11 माह बाद भी पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं-गंगापुर सिटी

11 माह बाद भी पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं, सैकड़ों लोग बेरोजगार और परेशानी से जूझने को मजबूर-गंगापुर सिटी

कोरोना काल को देखते हुए 11 माह बाद भी पैसेंजर ट्रेने पटरी पर नहीं आ रही है। इसके चलते पैसेंजर ट्रेनों के संचालन नहीं होने से सैकड़ों लोगों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मात्र एक जयपुर बयाना पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है वह भी दुगुने दाम पर जिससे हजारों लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है।जहां से 10 रुपए में गंगापुर सिटी से हिण्डौन व गंगापुर सिटी से सवाई माधोपुर जा सकते थे। अब उन्हें स्पेशल ट्रेन चलाने की वजह से 50 रुपए से लेंकर 70 रुपए देने को मजबूर होना पड़ रहा है।जबकि कई गांवों में परिवहन सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। जिन्हें पैदल ही जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिससें लोगों को काफी परेशानी हो रही है।इसके बावजूद रेलमंत्री से लेकर रेलवे बोर्ड और कोटा मंडल के अधिकारियों यात्रियों को हो रही परेशानियों पर ध्यान नहीं देने से रेलवे को भी करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है।
पैसेंजर ट्रेने 11 माह से बंद,11 करोड़ का राजस्व नुकसान
मथुरा से लेकर रतलाम तक वाया गंगापुर सिटी होंकर गुजरने वाली पैसेंजर ट्रेनों का संचालन 11 माह से बंद होने से रेलवे को 11करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है। जबकि मथुरा- रतलाम पैसेंजर (लोकल),कोटा-आगरा पैसेंजर,आगरा-कोटा पैसेंजर,मथुरा-सवाई माधोपुरऔर सवाई माधोपुर -मथुरा पैसेंजर आदि पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों को हो रही है। जहां ट्रेन के अलावा और कोई साधन नहीं था। इसके चलते यात्रियों को पैदल या फिर महेंगे दामों में निजी वाहन से जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कोरोना काल से ही अधिक रुपए देने को मजबूर होना पड़ रहा है।रेलवे स्टालों का किराया भी नहीं निकल पा रहा गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन पर स्थित आधा दर्जन रेलवे स्टाल है। इतनी ही ब्हील ठेले है। पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलने से दिनभर रेलवे स्टेशन सूना रहने से रेलवे स्टाल संचालको को किराया भी नहीं निकल पा रहा है। जिससे स्टाल पर काम करने वाले वेडरों को अब रोटी खाने के लाले पड़ रहे है। स्टाल संचालको ने बताया कि उनका किराया भी नहीं निकल पा रहा है। दूसरी ओर बिजली के बिल भी जमा नहीं हो पा रहे है। गंगापुर शहर में लगभग डेढ़ हजार टेपों का संचालन हो रहा था। लेकिन कोराना काल से पैसेंजरों ट्रेनों के संचालन बंद हो जाने से अब मात्र पांच से लेकर छह सौ तक ही टेपों रह गए है। जो भी दिनभर खाली दौड़ते नजर आते है। टेपों चालकों ने बताया कि उनका डीजल खर्चा व किराया तक नहीं निकल पा रहा है। ऊपर से पुलिस का चालान भी भारी पड़ रहा है। जिससे अब उनका घर खर्च चलाना आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
डेली-अप डाउन करने वाले हो रहे परेशान
पैसेंजर ट्रेनों का संचालन बंद हो जाने व गिनी -चुनी स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनों में बिना आरक्षण के नहीं बैठने से गंगापुर सिटी से सवाई माधोपुर व गंगापुर सिटी से हिण्डौन,बयाना भरतपुर तक डेली अप डाउन करने वाले लगभग एक हजार से अधिक सरकारी कर्मचारियों को अब किराए का भवन लेकर उन्हें डयूटी करनी पड़ रही है। डेलीअप डाउन करने वालों का कहना हैँ कि अबउन्हें परिवार से दूर रहकर परेशानी उठानी पड़ रही है। यानी उनका खर्चा भी अब दुगुना हो गया है।