कुम्भलगढ़ को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाए – सांसद दीयाकुमारी

कुम्भलगढ़ को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित किया जाए – सांसद दीयाकुमारी
राजसमन्द 19 जुलाई। लोकसभा में मानसून सत्र के पहले ही दिन सांसद दीयाकुमारी ने
राजस्थान में 5वें संभावित बाघ अभयारण्य के रूप में कुंभलगढ़ को विकसित करने की मांग उठाई।
सांसद ने बताया कि कुम्भलगढ़ अभयारण्य 1280 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला है, जो कि सरिस्का से बड़ा है और यहां 1970 के दशक से बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई है।
नियम 377 के तहत लोकसभा में बोलते हुए सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि वर्तमान में शिकार का आधार प्रारंभिक चरण में 4 बाघों के लिए पर्याप्त है और आने वाले वर्षों में कम से कम 45 बाघों को रखने की क्षमता रखता है। रणथंभौर में, बाघों की बढ़ती आबादी नए इलाके की तलाश में संरक्षित क्षेत्रों से भटक रही है और इसके परिणामस्वरूप मानव और बाघों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है। सांसद ने कहा कि मौजूदा टाइगर रिजर्व को संरक्षित करते हुए नए टाइगर रिजर्व विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है तथा देश में बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कुम्भलगढ़ में बाघों को लाने की प्रक्रिया को भी गति देना चाहिए।