आखिर मौत से हार गया अजमेर का हॉकर प्रेम प्रकाश। Ajmer

आखिर मौत से हार गया अजमेर का हॉकर प्रेम प्रकाश।
36 वर्ष तक अखबार बांटने के बाद भी गरीब का गरीब रहा प्रेम प्रकाश। अब अखबार बांटने की डोर 25 वर्षीय बेटे हर्षवर्धन के पास है।
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आखिर अजमेर के 56 वर्षीय हॉकर प्रेम प्रकाश मौत से हार गया। 26 जनवरी को अखबारों के गणतंत्र दिवस के अतिरिक्त विशेषांकों का बोझ लादकर प्रेम प्रकाश नसीराबाद रोड स्थित 9 नंबर पेट्रोल पंप के निकट से गुजर रहा था कि तभी डाक विभाग के वाहन ने हॉकर की मोटर साइकिल को टक्कर मार दी। इससे सिर में गहरी चोट लगी। बेहोशी की हालत में हॉकर को अजमेर के सरकारी जेएलएन अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 9 दिनों तक प्रेम ने मौत से संघर्ष किया, लेकिन 2 फरवरी की रात को गरीब हॉकर मौत से हार गया। 3 फरवरी को प्रेम का अंतिम संस्कार भी हो गया। अखबार बांटने की डोर अब प्रेम के 25 वर्षीय पुत्र हर्षवर्धन के हाथ में आ गई है। प्रेम पिछले 36 वर्षों से अखबार बांटने का काम कर रहा था, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि प्रेम प्रकाश हॉकर के तौर पर गरीब का गरीब ही बना रहा। अखबार उद्योग से जुड़े कई वर्गों के लोग मालामाल हो जाते हैं, लेकिन हॉकर तो गरीब का गरीब ही बना रहता है। यह स्थिति सिर्फ अजमेर के हॉकरों की नहीं बल्कि देशभर के हॉकरों की है। यदि हॉकर पैसे वाले होते तो प्रेम प्रकाश का इलाज भी किसी बड़े प्राइवेट अस्पताल में होता। हो सकता है कि तब उसे मृत्यु से बचाया जाता, लेकिन गरीब हॉकरों के पास इतना पैसा नहीं था कि उसे किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाते। सरकारी अस्पताल की अपनी व्यवस्थाएं हैं। हो सकता है कि डॉक्टरों ने अपनी ओर से प्रेम को बचाने का प्रयास भी किया हो। लेकिन यह सही है कि 36 वर्ष से अखबार बांट रहे हॉकर प्रेम की एक सरकार अस्पताल में मौत हो गई। प्रेम अपने पीछे पत्नी संघमित्रा, पुत्र हर्षवर्धन और पुत्री कोनिका वर्धन को छोड़ गए हैं। परिवार की आजीविका अभी भी अखबार बांटने से मिले कमीशन पर निर्धारित है। देश भर में लाखों हॉकर होंगे, लेकिन हॉकर समुदाय अभी तक भी संगठित नहीं है, जबकि अखबार उद्योग में हॉकर समुदाय सबसे महत्वपूर्ण है। कोई मालिक कितना भी अच्छा अखबार छाप ले, लेकिन यदि अखबार का वितरण नहीं होगा तो फिर अखबार का कोई महत्व नहीं है। अखबार का तभी महत्व है, जब वह पाठक के हाथों में होता है। गर्मी,सर्दी, बरसात हर मौसम में हॉकर सुबह तीन बजे घर से निकल कर अखबार की सुपुर्दगी लेता है और फिर एक एक अखबार को पाठक के घर तक पहुंचाता है। सरकार की ओर से भी हॉकरों के लिए कोई योजना नहीं है। पूरे देश में उड़ीसा पहला राज्य है, जिसने हॉकरों को प्रतिमाह छह हजार रुपए की सहायता राशि देने का निर्णय लिया है। अजमेर के हॉकर प्रेम प्रकाश का परिवार का खर्च अब कैसे चलेगा यह भगवान ही जानता है। प्रेम प्रकाश के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए मोबाइल नंबर 7737677382 पर उनके पुत्र हर्षवर्धन से संवाद किया जा सकता है।