राजस्थान में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने भले ही वीसी में भाग न लिया हो, लेकिन धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज नहीं हो सकते

राजस्थान में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने भले ही वीसी में भाग न लिया हो, लेकिन धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज नहीं हो सकते।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा से खफा धारीवाल ने 5 जून को अपने गृह शहर कोटा में विकास कार्यों का जायजा लिया। तो क्या यह डोटासरा को सबक सिखाने की रणनीति हैं।
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राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल 4 जून को दिनभर नाराजगी वाले तेवर दिखाए। सुबह जयपुर में होने के बाद भी धारीवाल वैक्सीन के मुद्दे पर जिला कलेक्टर को प्रभारी मंत्री के नाते ज्ञापन देने नहीं गए। ज्ञापन देने का समय आया तो धारीवाल सरकारी कार से जयपुर से कोटा के लिए रवाना हो गए। 4 जून को ही धारीवाल को दोपहर डेढ़ बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लोकार्पण और शिलान्यास समारोह में वीसी के माध्यम से जुडऩा था, लेकिन धारीवाल मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए। हालांकि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा और शासन सचिव भवानी सिंह देथा उपस्थित थे। धारीवाल के मुख्यमंत्री की वीसी में भी नहीं जुडऩे को लेकर 4 जून को दिन भर राजनीतिक खासकर कांग्रेस में चर्चा रही। यह माना गया कि 2 जून को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के व्यवहार से धारीवाल बेहद नाराज हैं। लेकिन 5 जून को धारीवाल ने स्पष्ट कर दिया कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज नहीं है। मुख्यमंत्री के प्रति उनकी वफादारी बनी हुई है। 5 जून को धारीवाल ने अपने गृह शहर कोटा में चल रहे विकास कार्यों का मौके पर जायजा लिया। धारीवाल जब भी कोटा में होते हैं तो विकास कार्यों का जायजा लेते ही हैं। कार्यों को समय पर पूरा करवाने के लिए इंजीनियरों और ठेकेदारों पर दबाव बनाते हैं। समस्याओं का भी समाधान करते हैं। 4 जून की नाराजगी के बाद 5 जून को जिस तरह धारीवाल ने मंत्री की जिम्मेदारी निभाई, उससे प्रतीत होता है कि अब सरकार में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को सबक सिखाने की रणनीति अपनाई जा रही है। नाराजगी को बराबर दर्शाने के लिए धारीवाल ने मुख्यमंत्री की वीसी का भी बहिष्कार किया लेकिन 5 जून को जता दिया कि वे मुख्यमंत्री से नाराज नहीं है। वैसे देखा जाए तो 4 जून को जयपुर कलेक्टर को ज्ञापन देने नहीं जाना धारीवाल का पार्टी विरोधी कृत्य है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के निर्देश पर सभी प्रभारी मंत्रियों ने अपने अपने जिलों में पहुंचकर कलेक्टरों को ज्ञापन दिए हैं। धारीवाल एकमात्र मंत्री रहे, जिन्होंने जयपुर का प्रभारी होते हुए कलेक्टर को ज्ञापन नहीं दिया। अब देखना होगा कि धारीवाल के इस कृत्य की शिकायत डोटासरा क्या अब राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से करेंगे? 2 जून को मंत्रिमंडल की बैठक में डोटासरा ने धारीवाल को ऐसी धमकी दी थी। अलबत्ता सरकार की रणनीति से डोटासरा पर दबाव बना दिया है। धारीवाल की नाराजगी डोटासरा के प्रति बनी हुई है। जानकार सूत्रों के अनुसार 2 जून को डोटासरा ने जो व्यवहार किया, उससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी खुश नहीं है।