है। पहले तो बरसात के दौरान ओवर फ्लो होने पर ही आनासागर का पानी इस चैनल से गुजरता था। लेकिन अब साल भर आनासागर का ओवरफ्लो पानी इस चैनल से गुजरता है। असल में आनासागर में आसपास की आबादी का जो गंदा पानी गिरता है उससे आनासागर साल भर भरा रहता है। सीवरेज के पानी को भी शुद्ध कर रोजाना आनासागर में डाला जाता है। यानी आनासागर के पानी के लिए एस्केप चैनल का उपयोग तो हो रहा है, लेकिन चैनल को विकसित करने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कोई काम नहीं हो रहा। अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने बताया कि शुरू में 10 किलोमीटर लंबी इस एस्केप चैनल की दीवारों को मजबूत करने, रेप बनाने, जालियां लगाने आदि के काम पर विचार किया गया था। भदेल ने बताया कि यह चैनल अब गंदे नाले में तब्दील हो गया है। लाखों की आबादी का कचरा भी इसी नाले में फेंका जाता है। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में यह भी विचार हुआ था कि नाले के अंदर एक छोटी नाली का निर्माण किया जाए ताकि पानी नाली में ही बहे। लोग कचरा न डाल सके इसके लिए दीवारों को ऊंचा कर जालियां लगाई जाए। साथ ही इस गंदे नाले के आसपास रहने वाले लोगों को प्राथमिक सुविधाएं दिलवाने की बात भी कही गई थी, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एस्केप चैनल के कामों को शामिल नहीं किया गया। भले ही आनासागर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा हो, लेकिन स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों को एक बार एस्केप चैनल के किनारे रहने वाले लोगों का जीवन भी देखना चाहिए। भदेल ने बताया कि पाल बीसला के तालाब को संरक्षित करने के लिए ही पूर्व में सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर इसे नौ कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था। लेकिन अब इस तालाब की कोई सुध नहीं ली जा रही है। सरकार को यह देखना चाहिए कि हाईकोर्ट के आदेश की कितनी क्रियान्विति हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाल बीसला क्षेत्र में भू माफिया सक्रिय हैं, जो तालाब की भूमि को खुर्दबुर्द कर रहे हैं। भदेल ने बताया कि एस्केप चैनल की सफाई करने के लिए प्रतिवर्ष बरसात से पहले दीवारों को तोड़ा जाता है ताकि जेसीबी नाले में उतर सके। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में एस्केप चैनल में रैम्प बनाने का भी प्रस्ताव था, ताकि चैनल की दीवार को बार बार न तोड़ा जाए।
रेलवे पुलिस के नीचे पानी भरा रहने से लोग परेशान:
अजमेर के निकटवर्ती दौराई क्षेत्र के लोगों के सुगम आवागमन के लिए रेलवे ने अंडरपास का निर्माण दो वर्ष पहले किया था। निर्माण के समय भी दौराई के निवासियों ने पानी भरे रहने की आशंका जताई थी। लेकिन तब रेलवे और डीएफसीसी के इंजीनियरों ने भरोसा दिलाया कि पुलिस के नीचे पानी नहीं भरेगा, लेकिन साल भर इस अंडर पास में पानी भरा रहता है, जिसकी वजह से लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। क्षेत्रीय विकास समिति के अध्यक्ष नीरज तोषनीवाल और पूर्व सरपंच चंद्रभान गुर्जर ने बताया कि रेलवे के अधिकारियों का कई बार ध्यान आर्षित किया गया है, लेकिन आज तक भी पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। पानी भरा रहने से दुपहिया वाहन आए दिन गिर जाते हैं। यह अंडर पास लोगों के मुसीबत बन गया है। एक और अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर दौराई के लोग अंडर पास की समस्या से जूझ रहे हैं। इस दोषपूर्ण अंडरपास के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 7728062892 पर नीरज तोषनीवाल से ली जा सकती है।